Tuesday, June 3, 2008

बंजर खेत में भी पटवारी ने चना जला बताकर मुआवजे का प्रकरण बना दिया

आष्टा 2 जून (नि.प्र.)। आष्टा तहसील कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी क्षेत्र में भ्रमण नहीं करने से एक और जहाँ अधिकांश निरंकुश हो गये हैं वहीं क्षेत्र के पीड़ितों, शोषितों, किसानों के हाल बेहाल हैं। इसका उदाहरण है आष्टा तहसील का ग्राम पावखेड़ी यहाँ के पटवारी ने एक कृषक से सांठ-गांठ कर उसकी ऐसे जमीन का मुआवजा प्रकरण बना दिया जिस जमीन में कभी चना बोया ही नहीं गया आज भी उक्त जमीन मौके पर बंजर पड़ी है। तथा उस जमीन पर केवल घांस ऊगी हुई है।
जब शिकायत ग्रामीणों ने की तो तहसीलदार मौके पर पहुँचे तो ग्रामीणों की शिकायत सही पाई गई अब पटवारी को निलंबित करने की कार्यवाही के लिये नोट शीट एसडीएम की टेबल पर पहुँची है। गेहूँ चने की सैकड़ो किसानों की फसलें ठंड से नष्ट हुई सीधे-साधे भोले भाले किसानों को तो पटवारियों ने अपने पास फटकने तक नहीं दिया जो किसानों ने बताया कि उसे लिखा नहीं जो लिखा वो सही नहीं लिखा। ऐसा कई किसान बताने रोजाना तहसील में पहुँच रहे हैं। आखिर ऐसा पटवारियों ने एक योजना के तहत ही तो किया होगा ? ग्राम पावखेड़ी के ग्रामीणों ने मुआवजे के जब चैक बंटे तो पाया एक किसान जिसका शामिल खाता विष्णुप्रसाद, महेश प्रसाद, दिनेश प्रसाद पुत्र चन्दर सिंह भूमि खसरा क्रमांक 2412 है को उक्त जमीन पर चना जला पाया बताकर मुआवजे के रुप में पटवारी ने प्रकरण बनाया और स्वीकृत करा कर मुआवजे का चैक दिया गया। जिस जमीन पर चना जलना बताया वो जमीन तो बंजर है। उस पर घांस ऊगी हुई है तब ग्रामीणों ने तहसीलदार बिहारी सिंह को शिकायत की तहसीलदार मौके पर पहुँचे तो शिकायत सही पाई गई। तहसील कार्यालय से बताया कि ग्रामीणों की शिकायत सही पाई गई है। उक्त जमीन पर घांस उगी है पटवारी के खिलाफ कार्यवाही के लिये एसडीएम महोदय की शिकायत पेश की है तथा जो मुआवजे का चैक दिया गया है वो भी वापस लिया जायेगा। यह तो एक शिकायत है ऐसे अनेकों ग्राम है और कई पटवारी है जिन्होने गेहूँ, चने जलने के मामले में अपने हाथों की खुजाल जमकर मिटाई है। अगर एसडीएम ग्रामों में जाकर देखें तो कई रोचक जानकारियज्ञँ उन्हे मिल सकती है। स्मरण रहे कुछ दिनों पूर्व मैना के कृषक मिश्रीलाल खाती ने भी एक कम मुआवजे की शिकायत की उसे भी देखा जाना चाहिये।