सीहोर 19 जून (विशेष सं.)। जल संकट के समय पिछले दिनों जो अंधाधुंध नलकूप खनन हुए थे उस दौरान कहीं जनभागीदारी से काम हुआ हो ऐसी तो जानकारी सामने नहीं आई थी लेकिन हाँ इतना अवश्य था कि अनेक ऐसे बोर खुदे थे जिनका नगर पालिका में कोई रिकार्ड नहीं था। मतलब या तो वह बोर लोगों ने निजी खुदवाये थे और वह बकायदा फोटो आदि खिंचवाकर अथवा कोई और मामला था। चूंकि नगर पालिका द्वारा ऐसे कई नलकूप खनन की स्वीकृति नहीं थी या फाईल ही नहीं बनी थी तो फिर ऐसे में जो बोर खुदे थे उनके लिये कुछ कहा नहीं जा सकता। वह निजी मामला था । एक बोर अवश्य खासी चर्चा में था जो तिलक पार्क के सामने खुदा था और जिसमें न सिर्फ बोर खुदाई हुई बल्कि वहाँ एक पाईप लाईन भी डाली गई जिसके उद्धाटन सत्र में नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय भी मौजूद थे। इसलिये इसकी चर्चाएं भी चल पड़ी थी।
यह बोर नगर पालिका ने कराया है इसकी कोई जानकारी स्पष्ट नहीं थी लेकिन सभी अखबारों में बड़े-बड़े फोटो छपवाकर और खबर प्रकाशित कराने के बाद भी यह नहीं बताया गया था कि यह बोर किसके सौजन्य से हुआ है। लेकिन हाँ अब बात स्पष्ट हो गई है कि यह बोर व पाईप लाईन नगर पालिका की नहीं है ? तो फिर किसके सौजन्य से है उसकी जानकारी फुरसत को नहीं मिल पा रही है। आईये डालें इस रोचक मामले पर एक नजर.....।
नगर में कब कौन-सा काम हो जाये कहा नहीं जा सकता। कहाँ सड़क बनना शुरु हो जाये, कहाँ लोग सड़क की मांग करते रह जायें ? कहाँ बोर खुद जाये और लोग पानी को तरसते रहें ? कहाँ नाली बन जाये और कहाँ गंदगी कीचड़ सड़कों पर बहती रहे कोई ठोर-ठिकाना नहीं है। सीहोर नगर पालिका इस मामले में भी अब कुख्यात होने लगी है कि कई स्थानों पर पार्षदों की स्वीकृति से ठेकेदार वार्ड में कुछ तो भी काम कर दिया करते हैं और उसके बाद उसकी अपने तरीके से एक फाईल बनाकर नगर पालिका पहुँचा देते हैं फिर भुगतान कराने का तरीका उन्हे आता ही है। कुल मिलाकर यह गौरखधंधा नगर पालिका का सबसे अधिक चर्चा में रहता है। चाहे जहाँ जो पुलिया बना देता है या फिर कुं आ और उसकी फाईल बनाकर रुपये निकलवा लिये जाते हैं हालांकि फाईल में जरुरी खानापूर्ति सब कर ली जाती है लेकिन यह काम बाद में होता है।
पिछले दिनों फुरसत ने पूरी प्रमुखता के साथ एक समाचार प्रकाशित किया था जिसमें स्पष्ट लिखा था कि 'तिलक पार्क के सामने खुदे नलकूप की फाईल कहाँ है ?'। तिलक पार्क के सामने एक नलकूप खनन हुआ था जिसे हर एक व्यक्ति नगर पालिका द्वारा कराया गया सार्वजनिक नलकूप बता रहा था। यहाँ किसी व्यक्ति ने अथवा वार्ड पार्षद ने भी यह नहीं कहा था कि यह बोर निजी व्यक्ति का है। यहाँ बकायदा जनता के सामने भूमि पूजन के कार्यक्रम भी हुए तो जनता समझी की यह सार्वजनिक है......।
फिर इस बोर से यहाँ एक सार्वजनिक जल वितरण की पाईप लाईन भी डलवाई गई जिसका भूमि पूजन वार्ड पार्षद, नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय आदि की उपस्थिति में हुआ। कुल मिलाकर मामला कुछ ऐसा सामने आया कि जनता समझी यह बोर नगर पालिका ने कराया है।
लेकिन न तो ऐसे किसी बोर की स्वीकृति नगर पालिका में थी ? और ना ही नगर पालिका में इस बोर की कोई फाईल थी ? यह बात फुरसत ने पूरी प्रमुखता से उठाई थी। ऐसा भी विश्वास था कि कहीं यह सब काम होकर बाद में इसकी फाईल नगर पालिका में न बन जाये इसलिये मामला उजागर कर दिया गया था।
