सीहोर 23 सितम्बर (आनन्द गाँधी)। एक लम्बे समय बाद कांग्रेस की टिकिट दावेदारी में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण नाम सामने हैं जो चर्चाएं खास बन गये हैं। यूँ तो सीहोर के पुराने और दमदार नेताओं के नाम कांग्रेस से आगे आने चाहिये थे लेकिन परिस्थितियाँ और समय की गति ने इनके नाम पीछे कर दिये हैं लेकिन आज जिनके नाम सामने हैं वो नाम कुछ ऐसे हैं जिन्हे आज से 5 साल पूर्व इस स्थिति में देखा और समझा नहीं जा सकता था। ऐसे नामों का आज कांग्रेस में सीहोर विधान सभा सीट के लिये अपनी दमदारी और दावेदारी पेश करना, कांग्रेसी हल्कों में ही नहीं बल्कि हर राजनैतिक गलियारे में चर्चाओं में बना हुआ है।
यूँ तो प्रसिध्द आबकारी ठेकेदार राकेश राय को कांग्रेस ने कभी वजनदारी से नहीं लिया था। पूर्व में उन्हे कांग्रेस सेवादल का जिले का प्रभार अवश्य सौंपा गया था और इसीलिये जब कांग्रेस से उन्हे टिकिट नहीं मिला तो राकेश राय अपने दम पर कांग्रेस के विरुध्द निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए मैदान में कूद गये तो उन्हे नगर पालिका अध्यक्ष के पद पर जनता ने बड़ी आशा और विश्वास के साथ काबिज कर दिया।
सीहोर नगर पालिका चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ रहे आबकारी ठेकेदार राकेश राय को और अधिक विशेष लाभ मिला उनके छोटे भाई अखिलेश राय की लोकप्रिय छवि का। जिस समय अखलेश राय ने राकेश राय के पक्ष में प्रचार की कमाल संभाली तो जनता सड़क पर निकलकर उनके साथ हो गई। अंतत: कई घोषणाओं के अंबार और उस पर जनता के विश्वास ने राकेश राय को उस समय विजयश्री वरण दिलाई। निर्दलीय राकेश राय को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने एक बार फिर अपने साथ कर लिया और आज राकेश राय वापस कांग्रेस में शामिल हो गये।
नगर पालिका अध्यक्ष बने पूर्ववर्ती दमदार कांग्रेस नेता जसपाल सिंह अरोरा ने भी नपाध्यक्ष बनने के बाद विधानसभा चुनाव की दावेदारी की थी। इसके बाद अब राकेश राय भी नगर पालिका अध्यक्ष बनने के साथ ही विधानसभा की दावेदारी करते नजर आ रहे हैं।
बरसात के इस मौसम में जहाँ पूरा नगर शुध्द पेयजल के लिये तरस रहा है, नगर में सड़क कम गड्डे यादा नजर आ रहे हैं, भ्रष्टाचार की चर्चाएं सरगर्म हैं तो फिर ऐसे में सीहोर नगरीय क्षेत्र में राकेश राय को विधानसभा का टिकिट मिले इस पक्ष में कितने लोग हैं और जनता उन्हे कितना चाहती है ? यदि इस आंकलन पर कांग्रेस ने टिकिट तय किया तो निश्चित ही राकेश राय के लिये परिस्थितियाँ कुछ गंभीर हो जायेंगी।
दूसरी और भी अचानक उभरे नेता के रुप में अक्षत कासट हैं, जो दिल्ली से लेकर सीहोर तक की राजनीति करने में माहिर नजर आ रहे हैं। दिल्ली के केन्द्रीय विभाग में वह केन्द्रिय पद पर क्या बैठे सीहोर में उनके समर्थकों ने एक विशाल स्वागत जुलूस निकाल दिया। तब से लेकर अब तक अधिकांश आंदोलन और सार्वजनिक घटनाक्रमों में अक्षत कासट का नाम सामने आ ही जाता है। यूँ अक्षत सीहोर में कांग्रेस के उन पुरोध्दा पूयनीय श्री भंवरलाल जी साहब कासट के पौते हैं जिनका नाम आज भी कांग्रेस के वरिष्ठजन अतिसम्मान के साथ लेते हैं। कासट परिवार का कांग्रेस में अच्छा-खासा दखल भी है। और जब सुरेश पचौरी लोक सभा का चुनाव सीहोर से लड़े थे तब देश की सबसे यादा प्रभावी नेत्री उमाश्री भारती तक को कुछ हिलाकर उन्होने रख दिया था तो उस समय देखने में आया था कि सीहोर के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्री नारायण कासट नदीम, सुरेश पचौरी के साथ उनके वाहन में अति विशेष सलाहकार के रुप में मौजूद रहते थे।
