सीहोर 5 जून (नि.सं.)। नगर पालिका के कुछ पार्षदों के बीच इन दिनो कानाफूसी चल रही है कि किसी तरह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाये। इसकी गणित कहाँ से चल पड़ी है ? कौन चला रहा है ? या सिर्फ बात उड़ाई जा रही है ताकि दबाव बनाकर अपना काम निकाला जा सके और पानी का भुगतान कराया जा सके यह तो स्पष्ट नहीं कहा जा सकता लेकिन अविश्वास की कानाफू सी में उन 13 भाजपाई पार्षदों को भी जोड़ा जा रहा है जो पिछले दिनों उनकी भाजपा संगठन से नाराज हो गये थे। अविश्वास प्रस्ताव की बात कांग्रेस-भाजपाई मिलकर कैसे कर सकते हैं हालांकि यह एक यक्ष प्रश् है लेकिन फिर कुछ पार्षदों ने यह अफवाह फैलाने का कार्य जारी रखा हुआ है। देखते हैं इनकी यह बात कब तक सच होती है।
नगर पालिका में इन दिनों कुछ पार्षदों के बीच घमासान मचा हुआ है। उनका कहना है कि हमारे वार्ड में कम रुपयों का काम हुआ है दूसरों के यहाँ यादा रुपये दे दिये गये हैं। यूँ लिख-पढ़त में काम एक सा होता है लेकिन यदि दूसरे वार्ड में उसी काम का भुगतान यादा रुपये का बन जाता है तो फिर उस भुगतान पर सभी की हाय लगना शुरु हो जाती है ? ऐसा क्यों होता है इस समझाने की आवश्यकता नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में अध्यक्षीय परिषद के पार्षदों ने जहाँ अध्यक्ष जी से नाराजगी दिखाई वहीं पिछले दिनों भाजपा के 13 पार्षदों ने भी काम नहीं हो पाने को लेकर खुद के संगठन से नाराजगी जाहिर कर दी थी।
हालांकि 13 और 5 हजार 18 होते हैं जो कुल 35 पार्षदों के आधे से यादा हैं लेकिन यह आंकड़ा किसी अविश्वास प्रस्ताव के लिये पर्याप्त नहीं बैठ सकता। और फिर यह भी नहीं जा सकता कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव की यह बात किन पार्षदों के लिये बताई जा रही है।
कुल मिलाकर इन दिनों नगर पालिका के कुछ ऐसे पार्षद हैं जो स्पष्ट रुप से यह कह रहे हैं कि अविश्वास प्रस्ताव की तैयारियाँ जोरदार ढंग से चल रही है और इसके लिये दोनो ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की गुपचुप मोहर लग चुकी है। इस तरह की बात करने वाले पार्षदों का कहना है कि बस कुछ ही दिनों खेल पूरा हो जायेगा और लोग स्तब्ध रह जायेंगे की यह क्या हुआ !
हालांकि एक विचारणीय प्रश् यह है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी और राकेश राय के संबंध अच्छे हैं तो फिर सीहोर के वो कौन-से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है जो पचौरी को नाराज करने की हिमातकत करते हुए पार्षदों को इस तरह के काम करने के लिये प्रेरित कर रहे हैं जबकि हाल ही में राकेश राय को कांग्रेस में सार्वजनिक मंच से शामिल कर लिया गया है। रही बात भाजपा की तो वो ऐसे मामले में निश्चित ही प्रसन्न रहेगी लेकिन आगामी चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए ही भाजपा भी निर्णय लेगी। देखते हैं बारम्बार कुछेक पार्षदों द्वारा अविश्वास की बात उड़ाने के पीछे का मकसद क्या है ? क्यों वह ऐसी बात उड़ा रहे हैं ? क्या उनका कोई भुगतान अटका पड़ा है जो अध्यक्ष पर दबाव डालकर निकलवाना चाहते हैं ? या फिर कोई बात है अथवा वाकई में ऐसा कोई घटनाक्रम भाजपा पार्षदों के समर्थन से चल रहा है यह तो समय ही बतायेगा।