सीहोर 20 नवम्बर (नि.सं.)। विधानसभा चुनाव में जितना खेल धुरंधर प्रत्याशी नहीं दिखा पा रहे उससे यादा अच्छा खेल तो खुद जनता दिखाने में जुटी है। लाड़े-लाड़ी दोनो को नहलाने के बाद बारातियों को भी खुश करने की हुनरमंदी पहली बार जनता को दिखाते हुए देखा जा रहा है। जो भी प्रत्याशी आता है उसे ''हार'' जनता पहना देती है, हर प्रत्याशी उसी जनता से हार पहना जाता है तो फिर प्रश्न उठता है कि आखिर इस बार जीतेगा कौन? हार की व्यवस्था हर तरफ है लेकिन जीत के लिये कोई ठिकाना किसी को नजर नहीं आ रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के सिकन्दर रमेश सक्सेना हों, कांग्रेस के नायक अखलेश स्वदेश राय हों या फिर जनशक्ति के दुल्हेराजा सन्नी महाजन सभी खुलकर मतदान मांगने जनता के बीच पहुँच रहे हैं। वह हर एक मोहल्ले, हर एक गली, हर एक बस्ती, गांव-चौपाल में पहुँचते हैं और आशीर्वाद की मांग करते हैं। जनता भी बहुत उस्ताद हैं कोई भी आये सबका स्वागत करती हैं। एक कुशल व्यापारी की तरह जनता इस बार सबको खूब भाव देने में लगी है, जो आता उसे ''हार '' पहना दिया जाता है। जनता एकत्र होती है और आने वाले प्रत्याशी को खुशी-खुशी हार पहना देती है। फिर जब दूसरा प्रत्याशी इसी स्थान पर आता है तो उसे भी यही जनता हार पहना देती है और यही क्रम जनता करती जाती है। मतदाता की इस प्रकार सबको हार पहनाने की पध्दति ने कई सवाल तो खड़े कर ही दिये हैं वरन असमंजस की स्थिति भी पैदा कर दी है। जब मतदाता हर प्रत्याशी को हार पहना रहे हैं तो फिर जीतेगा कौन ? यह किसी को समझ नहीं आ रहा है। मतदाता मौन है और संभवत: मत पेटियों में ही उसका मौन टूटेगा।