जावर 9मई (नि.प्र.)। कल-कल करते हुए सबको शुद्व और पवित्र करने वाली तथा प्यास बुझाते हुए भूमि को सींचकर अन्न-भण्डार देने वाली नदी आज स्वयं प्रदूषित होकर शुद्विकरण की बाट जोह रही है ।
नेवज नदी के तट जल भण्डार से रिक्त होकर गंदगी के अतिक्रमण से अपनी बदहाली आंसू बहा रहे है । देवांचल से जावर तक की दस किमी लम्बी यात्रा के बाद मेहतवाड़ा की बाल्यावस्था से तरूणावस्था की ओर पैर रखती हुई नदी अब अपने तटों को भी सुरक्षित नही कर पा रही है ।
जहां एक और गंदगी का साम्राज्य नदी पर बने डेम से बस स्टेण्ड के पास पुल तक व्याप्त है वही पुल के दोनो और अवैध रेत का खनन करने वालों ने किनारों को खोदकर नदी के तटों को विकृत स्वरूप दे दिया है । जिससे बस स्टेण्ड के पास रखी गुमठियां ही खतरे में आ गई है ।
पूर्व समय में मंदिर में रहने वाले महात्मा संत नदी किनारें बने घाट पर स्नान कर नदी में बहते जल एवं किनारों की पवित्रता प्रमाणित करते थे। वही नदी मे बने गंगा जल झीदे से लोग प्यास भी बुझाते थे वही स्नान और पशुओं के पानी पीने की व्यवस्था भी होती थी ।
आज इन स्थानों पर लोग मल त्याग करके गंदगी फैला रहे है । नन्नूलाल का कहना है कि नगर पंचायत भी नदी की सफाई और इसे प्रदूषण मुक्त रखने की दिशा में कोई ठोस उपाय नही कर रही है। वही सुभाष भावसार का कहना है कि बस स्टेण्ड के आसपास के कटते किनारों के लिए भी प्रोजेक्ट बनाना चाहिये । नूतन कुमार जैन का कहना है कि नदी में मिलने वाले गंदे नाले के कारण भी नदी अब एक गंदा नाला बन कर रह गई है। नगर पंचायत को गंगा जल झीरा, किनारे के घाटों को गंदगी से मुक्त कराकर नदी में शौच करने वाले लोगों पर रोक लगाना चाहिये । संतोष लश्कार का कहना है कि नए घाटों का निर्माण कर नदी के किनारों को सौन्दर्यी करण करना चाहिये । इससे किनारों का कटाव भी रूकेगा ।