Friday, January 2, 2009

जब तक डाक्टरों की गुटबाजी खत्म नहीं होगी, अस्पताल की व्यवस्थाएं नहीं सुधर सकती

      आष्टा 1 जनवरी (नि.प्र.)। जो खुद अपनों के कारण गंभीर रुप से व्यवस्थाओं की बीमारी से बीमार हो वो दूसरे आने वाले मरीजों को क्या ठीक करेगा। आष्टा का सिविल अस्पताल में डाक्टरों की गुटबाजी, एक दूसरे को नीचा दिखाना, कर्मचारियों की मनमानी आदि अनेकों ऐसे कारण है जिससे आष्टा को सिविल अस्पताल गंभीर रुप से बीमार है। कल रात्री में इसका उदाहरण देखने को मिला जब ब्लास्ट के कारण आये गंभीर मरीजों को अस्पताल की लापरवाही के कारण अंधेरे के कारण मरीजों को टार्च के उजाले में उपचार कर रवाना करना पड़ा। आष्टा सिविल अस्पताल रोकस की अध्यक्ष एसडीएम ने व्यवस्थाओं को सुधारने के काफी प्रयास किये। लेकिन उनके सभी प्रयासों को अस्पताल की गंदी राजनीति ने निराशा में बदल दिया।

      आष्टा के सिविल अस्पताल में विद्युत कटौती के वक्त अस्पताल में उजाला रहे इसके लिये एक बूढ़ा जनरेटर है जो महिने में 5-10 बार खराब होता है। जनरेटर, इनवर्टर, बिजली आदि सुधारने जाने का एक ठेके दार को 1 हजार रुपये प्रति माह में ठेका दिया है ये महाशय क्या करते हैं क्या नहीं करते? यह किसी से नहीं छुपा है। जब इनकी वास्तविकता ज्ञात हुई तो एसडीएम ने इनसे कार्य ना कराकर किसी अन्य से कार्य कराने को कहा है अस्पताल में कई लाईट पंखे बंद पड़े हैं। लाईने खुली है, जनरेटर जब देखो तब खराब रहता है कोई डाक्टर व्यवस्था सुधारने की बात करता है तो दूसरा उसकी टांग खेंच देता है। अस्पताल से पहले इनवर्टर चोरी गया जो आज तक नहीं मिला। थोड़े दिन पहले एक कर्मचारी को ग्लूकोज की बोतलें ले जाते पकड़ा था। वहीं फुरसत को खबर है कि यहाँ से और भी कई सामान गायब है अगर गंभीरता से जांच हो और स्टाक मिलाया जाये तो जरुर बहुत कुछ उजागर होगा। नये विधायक रणजीत सिंह गुणवान को अपना रुप दिखाना होगा तथा अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिये उन्हे कमर कसना होगा। अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्थाओं को लेकर कभी भी जनता को रोष भड़क सकता है।