आष्टा 24 दिसम्बर (नि.प्र.)। आष्टा में जब नये एस.डी.ओ. जी के रूपये ओकारसिंह कलेश एवं टी.आई. हनुमंत सिंह राजपूत ने पदभार ग्रहण किया तथा जब उन्होंने पत्रकारों से बातचीत कर अपनी जो बात कही की उससे लग रहा था कि अब अपराधियों पर खाकी वर्दी का खोफ नजर आयेगा पुलिस क्या होती है यह भी मालुम पड जायेगा लेकिन जिस गति से आष्टा में चौर एक के बाद एक मोटर सायकल चुराकर ले जा रहे है अभी तक तो नागरिकों की ही मोटर सायकल चुराकर ले जा रहे थे खबर है की अब तो उन्होंने सीधी चुनौती पुलिस वाले की मोटर सायकल चुराकर दे दी है की आष्टा में खाकी वर्दी चाहेगी वो नही हम जो चाहेगे वो ही होगा। दोनों अधिकारियों को अब तो सक्रिय होना चाहिये और बताना चाहिए की आष्टा में पुलिस है और जो वो चाहेगी वो ही होगा खबर हे की दो दिन पूर्व आष्टा थाने में पदस्थ एक पुलिस वाले की मोटर सायकल रात्री में 9 से 10 बजे अज्ञात चौर उस वक्त चुरा ले गये जब उक्त पुलिस वाले भैया अपनी मोटर सायकल सुभाष नगर में अपने किराये के मकान के बहार खडी कर घर में भोजन करने गये थे बदनामी के डर से इस चौरी को अभी छुपाकर रखा जा रहा है क्योंकि अगर रिपोर्ट लिखवाई जाती है तो पुरी पुलिस की बदनामी होगी और जनता कहेगी जब तुम अपनी सम्पत्ति की ही रक्षा नहीं कर सकते तो हमारी क्या करोगे यही हाल चौरों के है जो अभी तक तो इन्दौर भोपाल रोड़ पर रात में ट्रकों की कटिंग कर सामान उतारते थे अब तो वे दिन में ही चलते वाहनों से समान उतार रहे है खेतों पर धड़ल्ले से नेपा वसूली हो रही है पुलिस दलालों के साथ घुमती फिरती है और मजे लुट रही है जब तो खाकी वर्दी वाले की ही मोटर सायकल चोरी गई है अब तो अपनी नाक बचाने के लिए जाग जाओं ऐसा नहीं है पुलिस को नहीं मालुम है की मोटर सायकल चौर कौन हो सकते है ट्रक कटिंग कौन कर रहा है, नेपा बसूली कौन कर रहे है दलाल कौन है, कटिंग का माल कौन खरीद रहा है कहा छुपाया जाता है कंजरों को शरण कौन देता है लेकिन सब कुछ मालुम हो सकता है लेकिन अगर ऐसा पुलिस करेगी तो उसकी दुनिया कौसे चलेगी जिला पुलिस अधीक्षक की शायद आष्टा में जो कुछ हो रहा है उसे नजर अंदाज करके चल रहे है उनका नजर अंदाज करना यहां के पुलिस वालों के लिए बल्ले-बल्ले साबित हो रहा है आष्टा से चोर पुलिस वालों की मोटर सायकल पहली बार नहीं ले गये इसके पहले भी इसी कालोनी से एक ओर पुलिस वाले की मोटर सायकल चुराकर पहले भी ले जा चुके है जावर से एक बार एक पुलिस अधिकारी की बन्दूक ले जा चुके है। सिद्धीकगंज क्षेत्र में तो एक पुलिस वाले के पूर्व में कपडे उतार कर बांध गये थे क्या सुस्त पडी पुलिस अब जागेगी?
पुलिस चाहे तो.... पुलिस चाहे तो अपराध रोक सकते है अपराधियों पर खौप कायम हो सकता है, चौरिया बंद की जा सकती है लेकिन यह सब तब सम्भव है जब पुलिस वर्दी धारण करते वक्त जो शपथ लेती है उस शपथ को अमल में पुरी तरह से लाते हुए जनता की सेवा करें और अपराधियों पर कडी नजर रखे लेकिन जब पुलिस अपराधियों की ओर अनदेखी करे, तो सब कुछ केसे सम्भव है।