Thursday, January 1, 2009

क्या जीप में सवार होकर गये थे शिकारी ? वो बंदूक किसकी है जिससे हुआ शिकार

शिकारियों का नया फार्मूला : जीप से जाओ मोटर साईकिल से आओ

      सीहोर 31 दिसम्बर (नि.सं.)। समीपस्थ इछावर तहसील के बोरदी ग्राम से मोटर  साईकिल पर आते हुए एक युवक को कल पुलिस व वन विभाग ने मिलकर पकड़ा था, इसके पास से दुर्लभ वन्य प्राणी भेड़की का मांस भी जप्त हुआ। पकड़ाये युवक पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्यवाही भी की गई लेकिन मामले के अन्य महत्वपूर्ण आरोपियाें को विभाग ने पूरी तरह दबा दिया है।

      आखिर वो कौन लोग थे जिन्होने शिकार किया था ? और उक्त पकड़ाये गये युवक पर भी अभी मामला कुछ इस प्रकार का बनाया गया है जिससे वह आसानी से न्यायालयीन प्रक्रिया में छूट  सकेगा। कुल मिलाकर आरोपियों का साथ दे रहे पुलिस विभाग के एक महत्वपूर्ण मामला दब गया है।

      कस्बाई हल्कों में यह चर्चा बहुत तेजी से फैल चुकी है कि एक प्रभावी व्यक्ति द्वारा परसो रात को शिकार का खेल खेला गया था इसी मामले को पुलिस ने जब पकड़ा तो उसे दबा भी दिया। चर्चा यह चल रही है कि कस्बा क्षेत्र के कुछ लोगों का इन दिनों शिकार खेलने का शोक फरमाया हुआ है और यह लोग अक्सर अपने रईसी शोक को पूरा करने के लिये जंगल में जाकर शिकार किया करते हैं।

      इसी तारतम्य में यह लोग दो दिन पूर्व अपनी जीप में जंगल पहँचे थे जो कम से कम चार-पाँच लोग थे। इन लोगों ने वहाँ आराम से शिकार किया। निश्चित रुप से यहाँ जंगली जानवर भेड़की का शिकार करने के लिये इन्होने काफी समय भी दिया होगा और सारी व्यवस्थाएं भी अपने अनुभव का लाभ उठाकर जुटाई होगी। जिसमें निश्चित रुप से समीपस्थ ग्राम के कुछ लोगों का सहयोग भी हो सकता है।

      चर्चा के अनुसार इन दिनों इन शिकारियों ने नया फार्मूला अपनाया हुआ है। यह शिकार करने तो जीप से जाते हैं लेकिन वहाँ फिर शिकार हो जाने के बाद सबसे पहले शिकार की खाल नोचकर अलग कर देते हैं और फिर मांस को आपस में बांट लेते हैं। इसी मांस को बांटकर कुछ लोग मोटर साईकिल से रवाना होते हैं।

      असल में वन विभाग या पुलिस विभाग वन्य क्षेत्रों से आ रहे चार पहिया वाहनों को संदिग्ध दृष्टि से देखता है लेकिन दो पहिया वाहन पर आ रहा व्यक्ति आसानी से यहाँ से निकल जाता है। इसी का लाभ यह शिकारी भी उठाने लगे हैं। संभवत: पिछले कुछ वर्षों इसी प्रकार यहाँ शिकार करके  मोटर साईकिल पर निकल जाने की व्यवस्था इन शिकारियों ने जमा रखी है।

      चल रही चर्चा में लोग नाम सहित कह रहे हैं कि एक प्रभावी व्यक्ति अपने भतीजे व अन्य साथियों के साथ यहाँ शिकार के गया हुआ था और उसने मांस का बंटवारा करके एक साथी को मोटर साईकिल पर रवाना कर दिया।

      जबकि वन विभाग और पुलिस ने जब उक्त मामले को देखा है तो सिर्फ एक मोटर साईकिल चालक विलाल नामक युवक के पास से भेड़की का मांस मिला है वह भी आधा है। अब प्रश्न उठता है कि इसके पास से जो कारतूस मिले हैं वह किसकी बंदूक के हैं और वह बंदूक कहाँ गई ? भेड़की का शिकार किसकी बंदूक से हुआ ? और किसने किया ? और वो बंदूक चलाने वाला कहाँ गायब हो गया ? जंगल में भेड़की का शिकार करने के लिये अकेला विलाल तो जाने से रहा तो फिर उसके साथ गये अन्य लोग कहाँ चले गये ? इसके अलावा मांस के शेष टुकड़े, शिकार करने का स्थल और भेड़की की खाल किसके पास है इसकी जांच भी जाना चाहिये। निश्चित रुप से इन बिन्दुओं पर विलाल से पूछताछ की जाये तो इस शिकार के खेल में और भी महत्वपूर्ण लोगों के नाम शामिल हो सकते हैं। लेकिन यहाँ चर्चा यह चल पड़ी है कि मामले में विलाल को पकडने वाला पुलिस विभाग उन महत्वपूर्ण लोगों को पकड़ने से बच रहा है जिन लोगों की इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका थी। असल में इन लोगों के तार पुलिस विभाग से भी लम्बे समय से जुड़े हुए हैं इसी लाभ इन लोगों को मिल रहा है।

      सत्य क्या है ? असल घटना क्या है ?  नगर में फैली चर्चाओं के संबंध में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। देखते हैं पुलिस व वन विभाग की जांच में अभी तक जो बातें सामने आई हैं उससे बढ़कर भी कुछ आता है या नहीं।