अब नगर पालिका के खिलाफ अभियान चलाये हुए 13 पार्षदों के दल ने भोपाल से आये जांच दल को कल अचानक जब तिलक पार्क के सामने ले जाकर खड़ा किया और भोपाल संभाग के नगरीय प्रशासन विभाग कार्यपालन यंत्री ए.जी.खान ने यहाँ जांच शुरु करने के पूर्व मुख्य नगर पालिका को बुलाया और पूछा की यह बोर किसका है? तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने जैसे ही यहाँ कहा कि साहब न तो यह बोर हमारा है और ना ही यहाँ डली पाईप लाईन हमारी है तो यह बात सुनकर जो 13 पार्षद जांच दल लाये थे उनके पैरो तले जमीन खिसक गई। वह आश्चर्य करने लगे। उन्होने कहा कि साहब यह बोर तो नगर पालिका ने ही कराया है और अध्यक्ष ने भूमि पूजन किया है। तो नकार कैसे रहे हैं कड़ी पूछताछ हो।
फिर पूछने पर मुख्य नगर पालिका ने कहा कि नहीं यह हमारा नहीं है, हो सकता हैं मुझे याद नहीं हो मैं अभी पूछ लेता हूँ। मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने अपने अधिनस्थ इंजीनियरों आदि को फोन लगाकर पूछताछ की और फिर यह बताया कि न तो इसका वर्क आर्डर है, न कोई फाईल है ना ही पाईप लाईन नगर पालिका द्वारा डलवाई गई है। नगर पालिका के इंजीनियर के.के.शर्मा जो बोर खनन का काम देखते हैं उन्होने भी यही कहा ।
इस पर 13 पार्षदों ने कहा कि साहब इसका भी पंचनामा बनवाया जाये ताकि कहीं बाद में यह बोर नगर पालिका का बताकर इसका भुगतान न हो जाये इस बात को समझते हुए जांच अधिकारी ने इस बातों का पंचनामा भी बनाया गया कि यह बोर नगर पालिका का नहीं है और फिर इस बोर को दूर से ही दूसरे का लगा हुआ मानकर जांच दल चला गया... ।आश्चर्य है कि अभी तक इस बोर को खुदवाने वाले ने यह नहीं बताया कि किसने यह खुदवाया है ? क्या जनभागीदारी से यह हुआ है ? या फिर कोई व्यक्ति विशेष ने अपनी दानशीलता का परिचय देते हुए लाखों रुपये का काम वार्ड 29 की जनता के लिये करवा दिया है। खैर कल हुई जांच से अब इस बोर को लेकर उठ रहे सवालों पर विराम लग गया है और स्पष्ट हो गया है कि यह पूरा तामझाम नगर पालिका का नहीं है।
मुझे नहीं मालूम किसका बोर है, मैं तो बस उद्धाटन करने चला जाता हूँ-राकेश राय
सीहोर। तिलक पार्क के सामने लगे बोर और पाईप लाईन के उद्धाटन के समय चूंकि खुद नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय उपस्थित थे। इसलिये इस संबंध में अधिकृत जानकारी के लिये जब फुरसत ने श्री राय से इस संबंध में पूछना चाहा तो उन्होने पहले-पहल तो यह कहकर बात काट दी कि भैया मैं अभी बाहर से आया ही हूँ, उतरा भी नहीं हूँ, इसलिये थोड़ी देर से आप बस मुझे 5 मिनिट का समय दें, जब पुन: कुछ समय पश्चात उनसे सम्पर्क किया गया तो उन्होने बताया कि हमें तो वहाँ पार्षद राहुल यादव ने बुलाया था, इसलिये गये थे। उस वार्ड में बोर लगा है यह हमें मालूम हैं, लेकिन किसने लगवाया यह हमें थोड़े ही मालूम हैं।
जब उनसे पूछा कि क्या आपको मालूम है कि वह नगर पालिका ने लगवाया है या नहीं ? तो अध्यक्ष राकेश राय ने कहा कि यह जानकारी हमें नहीं रहती, हमे तो कोई भी कहीं भी बुला लेता है कि भाई साहब आपको आना है तो मना थोड़े ही कर सकते हैं, चले जाते हैं, कोई पार्षद कहता है कि साहब बोर खनन हो रहा है आना है, कोई कहता नाली बन रही है, कोई कहता है सड़क बन रही हैं हम चले जाते हैं। नगर पालिका के काम बिना सीएमओ की आदेश के नहीं हो सकता, वही फाईल बनवाता है, तब ही काम होता है। वही सक्षम अधिकारी है, इंजीनियर हैं। यह सब जानकारी का काम मेरा नहीं है। मैं चाहूँ तो भी कुछ नहीं कर सकता। मैने सख्त निर्देश दे दिये हैं कि जो भी काम हो नियम के अनुसार हो । जब फुरसत ने पूछा की कल सीएमओ ने जांच दल के सामने कहा है कि वह बोर नगर पालिका का नहीं है? इस संबंध में आपका क्या कहना है तो अध्यक्ष ने कहा कि मैं तो पार्षद के बुलाने पर गया था, मुझे नहीं मालूम किसने क्या कराया है।