आष्टा 26 अक्टूबर (नि.प्र.)। कांग्रेस की तरह इस बार भाजपा भी विधानसभा चुनाव को लेकर अतिगंभीर नजर आ रही है सभी क्षेत्र में भाजपा अभी तक कांग्रेस से संगठन स्तर की तैयारियों में कोसो आगे है। वहीं जैसे-जैसे टिकिट घोषित होने की तिथि समय नजदीक आती जा रही है भाजपा में कार्यकर्ता और मतदाता अपनी भावना से रोजाना आ आकर संगठन के पदाधिकारियों और भोपाल में जिम्मेदार नेताओं को अपनी भावना से अवगत करा कर कह रहे हैं कि अगर संगठन ने टिकिट वितरण में अगर इस बार संगठन कार्यकर्ताओं एवं मतदाताओं की भावना के विपरीत कोई निर्णय लिया तो इस बार आष्टा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्र के कई कार्यकर्ता तो खुलकर नेताओं से यह भी कह रहे हैं कि हमने अपनी भावना से अवगत करा दिया है निर्णय सही होगा तो हर बार की तरह इस बार भी आष्टा से भाजपा की बल्ले-बल्ले करवा देंगे और अगर कार्यकर्ताओं की भावनाओं को दरकिनार किया तो परिणाम क्या होंगे इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। भाजपा मे ंटिकिट के सभी दावेदारों ने अंतिम दौर में पूरी ताकत झाेंक दी है तथा आष्टा से भोपाल तक को एक करके रख दिया है। आष्टा को लेकर वैसे भाजपा संगठन म.प्र. गंभीर है लेकिन निर्णय क्या आयेगा सभी को इसका इंतजार है। कल सीहोर में भारतीय जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष उमाश्री भारती आईं सभा की तब सभी को पूरी उम्मीद थी कि उमाजी सभा में सीहोर जिले की चारों विधानसभा सीट से अपने प्रत्याशियों की घोषणा करेंगी लेकिन सीहोर जिले में भाजपा में टिकिट को लेकर जो उठा पटक चल रही है शायद उसी को लेकर उमाश्री भारती ने इछावर को छोड़ शेष तीनों विधानसभा सीटों के प्रत्याशी की घोषणा टाल दी। राजनीतिज्ञ इसके पीछे जो बात मान रहे हैं वो यह की भाजपा की सूची घोषित होने तक अब उमाजी इंतजार करेंगी। टिकिट भाजपाके घोषित होने के बाद अगर कुछ गड़बड़, नाराजी उभरी तो उमाश्री उसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेंगी। 2003 के चुनाव में जिस प्रकार भाजपा से रंजीत सिंह गुणवान को उम्मीद्वार बनाकर बदला था लेकिनप उस वक्त की परिस्थिति जो थी उसको लेकर कार्यकर्ताओं ने बगावत तो नहीं की थी लेकिन वो मौन जरुर रहा था लेकिन इस बार शायद ऐसा नहीं लगता है की भावनाओं के विपरीत अगर भाजपा ने आष्टा का निर्णय किया तो इस बार भाजपा में बगावत हो सकती हक् क्योंकि 2003 में उमाजी भाजपा में ही थी। लेकिन इस बार नाराज लोगों के सामने विकल्प के रुप में भाजश है। देखते हैं क्या भाजपा में भाजश सेंध लगाती है या भाजपा सभी को संतुष्ट कर पाती है।