Tuesday, September 9, 2008

हर अंग में देवता वाली गौमाता बंधी है मल-मूत्र की जेल में... कर्मचारियों की कमाई का साधन बना अभियान



सीहोर 8 सितम्बर (आनन्द)। नगर पालिका द्वारा शुरु हुए आवारा मवेशियों के पकड़ने के अभियान में अभी सिर्फ गौवंश को ही पकड़ा जा रहा है। जिसके तहत रात और दिन में भी नगर पालिका के कर्मचारी गौवंश पकड़ने में जुटे हुए हैं। अस्थायी जेल में अत्याधिक गंदगी और ऊपर से हो रही बरसात से गौवंश परेशान हो गया है। जबकि अभियान से जुड़े कर्मचारियों की कमाई का एक अच्छा साधन भी यह बन गया है। अब तक अनेक गौवंश छोड़ जा चुके हैं लेकिन ऊपर से रुपये लेकर ही यह कार्य हुआ है।
हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक गौवंश, एक बार फिर नगर पालिका को कोप का भाजन बन रहा है। इस बार भी दैवीय शक्ति सम्पन्न गौवंश पर पालिका का आततायी हमला शुरु हो चुका है। गौवंश को खदेड़-खदेड़ कर जेल में भरा जा रहा है। हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक गौवंश को पकड़ने के पूर्व हालांकि व्यवस्था ठीक-ठाक की गई थी लेकिन यहाँ जहाँ अस्थायी जेल बनी है वहाँ मल-मूत्र का पानी एकत्र हो रहा है।
तो सफाई कर्मियों से सफाई तो कराओ
जिस नगर पालिका द्वारा गौवंश को पकड़ने का अभियान चलाया गया है उसी नगर पालिका के पास नगर की सफाई व्यवस्था का कार्य भी है। यहाँ एक नाली चौक होने से मल-मूत्र अस्थायी जेल में जा रहा है और भारतीय आस्था की प्रतीक गौवंश को यहीं रखा गया है। क्या नगर पालिका अपने सफाई कामगारों से यहाँ की नाली सफाई नहीं करवा सकती ? इतना काम तो सहज ही छोटे-मोटे कर्मचारियों को ही करवा देना चाहिये था, लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान देना उचित नहीं समझा।
यहाँ कर्मचारियों द्वारा विगत दो-तीन दिन में अनेक पशु पकड़े जा चुके हैं लेकिन हर बार इनकी गिनती करने पर गिनती बराबर ही रहती है। कहने का तात्पर्य यह कि यहाँ गाय दिन में पकड़ा रही हैं और रात अंधेरे में चुपचाप इन्हे छोड़ दिया जाता है। गाय मालिक यहाँ आते हैं और कर्मचारी इनसे रुपये लेकर उन्हे छोड़ देते हैं। लेकिन इन रुपयों की रसीद नहीं बनाई जाती बल्कि रुपये इनकी कमाई का साधन बने हुए हैं। इस प्रकार इस अभियान से जुड़े कुछ कर्मचारियों की कमाई गौवंश पर हो रहे अत्याचार के चलते हो रही है।
क्या सिर्फ 85 60 की रसीद कटनी चाहिये
जानकारों का कहना है कि बड़े जानवरों की रसीद तो 85 रुपये की कटती है और छोटी बछिया आदि जानवरों की रसीद 60 रुपये लिये जाने का प्रवाधान है लेकिन इन दिनों जबरन का डर व भय बता-बताकर एक पशु मालिकों से ऊपर से 250 से लेकर 300 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। उन्हे कहा जाता है कि यदि रसीद कटवाई तो 500 की कटेगी और कुछ आवश्यक धाराएं भी लगेंगी तथा कार्यवाही होगी। ऐसी जाने और क्या-क्या डराने वाली बातें कही जाती हैं।