आनन्द भैया गाँधी
बुजुर्ग भाजपा कार्यकर्ताओं को सिरे से खारिज करके सरकार बनते ही जिस तरह से भाजपा ने नये आये लोगों को सिर पर बैठाया.....कभी संघ से आमद कराकर अराजनैतिक लोगों को प्रदेश कार्यालय के महत्वपूर्ण पदों का पदाधिकारी बनाया तो कभी कांग्रेस से आये नये लोगों को पदासीन कर दिया... इस तरह की घटनाओं से पहले से ही भाजपा के पारम्परिक लोगों की स्थिति कुछ नाराजगी वाली चल रही है। उस पर भाजपा अब अपने युवा दल को भी व्यवस्थित नहीं कर पा रहा है। जबकि किसी भी राजनैतिक संगठन के लिये युवा कार्यकर्ताओं का महत्व सर्वाधिक होता है लेकिन भाजपा की स्थिति जिले में दयनीय है....सत्तासीन भाजपा सत्ता से दूर रहकर जितनी व्यवस्थित चल पा रही थी बेचारी सत्ता में आने के बाद संगठन की दृष्टि से बहुत पीछे नजर आ रही है।प्रदेश भर में प्रसार-प्रचार का हंगामा-सा खड़ा करके और सत्ता का लाभ उठाकर कुछ अखबारों में तरह-तरह के समाचार प्रकाशित कराकर पिछले दिनों से भले ही भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष युवाओं को जोड़ने विशाल वाहनों के काफिले के साथ निकल पड़े हों लेकिन मुख्यमंत्री के गृह में उनकी यह यात्रा टांय-टांय फिस्स नजर आई है, तो फिर अन्य जिलों में जो वो परचम लहराने की बात करते हैं उससे कैसे सरोकार रखा जा सकता है। जिला मुख्यालय पर जब भाजयुमो का प्रदेश अध्यक्ष आया तो उसके स्वागत के लिये इन-बीन-तीन लोग नजर नहीं आये। वरना युवाओं का उत्साह क्या किसी से छुप सकता है....।
उत्साह से याद आया जिस दिन भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष की रात बड़ा बाजार में कार्यकर्ता सभा थी उसी दिन सीहोर टाकीज की अंग्रेजी शराब दुकान के आसपास कुछ बाहर से आये युवाओं की टोली काफी देर तक गदर मटरगश्ती करती नजर आई, यह युवक बकायदा मारुती में आये थे, खुले आम नशा कर रहे थे और स्वयं को किसी दादा से कम नहीं मान रहे थे। इनका आचरण, व्यवहार, बातचीत और रुपये खर्च करने का तरीका सबकी निगाह में खटक रहा था....। इसी नगर में एक स्थान पर युवाओं को राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ने की बात हो रही थी और दूसरी तरफ कुछ युवा अपसंस्कृति फैलाकर असामाजिक कृत्य कर रहे थे यह कौन थे...क्या थे....क्यों इसी दिन सीहोर आये थे...यह प्रश् न सिर्फ जनता के लिये विचारणीय है बल्कि जिला भाजयुमो (यदि कहीं है) को भी इस पर विचार कर लेना चाहिये।
मुख्यमंत्री शिवराज के चक्कर में प्रदेश भाजपा का जो हुआ सो हुआ होगा लेकिन सीहोर का भाजपा संगठन ठिकाने लग गया प्रतीत होता है तभी जिला भाजपा संगठन आज तक अपने पदाधिकारियों की नियुक्तियाँ नहीं कर पाया है, न सीहोर में एल्डरमेन बने हैं न बनेंगे, न शासकिय संस्थाओं में सत्ता संगठन के प्रतिनिधियों के पद भराये हैं....और जहाँ कांग्रेसी काबिज हैं वह आज भी यथावत हैं....यहाँ ऐसा लगता है कि सत्तासीन भाजपा नहीं बल्कि बेचारी भाजपा सीहोर में है। यही हाल भारतीय जनता युवा मोर्चा का नजर आता है, जिलाध्यक्ष जिस युवक को बनाया जिले के पदाधिकारियों से उसका 36 का आकड़ा रहता है, कुछ से उसकी पटती ही नहीं है और कुछ उससे बातचीत करना पसंद नहीं करते.....ऐसे में पदों की नियुक्ति की बात करना तो बहुत दूर की बात है....।
और ऐसी जीर्ण-शीर्ण-दयनीय भाजपा के युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अपनी पत्रकार वार्ता में कह गये कि हम इस जिले में 20 हजार कार्यकर्ता बनायेंगे... उनसे संकल्प पत्र भरवायेंगे...उन्हे शिवराज सिंह चौहान को पुन: मुख्यमंत्री बनवाने का संकल्प दिलायेंगे.... क्या ऐसे ही संकल्प दिला दिया जायेगा.....क्या जैसे कागजों पर भाजपा सरकार की योजनाएं चल रही हैं....वैसे ही अब कागजों में 20 हजार कार्यकर्ता भी बन जायेंगे....क्या सत्ता में आने के बाद भाजपा इतनी दयनीय स्थिति में आ गई है कि वह भी झूठे प्रलाप करने लगी है...जमीन को छोड़ चुकी है....चने खाने वाली पार्टी अब जमीनी कार्यकर्ताओं की पहुँच से दूर हो गई है....ग्लैमर पैदा करके, पत्रकार वार्ता में और मंचों से ढींगे हांककर जमीनी हकीकत से मुंह मोड़कर, भाजयुमो क्या दर्शाना चाहता है....जिस सीहोर भाजयुमों संगठन का ही कहीं अता-पता नहीं चल पा रहा है....जो अपने निर्माण और विस्तार के लिये तरस रहा है....वो बेचारा क्या खाक 20 हजार नये युवाओं को जोड़ेगा....।
लगता है दिल बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है की तर्ज पर ही विश्वास सारंग जबरिया विश्वास जता रहे हैं कि हर जिले में 20 हजार से यादा कार्यकर्ता बनाऊंगा....।
सत्तासीन भाजपा को एक बार फिर विचार कर लेना चाहिये कि उसके अनुशांगिक संगठन भाजयुमो का प्रदेश अध्यक्ष यदि मुख्यमंत्री के गृह जिले में जाता है....और उसके स्वागत के लिये कोई नजर नहीं आता है...संकल्प पत्र भराने की बात तो दूर संगठन के पदाधिकारियों की सूची ही अधूरी रह जाती है...तो फिर विश्वास सारंग का फैलाया हुआ यह प्रपंच कहीं भाजपा के लिये घातक साबित न हो जाये...।