आष्टा 23 अक्टूबर (नि.सं.)। ऐसा कौन है जो दीपावली नहीं मनाना चाहता है साल में एक बार ही तो दीवाली आती है। सरकारी विभाग वालों की दीवाली उस विभाग के अन्तर्गत आने वाले व्यापारी उनके कुबेर देवता होते हैं वे इसलिये सरकारी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इन दिनों आष्टा अपने-अपने कार्य क्षेत्र के व्यापारियों के यहाँ पहुँच रहे हैं और दीवाली हम भी मनायेंगे, खूब फटाके फोड़ेंगे और खूब मिठाई खायेंगे लेकिन जेब हमारी नहीं तुम्हारी हल्की करेंगे जब हमारी दीवाली मनेगी अब कल की ही तो बात है कल कृषि विभाग सीहोर से कुछ लोग आये इन्हे अधिकारी-कर्मचारी कहे या चौथ वसूली करने वाले भाई ये आये। आष्टा पहुँचे एक खास दुकानदार के यहाँ बैठे सब दुकानदारों को खबर करी। एक-एक करके आ जाओ हमसे मिलो और दीपावली मनाने का शुल्क जमा कराओ बेचारा व्यापारी क्या करता उसे धंधा भी तो करना है इसलिये साहब की दीपावली काली नहीं कर सकता। बेचारे इस विभाग से रोजा पाला पड़ने वाले व्यापारी एक-एक करके आये साहब की सेवा की और चलते बने। मंहगाई के इस दौर में व्यापारी की दीपावली मने या ना मने साहब की तो 5 दिन पहले ही दीपावली मने गई। खबर है की साहब मस्त होकर आष्टा से गये हैं।