Saturday, September 20, 2008

गर्मी में सीहोर के लिये छोड़ा रामपुरा डेम से पानी क्या अब क्षेत्र के लिये परेशानी का कारण बनेगा

सीहोर नगर पालिका पर सिंचाई विभाग का 68 लाख लेना है

सीहोर 19 सितम्बर (सुशील संचेती)। गर्मी में आष्टा के रामपुरा डेम से लगभग 5 फिट पानी सीहोर के लिये छोड़े जाने का खामियाजा इस बार आने वाली गर्मी में आष्टा के साथ-साथ उन सैकड़ों किसानों को भी भुगतना पड़ सकता है। जिन्हे डेम से सिंचाई के लिये पानी दिया जाता है। यह आभास अभी तक जितनी कम वर्षा आष्टा में हुई उससे तथा बरसात के अंतिम दौर में होने और अभी तक रामपुरा डेम जिसमें इस समय तक 10 से 12 फि ट पानी भर जाता था अभी तक केवल 5 से 6 फिट पानी ही आया है अगर गर्मी में 5 फिट पानी जो सीहोर के लिये छोड़ा गया नहीं छोड़ते तो शायद जो शंका-कुशंका आगामी गर्मी में पानी को लेकर क्षेत्र में उठ रही है वो शंकाए नहीं उठ पाती। गर्मी में सीहोर में जो जल संकट उत्पन्न हुआ था तब सीहोर ने दबाव बना कर प्रशासन से रामपुरा डेम से सीहोर के लिये पानी छुड़वा तो लिया था आष्टा से पानी बहकर सीहोर के लिये रवाना भी हुआ लेकिन पूरी नदी खाली होने के कारण सीहोर के लिये जो पानी छोड़ा था वो नहीं के बराबर पहुँचा था तथा जिसे सीहोर की प्यास बुझाने के लिये उक्त पानी छोड़ा था उस सीहोर के नागरिकों की प्यास भी नहीं बुझी है।

कुछ लोगों के मजे जरुर इस दौरान हो गये थे। जिस वक्त आष्टा के रामपुरा डेम से पानी सीहोर के लिये छोड़ा गया था जिस वक्त आष्टा के रामपुरा डेम से पानी सीहोर के लिये छोड़ा गया था तब विरोध के स्वर भी मुखर तो हुए थे लेकिन प्रशासन ने उन स्वरों को दबा दिया था। सूत्र बताते हैं कि रामपुरा डेम का जो कमांड क्षेत्र है उसमें सीहोर आता ही नहीं है। नियमानुसार तो रामपुरा डेम से सीहोर के लिये पानी छोड़ा ही नहीं जाना था फिर क्यों छोड़ा गया, किसके निर्देश पर छोड़ा गया, नियमों का पालन क्यों नहीं किया तथा जितना पानी जिसके लिये छोड़ा उक्त पानी की जो राशि बनती है क्या वो राशि सिंचाई विभाग को मिली नहीं मिली तो उसकी जिम्मेदारी अब किसकी है। यह सब अब जांच का एक बड़ा विषय हो सकता है ? आष्टा तहसील कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष 19सितम्बर 08 तक 666 मि.मी. (26 इंच) बरसात हुई है। वहीं सिंचाई विभाग के जितने भी जलाशय रामपुरा डेम सहित सभी में पानी काफी कम स्टोर हुआ है। कम बरसात के कारण इस वर्ष गेहूँ-चने की फसलों की उम्मीद करना तो एक सपने के समान है। (अगर अभी भी बरसात हो जाये या फिर मावठा गिर जाये तो सपना सच हो सकता है) वहीं अभी से क्षेत्र के नागरिकों को कम भराये जलाशयों को देखकर भविष्य में क्षेत्र में पीने के पानी का कितना गंभीर संकट पैदा होगा यह सोच-सोच कर सभी परेशान है। वैसे अभी भी क्षेत्र के लोगों का मानना है कि जिस प्रकार अभी अंतिम दौर में देश के कई हिस्सों में बरसात ने शानदार दस्तक दी है। वैसी दस्तक म.प्र. में भी होगी अगर ऐसा होता है और जाते-जाते भी इन्द्र देवता मेहरबान हो जाते हैं तो जिन दो बातों को लेकर क्षेत्र के नागरिक-किसान चिंतित है उनकी वो चिंता दूर हो सकती है। सिध्दिकगंज क्षेत्र के किसानों का भी मानना है की गर्मी में रामपुरा डेम से सीहोर के लिये जो पानी छोड़ा वो नहीं छोडा जाना था अगर उस वक्त पानी नहीं छोड़ा जाता तो आज डेम में भरपूर पानी रहता और आष्टा की गर्मी में प्यास भी बुझ जाती तथा किसानों को भरपूर पानी सिंचाई के लिये मिलता वैसे सिंचाई के लिये तो अभी भी डेम से पानी दिया जायेगा लेकिन आष्टा के लिये छोड़ा जायेगा की नहीं इसके लिये अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि डेम में पानी पहली प्राथमिकता सिंचाई है तथा उसके बाद आष्टा के लिये पानी छोड़ा जाना है।

68 लाख बकाया है सीहोर नगर पालिका पर - इस संबंध में आज फुरसत ने सिंचाई विभाग आष्टा से जब चर्चा की तो सिंचाई विभाग आष्टा ने बताया कि गर्मी में कलेक्टर सीहोर के निर्देश पर रामपुरा डेम में सीहोर के लिये गर्मी में 1941000 घन मीटर पानी छोड़ा गया था

इस पानी की कीमत 20 लाख के करीब होती है लेकिन नगर पालिका ने इसके बदले सिंचाई विभाग को 1 लाख रुपया विभाग को दिया था जबकि सीहोर नगर पालिका पर सिंचाई विभाग का लगभग 42 लाख रुपया पानी का बाकी है सिंचाई विभाग ने बताया कि अभी तक सीहोर नगर पालिका 61 लाख रुपया पानी का तथा निश्चित समय सीमा में उक्त राशि जमा नहीं कराने पर 7 लाख रुपया ब्याज का जुड़कर कुल लगभग 68 लाख रुपया बकाया है।