सीहोर 14 सितम्बर (नि.सं.)। अनंत चतुर्दशी पर्व पर प्रतिमा विसर्जन को लेकर आज उत्साह दोपहर बाद से ही शुरु हो गया था जो देर रात तक चलता रहा। आज विभिन्न उत्सव समितियों व परिवारों ने सीवन नदी घांट पर पहुँचकर आरती पूजन कर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया। नगर पालिका द्वारा घांटों की सफाई दो दिन पूर्व ही कर दी थी। इस बार विद्युत व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में की गई थी। नदी के अंदर टयूब पर तैर रहे अनेक लड़कों ने आज प्रतिमाओं को बीच नदी में ले जाकर छोड़ने का कार्य भी किया।
कोई आटो, कोई सिर पर तो कोई लाया मोटर साईकिल -कार पर
गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ के जयघोषों के साथ आज दोपहर से ही गणेश उत्सव समितियों के कार्यकर्ताओं ने जुलूस की तैयारियाँ प्रारंभ कर दी थी।
समिति कार्यकर्ता उत्साह पूर्वक गणेश जी को वाहन, ठेले, बैलगाड़ी, ट्रेक्टर-ट्राली पर बैठाकर नदी ले जा रहे थे। कुछ लोग माथे पर भी लेकर चल रहे थे। कुछ लोग दो पहिया वाहन स्कूटर, मोटर साईकिल कुछ आटो तो कुछ साईकिल पर गणेश जी का विसर्जन करने आये। आज विसर्जन के दौरान अनेक मंडपों पर बकायदा हवन पूजन हुआ। कई मण्डपों के बड़े जुलूस निकले जिन्होने बकायदा डीजे के साथ जुलूस निकाला।
हमें दे दो गणेश जी
इस बार भी नदी घांट पर गंगा आश्रम मांझी मोहल्ले के अनेकानेक किशोर बालक टायर के कुछ बड़े टयूब लेकर आये हुए थे और शाम से नदी में तैर रहे थे। एक पटिया उस पर रखकर बैठे हुए तैर रहे थे। यहाँ घांट पर जो भी प्रतिमा विसर्जन करने के लिये आता था उससे यह प्रतिमा मांग लेते थे। लाओ दे दो हमें...कहकर यह प्रतिमा लेने की होड क़रते थे फिर कुछ रुपये में तय करके प्रतिमा लेते और बकायदा उसकी प्रतिमा को हाथ में पकड़कर वह बीच नदी में ले जाते और धीरे से धारा में प्रवाहित कर देते।
यूँ उछल रही थी मानो कोई
और सामान हो...
आज महिला घांट पर देखने में आया कि छोटी प्रतिमाएं घांट पर खड़े होकर भक्तजन उछाल-उछाल कर नदी में प्रवाहित कर रहे थे। इन्हे समझाने वाला कोई हिन्दु नेता या धार्मिक व्यक्ति यहाँ नहीं मिल सका। जितनी प्रतिमाएं जल प्रवाहित नहीं की गई उससे यादा प्रतिमाएं यहाँ उछालकर नदी के बीच में फेंकी गई। एक को दूसरे भी इस नकल को बिना बिचारे करते रहे।
इस वर्ष पुलिस ने अच्छी चाक चौबंद व्यवस्था कर दी थी। नदी घांट से लेकर हर प्रमुख चौराहों पर पुलिस तैनात थी जिससे व्यवस्था बनी हुई थी फिर भी प्रमुख मार्गों पर बीच में यातायात रुक रहा था ।
एक मण्डप वाले नाचे दे दे चुम्मा और बिल्लो रानी के गानों पर
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