Monday, March 17, 2008

गेहूं सहित अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के भाव सातवे आसमान पर

सीहोर 16 मार्च (नि.सं.)। आसमान छूते भावों ने आम जनता की कमर ही तोड़कर रख दी है । सुरसा की तरह दिन व दिन वढ़ रही मंहगाई ने आम लोगों का जीना हराम कर रखा है । वहीं मुनाफा खोरों की बन आई है ।
रोज मर्रा उपयोग में आने वाली उपभोक्ता बस्तुओं तेल, साबुन, सब्जी भाजी के ऊंची कीमत से मध्यमवर्गीय और गरीब तबका सर्वाधिक प्रभावित दिखाई देने लगा है। लगातार बढ़ती मंहगाई ने उसका निवाला छीन कर उसका जायका बिगाड़ कर रख दिया है ।
आम आदमी को अपना पेट भरने के लिए रोटी की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस होती है और इसके लिए वह तरह-तरह के जतन कर उसका जुगाड़ करता है लेकिन गेहूं की लगातार बढ़ती किमतों ने जैसे उसकी हिम्मत ही तोड़ कर रख दी है। इन दिनों स्थानीय कृषि उपज मंडी में गेंहू और चने की सर्वाधिक आवक हो रही है आज मण्डी में 4,731 क्विंटल. गेंहू की आवक हुई लेकिन हल्का गेहूं तथा शरवती स्तर का गेहूं 2,201 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर किसानों से खरीदा गया । गेहूं के मूल्य में लगातार बढोत्तरी होने से उपभोक्ताओं को अच्छी खासी परेशानी का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है । जब मण्डी व्यापारी ही जिस गेहूं को 2 हजार से ऊपर प्रति. क्विंटल खरीद रहा है तो निश्चित ही वह गेंहू उपभोक्ताओं को इससे कहीं अधिक दाम चुका कर हासिल करना होगा । खाने के तेल, घी, चाय शक्कर के दाम भी बढ़ जाने से नागरिकों को रोजमर्रा की तकलीफे बढ़ने लगी है । सोयाबीन तेल इन दिनों 72 से 80 रुपये प्रति किलो है तो वही शक्कर 15 से आज 18 रुपये प्रति किलो बिक रही है ।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सर्वाधिक रूप से बढ़ती जा रही मंहगाई से त्रस्त दिखाई दे रहे है । उचित मूल्य की दुकानों से बीपीएल ओर एपीएल कार्डधारियों के गेहूं में तो बढ़ोत्तरी कर दी गई है । वही चावल बीपीएल कार्ड धारियों को दो किलो एवं एपीएल कार्डधारियों को 500 ग्राम प्रति माह ही दिया जा रहा है । जबकि शक्कर प्रति सदस्य 500 ग्राम निर्धारित की गई है । कहने का मतलब है कि खुले बाजार में तो आसमान छूते भावो से आम उपभोक्ता दुखी है ही वहीं गरीबी रेखा के कार्ड धारियों को शा.उचित मूल्य दुकानों पर खाद्यान्न कटोती का सामना कर दोहरी भार झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है । उचित मूल्य दुकानों पर शक्कर जहां 14 रुपये प्रति किलो के मान से प्राप्त होती है वहीं बाजार में 18 रुपये बेची जा रही है । गरीब उपभोक्ता को शासकीय कन्ट्रोल दुकानों पर शक्कर के लिए भटकते आसानी से देखा जा सकता है । दुकान संचालक शक्कर नही है का रटारटाया जवाब देकरद हमेशा मायूस करता रहता है। होली के त्यौहार में चंद रोज ही बचे है । लेकिन उपभोक्ताओं को त्यौहार मनाने के लिए भी शक्कर अभी तक दुकानों पर नही मिल रही है ।