सीहोर 20 नवम्बर (नि.सं.)। खड़े होने को तो इस विधानसभा चुनाव में दो-चार नहीं 13 प्रत्याशी मैदान में आ गये हैं लेकिन कुछ प्रत्याशियों को यह समझ नहीं आ रहा कि खड़े होने के बाद अब वह क्या करें ? क्योंकि खडे होने में ही जो राशि खर्च हो चुकी है वह एक बड़ा खर्च हो गया है और ऊपर से कुछ पम्पलेट, पोस्टर से लेकर प्रचार वाहनों का भारी खर्च भी यह ओने-पोने प्रत्याशी कर रहे हैं। लेकिन इनकी हालत हर दिन बिगड़ रही हैं।
असल ऐसे कुछेक प्रत्याशी तो सिर्फ इसलिये खड़े हो जाते हैं कि जब हम जबरन प्रचार कर-करके बड़े प्रत्याशियों को परेशान करने लगेंगे, उन्हे हमसे दिक्कत आने लगेगी तो फिर वह हमें बुलायेंगे और पूछेंगे की भैया कैसे बैठोगे तब हमारा पूरा खर्चा भी वह दे देंगे ऊपर से भी कुछ रुपये मिल जायेंगे और फ्री में हुए प्रचार और लोकप्रियता का मजा तो आयेगा ही। इसी चक्कर में कई छोटे-मोटे लोग किसी ना किसी माध्यम से चुनाव में खड़े हो जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। इनमें एक प्रत्याशी के सर्वाधिक मजे आ रहे हैं वह खड़े होने के बाद से ही घबरा रहे हैं कि उनका खर्च वापस मिलेगा या नहीं इस चक्कर में हर दिन एक प्रचार वाहन तैयार करके वह सीधे प्रचार करते हुए छावनी बड़ा बाजार पहुँचते हैं यहाँ से वह सीधे सीहोर टाकीज चौराहे से होते हुए कुईया गार्डन के सामने से रुकते-रुकते निकलते हैं और फिर धीरे-से अपने घर लौट जाते हैं। वह हर दिन इस प्रयास में लग रहे हैं कि शायद बड़ा बाजार स्थित भाजपा कार्यालय या कुईया गार्डन सीहोर टाकीज चौराहा पर कांग्रेस कार्यालय वालों में से कोई उन्हे बुला लेगा लेकिन उनके प्रयास फालतू जा रहे हैं....जिससे उनका रक्तचाप हर दिन बढ़ने लगा है। उनको चिंता सता रही है कि रुपये वापस कैसे निकलेंगे, और इस चक्कर में उनके चक्कर लगते ही जा रहे हैं।