आष्टा 17 मार्च (फुरसत)। आष्टा सिविल अस्पताल में पदस्थ डाक्टरों की अब इतनी हिम्मत और यूं कहे कि दादागिरि बढ़ गई है कि अब उनके लिए जिलाधीश के प्रतिनिधि अर्थात रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष एस.डी.एम. के आदेश निर्देश की कोई मायने नही रखते डाक्टर उनके निर्देशों को एक तरह से रद्दी की टोकरी में डाल कर यह दर्शाते है कि अस्पताल में कोई कुछ भी कहें या निर्देश दे, होगा वो ही जो हम चाहेंगे इसका उदाहरण आष्टा सिविल अस्पताल के केम्पस में बन रहा यूनानी दवाखाना का भवन है डाक्टर इस भवन को ऐसे स्थान पर बनवाने में जुटे है जो नगर के मरीज और उनके साथ आने वाले परिजनों के आने-जाने का मुख्य रास्ता है लेकिन कुछ डाक्टर इस आम रास्ते को बंद करने के लिए कई वर्षो से जी जान से जुटे है लेकिन नागरिकों के कडे विरोध के कारण वे ऐसा नही कर पाये लेकिन जैसे ही अस्पताल में यूनानी दवाखाने का भवन बनने का मौका आया तो डाक्टरों ने उक्त आम रास्ते को बंद करने का रास्ता खोल लिया है और रोक्स के सामने उक्त रास्ते के सामने पड़ी खाली जमीन जो मरीजों के तथा इस परिसर में रहने वाले कर्मचारियों के जाने आने का रास्ता है बंद करने का उद्देश्य से बंद कराने के लिए उक्त स्थल को बतला दिया । रोक्स की बैठक में जब यह प्रस्ताव आया तब कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया तब जवाब दिया कि उक्त रास्ता बंद नही करेंगे रास्ता चालू रहेगा ।
लेकिन जब कार्य प्रारंभ हुआ तो पुरा रास्ता बंद करने के हिसाब से कार्य प्रारंभ हुआ । तभी पुन: विरोध प्रांरभ हुआ शिकायत कलेक्टर सीहोर और एसडीएम तुफानसिंह अहिरवार को की । स्वयं अहिरवार स्थल निरीक्षण करने पहुंचे और हकीकत जानने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने उक्त रास्ता बंद नही करने, कार्य रोकने का कहा एक दिन कार्य रूका लेकिन पुन: जब कार्य प्रारंभ हुआ तो कई लोगों ने भाजपा जिलाध्यक्ष ललित नागौरी को डाक्टरों की मनमानी की शिकायत की खबर है कि नागौरी ने तत्काल जिलाधीश सीहोर एवं एसडीएम आष्टा को शिकायत कर कड़ी नाराजी दर्ज कराई बाद में एसडीएम ने तत्काल कार्य रोकने के लिए नायब तहसीलदार को अस्पताल भेजा ।
खबर है कि आष्टा के जन प्रतिनिधि इस मामले में दोहरी चाल चल रहे थे वे कलेक्टर को कुछ और कह रहे थे वही जो लोग शिकायत कर रहे उन्हें कुछ और । अधिकांश लोगों का कहना है कि उक्त भवन डा. के.के.चतुर्वेदी के मकान के पास जो खाली जमीन पड़ी है । वहां पर बनाया जाये लेकिन रोक्स उस ही स्थान पर बनाने पर ना जाने क्यों अड़ी है । जो अस्पताल जाने-आने वालो के लिए रास्ता है । अब तो नागरिकों ने रोक्स से मांग की है कि वर्तमान में उक्त रास्ता जो तीन फिट का है उसे और बड़ा किया जाये क्यों कि नगर का अधिकांश नागरिक जो अस्पताल में जाता है । वो इसी मार्ग से जाता है । इसलिए उक्त मार्ग को बड़ा किया जाए । देखना है कि रोकस अपनी मनमानी करती है या कलेक्टर, एसडीएम के निर्देशों का पालन करती है ।
लेकिन जब कार्य प्रारंभ हुआ तो पुरा रास्ता बंद करने के हिसाब से कार्य प्रारंभ हुआ । तभी पुन: विरोध प्रांरभ हुआ शिकायत कलेक्टर सीहोर और एसडीएम तुफानसिंह अहिरवार को की । स्वयं अहिरवार स्थल निरीक्षण करने पहुंचे और हकीकत जानने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने उक्त रास्ता बंद नही करने, कार्य रोकने का कहा एक दिन कार्य रूका लेकिन पुन: जब कार्य प्रारंभ हुआ तो कई लोगों ने भाजपा जिलाध्यक्ष ललित नागौरी को डाक्टरों की मनमानी की शिकायत की खबर है कि नागौरी ने तत्काल जिलाधीश सीहोर एवं एसडीएम आष्टा को शिकायत कर कड़ी नाराजी दर्ज कराई बाद में एसडीएम ने तत्काल कार्य रोकने के लिए नायब तहसीलदार को अस्पताल भेजा ।
खबर है कि आष्टा के जन प्रतिनिधि इस मामले में दोहरी चाल चल रहे थे वे कलेक्टर को कुछ और कह रहे थे वही जो लोग शिकायत कर रहे उन्हें कुछ और । अधिकांश लोगों का कहना है कि उक्त भवन डा. के.के.चतुर्वेदी के मकान के पास जो खाली जमीन पड़ी है । वहां पर बनाया जाये लेकिन रोक्स उस ही स्थान पर बनाने पर ना जाने क्यों अड़ी है । जो अस्पताल जाने-आने वालो के लिए रास्ता है । अब तो नागरिकों ने रोक्स से मांग की है कि वर्तमान में उक्त रास्ता जो तीन फिट का है उसे और बड़ा किया जाये क्यों कि नगर का अधिकांश नागरिक जो अस्पताल में जाता है । वो इसी मार्ग से जाता है । इसलिए उक्त मार्ग को बड़ा किया जाए । देखना है कि रोकस अपनी मनमानी करती है या कलेक्टर, एसडीएम के निर्देशों का पालन करती है ।