आष्टा 19 जून (नि.प्र.) आष्टा न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट टे्रक कोर्ट आष्टा श्री राजेश श्रीवास्तव द्वारा सत्र प्र.क्रं.147.06 म.प्र. राज्य विरूद्ध देवराज व उमरीबाई मे निर्णय पारित करते हुए आरोपी देवराज पुत्र लक्ष्मीनाराण निवासी ग्राम अरनियागाजी, तह. आष्टा को धारा 302 भादवि के अंतर्गत दोष सिध्द पाते हुए आजीवन कारावास एवं 5000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया सह अभियुक्त आरोपी देवराज की मॉ उमरी बाई को शंका का लाभ देते हुए धारा 302 सहपठित धारा भादसं. के आरोपों से दोषमुक्त किया ।
अभियोजन प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि घटना 14 जुलाई 2007 को ग्राम अरनियागाजी में मृतिका का उसकी जेठानी आरोपी उमरी बाई से झगड़ा हो गया था उसके पश्चात प्रात: 9 बजे मृतिका कृष्णाबाई अपने घर में रोटी बना रही थी तो उसकी आरोपी उमरी बाई के लड़के ने देवराज ने उसे जान से मारने की नियत से उसके ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी मृतिका चिल्लाई तो उसका पति बाबूलाल गांव के अन्य लोग आ गये जो उसे अस्पताल लाये। मृतिका ने अभियोजन को देहाती नालसी लिखाई जिस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना जावर में दर्ज हुई इलाज के दौरान मृतिका के मृत्यु के पूर्व कथन लिये गये तत्पश्चात मृतिका की मृत्यु हो गई। प्रकरण मे यह उल्लेखनीय तथ्य है की अभियोजन द्वारा प्रकरण की विवेचना किये जाने पर अपराध गठित होना नहीं पाया एवं प्रकरण खात्मा दण्डाधिकारी प्र.श्रे .आष्टा के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया । न्यायिक दण्डाधिकारी प्र.श्रे आष्टा द्वारा प्रकरण में धारा 302.34 भादंसं के अंतर्गत संज्ञान लिया गया एवं प्रकरण माननीय न्यायालय सत्र न्यायालय सीहोर की और प्रस्तुत किया गया जहां से प्रकरण निराकरण हेतु इस न्यायालय को प्राप्त हुआ। लोक अभियोजक श्री बी एस ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रक रण की विवेचना में सभी पारिवारिक एवं स्वतंत्र ग्राम के साक्षीगण ने न तो पुलिस कथन में और न ही न्यायालयीन कथन मे अभियोजन कहानी का समर्थन किया । अभियोजक का प्रकरण पूर्णत: मृतिका द्वारा लेख कराई गई देहाती नालिसी एवं मृत्यु पूर्व कथन पर आधारित दी थी मृतिका के द्वारा आरोपी देवराज द्वारा मिट्टी का तेल डालकर जलाने संबंधी साक्ष्य दी थी मृतिका की देहाती की पुष्टि अपने न्यायालय कथन में आ.सा. 15 प्रधान आरक्षक राजेन्द्र ंसिंह ने की तथा मृत्यु पूर्व कथन के समय मृतिका कुष्णाबाई कथन देने योग्य थी एवं मारणासन्न कथन के दौरान मृतिका होश में रही थी। उसे उसके जेठ के लड़के देवराज ने जलाया तथा हमारी जेठानी के साथ अन्य शकीला बाई थी इसलिये उसके लड़के आरोपी देवराज से मिट्टी का तेल डालक र जलवाया है, की पुष्टि अ.सा.18 बी. एस. मरकाम नायब तहसीलदार जिसने कथन लेखक अ.सा.12 डॉ. भरत आर्य की मौजूदगी में किये थे, द्वारा की गई। विद्वान न्यायाधीश श्री राजेश श्रीवास्तव द्वारा मृतिका की देहाती नालिसी एवं मारणासन्न कथन को उक्त साक्षीगण प्रधान आरक्षक राजेन्द्र सिंह डा.भरत आर्य एवं तहसीलदार बी. एस. मरकाम के कथनों का गंभीर एवं सूक्ष्म अवलोकन एवं प्रकरण में आई अन्य साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी देवराज के विरूद्ध विश्वास योग्य पाते हुए आरोपी देवराज को धारा 302 भा.द.सं. के अंतर्गत दोषसिद्ध मानते हुए आजीवन कारावास एवं 5000 रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया प्रकरण में शासन की और से पैरवी बी.एस. ठाकुर आतिलोक अभियोजक आष्टा द्वारा की गई।