Tuesday, October 14, 2008

जात बाहर बंदर-बंदरियाँ बने परेशानी का सबब

सीहोर 13 अक्टूबर (घुमक्कड़)। जात से बाहर निकाले गये एक लाल मुंह की बंदरिया से जहाँ सीहोर का पूरा बस स्टेण्ड क्षेत्र लम्बे समय से परेशान है वहीं एक विशाल काला बंदर छावनी में परेशानी का कारण बना हुआ है। बंदरों ने एक तरह से आतंक मचा रखा है यह जहाँ दिखते हैं लोग भागने लगते हैं। बंदरियों ने कई बच्चों को घायल कर दिया है और काले बंदर ने आज बुजुर्ग महिला की पीठ में काटकर बड़ा घाव कर दिया है जिन्हे रेबीज महंगे टीके लगेंगे। वन विभाग ने आज तक इस तरफ सुध नहीं ली है। जबकि जात बंदर और बंदरियाँ यहाँ आतंक का पर्याय बनते जा रहे हैं।

      आज सुबह अपने ओटले पर बैठकर दातून कर रही हैं श्रीमति शारदा देवी शास्त्री मोदी स्कूल के सामने जयविलास ट्रेडर्स संचालक की माताजी के पीछे आकर एक बंदर बैठ गया। जब इसे भगाने के लिये प्रयास किया गया तो यह भागा ही नहीं बल्कि इसने आक्रामक मुद्रा बना ली। यह पहले तो स्थिर रहा और जब माताजी अपना दातून करने लगी तो अचानक इसने उन हमला बोल दिया। पीछे से पीठ पर बुरी तरह इसने काट खाया बमुश्किल इससे छुड़ाया जा सका। भीड़ एकत्र हुई तो बंदर भाग गया। श्रीमति शास्त्री की पीठ में बड़ा घाव हो गया जिस पर टांके आये हैं तथा चिकित्सक ने उन्हे रैबीज के 5 इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी है।

      यहाँ छावनी में पिछले कुछ दिनों से दिख रहे इस बड़े काले बंदर ने आतंक मचा रखा है, किसी के भी मकान की छत पर पहुँचकर सामान फेंकना, उलटना, फैला देना इसकी आदत बन गई है और आज तक इसने हद ही कर दी जब जबरन आकर हमला कर दिया।

      उधर बस स्टेण्ड क्षेत्र में एक लाल मुँह की बंदरिया लम्बे समय से परेशानी का कारण बनी हुई है। यह बंदरिया विशेषकर बच्चों को देखकर उनके पास पहुँच जाती है। यदि किसी की गोदी में बच्चा भी हो तो उसे वह खींचने लगती है, जबरन बच्चे के पास पहुँचकर उसे खेंचना, अपने हिसाब से प्यार करने का प्रयास करना, उसे मारने लगना, बच्चे को फेंक देना इस बंदरियां की आदत बन गई है। बस स्टेण्ड क्षेत्र के कई बच्चे के इसके प्यार के शिकार हो चुके हैं। पूरे क्षेत्र में इसका आतंक सा छाया हुआ है।

      लम्बे समय से इसकी जानकारी वन विभाग को भी कई बार दी जा चुकी है लेकिन स्थानीय वन विभाग इन बंदर-बंदरियाँ के आतंक से आम जन को सुरक्षित करने के प्रयास नहीं कर रहा है। कई लोगों के घायल हो जाने के बावजूद अभी तक वन विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया है।

      नगर पालिका विभाग हो, पुलिस विभाग हो या फिर खुद जिला प्रशासन संभवत: किसी को भी इस समस्या से कोई लेन-देन नहीं है।