Tuesday, January 22, 2008

दिग्भ्रमित मत करो....शहीदों को तो छोड़ दो?

भारत माँ हम सभी भारतीयों की पूज्‍यनीय है। गर ऐसा ना होता तो हम अंग्रेजों के शासन में भी रह सकते थे लेकिन हमारी भारत माता परतंत्र हो यह हमें गवारा नहीं था...हमारा देश स्वतंत्र हो इसके लिये भारत माता के लालों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। अपने प्राणों का बलिदान उन्होने भारत माता पर ही तो किया है....माता की गोद में हंसते-हसंते सो जाने का उन्हे जरा मलाल नहीं था....सीना चौड़ा कर गोलियाँ खा लेते थे इसी भारत माता के लिये.....हजारों नहीं लाखों लोग 1857 के महासंग्राम में और फिर 1947 तक शहीद हुए तो सिर्फ इसी भारत माता की स्वतंत्रता के लिये....। जंजीरों में जकड़ी हमारी भारत भूमि स्वतंत्र हो उसे आजाद कराने के लिये भले ही हमें अपना सर्वस्व, अपने प्राण ही क्यों न गंवाने पड़ जाये लेकिन माता की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है ऐसी भावनाएं कूट-कूटकर भरी थी देश के उन लाखों शहीदों में.....।
आज इसी हमारी भारत माता का एक मंदिर का सीहोर में भी निर्माण होना शुरु हो रहा है जिसके के लिये प्रथम चरण के रुप में संस्कार भारती संस्था द्वारा 1857 के स्वातंत्र्य समर में शहीद हुए शहीद स्थलों की मिट्टी संग्रह का कार्यक्रम रखा गया है। सीहोर में न्यायालय परिसर के पीछे स्थित वैशाली नगर के नागरिक इस पुण्य कार्य को करने का सौभाग्य प्राप्त करने जा रहे हैं। इस कार्य से जुड़े सभी पुण्यात्माओं को बारम्बार नमन है।
लेकिन शर्म आनी चाहिऐ सीहोर के उन क थित बुध्दिजीवियो को जो स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए क्रांतिकारियों और अमर शहीदों पर भी अपनी ओछी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे....शर्म आनी चाहिऐ उन लोगों को जो छद्म लाभ के लिये शहीदों को अपना निशाना बनाने में जुट गये हैं...। कहाँ तो हजारों लोगों ने इस बात की परवाह किये बिना, की देश की आजादी में यदि वह शहीद हो भी गये तो क्या उनका नाम होगा या नहीं ? वह समर में कूद गये और सबसे आगे बढ़कर शहीद हुए। और एक आज के वह लोग हैं जो बिना अंगूली कटाये ही शहीद होने के लिये लालायित हैं और उस पर गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। लेकिन उन्हे यह नहीं मालूम की उनकी यह जरा-सी नादानी उन लाखों शहीदों के प्रति और इस भारत माता के प्रति किया गया जघन्यतम अपराध है।
असल मेरा मुद्दा यह है कि देश की आजादी के बाद उन लाखों ज्ञात-अज्ञात शहीदों की स्मृति में देश भर में जगह-जगह जय स्तंभ स्थापित किये गये थे और मुख्यत: ऐसे स्तंभ शासकिय विद्यालय या महाविद्यालयों के प्रांगण में बनाये गये थे कुछ शहरों में इन्हे प्रमुख चौराहों पर भी बनाया गया है ताकि उन्हे देखकर नई युवा पीढ़ी में राष्ट्रवादी सोच विकसित कर सके। लेकिन सीहोर में इस साल अचानक इस स्तंभ के साथ राजनीति खेलते हुए भोपाल से प्रकाशित एक अखबार ने जानबूझकर बिना किसी ऐतिहासिक साक्ष्य या संदर्भ के यह समाचार प्रकाशित कर दिया कि शा.स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रांगण में 1857 में 100 शहीदों को मार दिया गया था.....। यहीं से इतिहास के साथ खिलवाड़ करने का घिनौना खेल शुरु हुआ और नगर के आम जन को दिगभ्रमित करने का कुत्सित प्रयास किया गया। बात यहीं खत्म नहीं हुई फिर बढ़कर नगर के कुछेक तत्वों द्वारा मौखिक प्रचार के रुप में बताया जाने लगा कि इसी स्थान पर बहुत बड़ी संख्या में लोग शहीद हुए थे। जबकि इसका ना तो कोई प्रमाण है, न उल्लेख है, न पूर्व वर्ष तक इसको लेकर कभी किसी पूर्वज या सीहोर के नागरिकों ने इस संबंध में कोई जानकारी दी ..... लेकिन अब ऐसा झूठा प्रचार किस निजी स्वार्थ के लिये किया और कराया जा रहा है? नगर के बुध्दीजीवियों को यह अच्छी तरह मालूम है कि इतिहास के साथ खिलवाड़ करने की इस परम्परा का सूत्रधार कौन है ? वह लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं। नगर में भारत माता का मंदिर निर्माण होने जा रहा है जिसका भूमि पूजन संस्कार भारती के बेनर तले 26 जनवरी गणतंत्रता दिवस पर किया जायेगा। साथ ही कल 23 जनवरी को चूंकि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती है इसलिये भारत माता के वीर सपूत नेताजी की जयंती का लाभ उठाकर कल सीहोर में हुए शहीदों के शहीद स्थलों से मिट्टी संग्रह का कार्यक्रम भी किया जाना है। इस राष्ट्रीयता से ओतप्रोत कार्यक्रम में मिट्टी का संग्रह उपरोक्त दुष्प्रचार के कारण महाविद्यालय प्रांगण में बने स्तंभ से किया जाने वाला था। यदि ऐसा हो जाता तो निश्चित ही भारत माता के प्रति आस्थावान नगर वासियों के साथ इस प्रकार के दुराग्राही दुष्प्रचारकों द्वारा किया गया यह बड़ा अपराध होता। हे भारत माता इन लोगों को सद्बुध्दी प्रदान करें और सीहोर की इस धरा को नई ऊँचाईयाँ प्रदान करने का आशीर्वाद प्रदान करे।