आष्टा 13 अक्टूबर (सुशील)। इस बार विधानसभा के होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस कुछ अधिक ही चिंता पाले हुए है लेकिन उसकी चिंता का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है कांग्रेस को चिंता है की इस बार पिछली चार बार से विधानसभा के चुनाव से हार का जो सिलसिला चला आ रहा है उसे कैसे तोड़ा जाये ? जब कांग्रेस इसको लेकर बैठकर चिंतन करती है तो उसके सामने कांग्रेस के वे सैकड़ो चेहरे सामने आ जाते हैं जो दिन में कट्टर कांग्रेसी का चोला ओढ़े रहते हैं और रात होते ही वे भाजपाई हो जाते हैं ऐसे कमल छाप कांग्रेसियों के कारण ही कांग्रेस की आष्टा विधानसभा क्षेत्र के होने वाले विधानसभा चुनाव में लगभग 17-18 साल से पराजय का मुँह देखते आ रहे हैं। जब तक कांग्रेस ऐसे कमल छाप कांग्रेसियों के चेहरों को बेनकाव नहीं करेगी तब तक कांग्रेस को ऐसी ही पराजयों का सामना करना पड़ सकता है। 2003 में विधानसभा के सम्पन्न हुए चुनाव में कांग्रेस जमीन पर आ गई चुनाव में हार के बाद कांग्रेस साढ़े चार साल में खड़ी नहीं हो पाई। अभी भी जब कांग्रेस ने नये चेहरों को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और उन्होने जिले में कांग्रेस को खड़ा करने का प्रयास किया तो उन्हे जिले में कांग्रेस की गुटबाजी ने परेशान कर दिया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार ने चर्चा के दौरान कहा था कि उन्हे जिस उम्मीद से जिले की कमान सौंपी है सभी को साथ लेकर वे अबकी बार कांग्रेस को अच्छे परिणाम देंगे लेकिन परमार की अच्छी सोच पर कई कांग्रेसियों का अहं आड़े आ गया और एक बार फिर जिले में कांग्रेस का वही पुराना ढर्रा शुरु हो गया जैसा पहले चला करता था। कांग्रेस जो खुद ऊपर गुटों में बंटी है वो नीचे वालों को कैसे राय दे कि भैया सुधर जाओ। कांग्रेस में हो तो कांग्रेस की दिन में भी और रात में भी बात करो, लेकिन जो खुद गुड़ खता है और दूसरों को गुड़ खाने का मना करे यह कैसे संभव है।
आष्टा में भाजपा के एक दावेदार का कांग्रेस समर्थक कई सरपंच जीत का भरोसा देकर कह रहे हैं कि आप चुनाव लड़ो...? जब कांग्रेस की मानसिकता के लोग ऐसा करेंगे तो कांग्रेस कहाँ से जीतेगी ? वहीं ऐसे नेताओं के चेहरों को भी अब कांग्रेस को पहचानना होगा जो कुर्सी बचाने के लिये कांग्रेस धर्म का पालन करने में मौन साधे हुए हैं ऐसे चेहरों को भी कांग्रेस के निष्ठावान नेताओं को उजागर करना होगा जो दिन रात भाजपा का चोला ओढ़े रहते हैं तथा ऐसे दल बदलु कांग्रेस के चेहरों को पहचानना होगा जो सत्ता बदलते ही अपना राजनीतिक धर्म भी बदल लेते हैं। वैसे कांग्रेस में कांग्रेस के लिये सब काम कठिन है लेकिन असंभव नहीं है केवल दृंढ निश्चय करना पड़ेगा। इस चुनाव में जिले में कांग्रेस जो विजय का सपना देख रही है वो लगता नहीं है कि सपना पूरा होगा क्योंकि पूरे जिले में कांग्रेस टुकड़ो-टुकड़ों में बंटी है। हर नेता का समर्थक कांग्रेस जिंदाबाद का नारा बाद में लगाता है पहले वो अपने नेता का जिंदाबाद का नारा बुलंद करता है जहाँ पार्टी की बाद में नेता की पहले जय जयकार होती हो वहाँ पार्टी के क्या हाल होंगे यह सीहोर जिले में देखा जा सकता है।