Monday, October 27, 2008

रात 3 बजे पूरा नगर ''लो झाड़ू लो'' की आवाज से गूंजा.........

           आष्टा 26 अक्टूबर (सुशील)। हिन्दुस्तान पूरे देश में अपनी संस्कृति व प्रचलित अनेकों परम्पराओं के कारण जाना और पहचाना जाता है 5 दिवसीय दीपावली पर्व की आज धनतेरस से शुरुआत हो गई।

      आज धनतेरस पर नई झाडू ख़रीदने की परम्परा है और आज खरीदी गई नई झाडू क़ी घरों में पूजन की जाती है इसलिये आज धनतेरस पर रात 4 बजे से ही सैकड़ो झाड़ू बनाने वाले जिन्होने महिनों से आज के दिन के लिये झाडू बेचने के लिये झाड़ू बना-बनाकर भारी स्टाक कर लिया था। आज साईकिलों पर हाथ ठेलों पर रात से ही झाड़ू बेचने निकले गये थे। रात से सुबह तक पूरे नगर में गलियों में मोहल्लों में कालोनियों में एक ही आवाज सुनाई दे रही थी ''लो झाड़ू ले लो'' सुबह घरों की महिलाओं ने झाड़ू बेचने वालों को रोका और परम्परा अनुसार झाड़ू की खरीदी की सुबह झाड़ू बेचने वालों ने एक झाडू 5 रुपये में बेची और बाद में भाव घटाकर पाँच रुपये में दो झाडू बेचते देखे गये।

      झाडू खरीदने की क्या है परम्परा इसका क्या महत्व है इसके बारे में धर्माधिकारी पंडित गजेन्द्र शास्त्री ने फुरसत को बताया कि झाड़ू लक्ष्मी का प्रतीक होती है आज के दिन नई झाडू खरीद कर उसका पूजन किया जाता है तथा श्री शास्त्री ने यह भी बताया की आज धनतेरस पर घरों की सफाई कर निकलने वाले कचरे को बाहर नहीं फें का जाता है। घर के किसी कोने में निकले कचरे का एकत्रित कर रखा जाना चाहिये और उस कचरे के दूसरे दिन फेंकना चाहिये । साफ-सफाई इसलिये की जाती है ताकि दीपावली पर लक्ष्मी जी का घरों में मंगल प्रवेश हो।