इधर दमदार कांग्रेस नेता जसपाल अरोरा अवश्य इस बार कानून की पेचीगदी में उलझ गये हैं लेकिन वह भी चाची श्रीमति अमिता अरोरा के लिये विधानसभा का टिकिट लेने की इच्छा रखते हैं। रही बात दिग्विजय सिंह के करीबी मित्र कांग्रेस नेता प्रमोद पटेल की, तो सूत्रों का यह कहना है कि इस बार काकी कोकिला बेन पटेल के लिये पटेल परिवार टिकिट की मांग रखेगा, और यह दोनो ही नेता महिला कोटे का उपयोग करते हुए लाभ उठाना चाहते हैं।
यहाँ इतना अवश्य कहा जा सकता है कि पूर्ववर्ती नगर पालिका अध्यक्ष रुकमणी रोहिला हों या वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय। इन दोनो ही के कार्यकाल के चलते घर बैठे-ठाले कांग्रेस नेता जसपाल सिंह अरोरा की पूछ परख स्वत: बढ़ गई है और सीहोर में अरोरा के नगर पालिका कार्यकाल की याद हर आम व्यक्ति करता नजर आता है।
एक और दिशा से विचारा जाये तो जसपाल अरोरा और राकेश राय दोनो ही एक-एक बार कांग्रेस से निष्कासित हो चुके हैं और निर्दलीय चुनाव भी कांग्रेस के खिलाफ लड़ चुके हैं।
कांग्रेस की राजनीति का ऊँट कब किस करवट बैठ जाये ? कि न बातों से कौन-सा कांग्रेस नेता प्रभावित हो जाये ? और किन कारणों से किस प्रत्याशी को टिकिट मिल जाये। कांग्रेस में भी इसका भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि पिछली बार ही जहाँ इछावर से बलवीर तोमर और अभय मेहता वजनदार नजर आते थे वहीं हेमराज परमार को पिछली बार टिकिट दिया गया था। सीहोर में भी अचानक बाहरी उम्मीद्वार थोपकर सबको स्तब्ध कर दिया गया था। तो कुल मिलाकर यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस में टिकिट किसको मिलेगा ।
आज एक प्रादेशिक समाचार पत्र में आये समाचार के अनुसार दिल्ली में जिन दो नामों की चर्चाएं कांग्रेस से चल रही हैं उनमें एक नाम युवा नेता अक्षत कासट का है और दूसरा नाम नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय का है।
अब चर्चाएं चल रही हैं कि यदि राहुल भैया गाँधी का युवा फेक्टर काम करेगा तो निश्चित ही सीहोर से एक युवा अक्षत कासट को भी टिकिट मिल सकता है लेकिन क्या अक्षत को कांग्रेस इतनी-सी उम्र में टिकिट देगी ? दूसरी और यदि प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी की चली तो वह उनके समर्थक राकेश राय को ही टिकिट देंगे ऐसा भी विश्वास व्यक्त किया जा रहा है।
हालांकि जानकारों का कहना है कि हर बार की तरह राजधानी से लगे सीहोर में सबसे आखिरी में टिकिट घोषित होंगे और देश की राजधानी दिल्ली में भले ही पूरे मध्य प्रदेश के अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों के नाम घोषित हो जायें लेकिन विवादित और असमंजस वाली सीहोर सीट के नाम आखिरी में घोषित होंगे।
इन सारी चर्चाओं को भूलकर एक बार सुरेन्द्र सिंह ठाकुर का स्मरण भी कर लिया जाना चाहिये। कांग्रेस ने पिछली बार समीपस्थ बैरसिया निवासी सुरेन्द्र सिंह ठाकुर को सीहोर का टिकिट दिया था लेकिन आश्चर्य तो तब हुआ था कि एक बाहरी कांग्रेसी उम्मीद्वार ने स्थानीय भाजपा के लोकप्रिय उम्मीद्वार रमेश सक्सेना के लिये परेशानी खड़ी कर दी थी। और हवाओं का रुख मोड़ते हुए मतलब जहाँ पूरे प्रदेश में एक तरफा भाजपा की हवा थी वहाँ सीहोर में एक बाहरी कांग्रेस उम्मीद्वार सुरेन्द्र सिंह ठाकुर ने 10-20 हजार वोट नहीं बल्कि 42 हजार मत प्राप्त किये थे। इतने अधिक मत एक बाहरी उम्मीदवार को मिलना भी चर्चाओं में आ गया था। लेकिन इस बार सुरेन्द्र सिंह ठाकुर को क्या टिकिट दिया जायेगा ? क्या वह अब कांग्रेस में इसकी पात्रता रखते हैं।
कुल मिलाकर कांग्रेसी हल्कों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है ? सीहोर से किसको ? किसके कोटे से टिकिट मिलता है ? क्या चल रहे नामों में से ही किसी एक को टिकिट मिलेगा अथवा इस बार भी कोई नया नाम कांग्रेस पेश करेगी देखते हैं...।