सीहोर 29 सितम्बर (घुमक्कड़)। अक्सर पुलिस के वायरलेस सेट पर कानून व्यवस्था को चाक चौबंद रखने के लिये वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने अधिनस्थों को निर्देश देते सुनाई दिया करते हैं। लेकिन रविवार को रात 11 बजे के लगभग तो गजब ही हो गया जब पुलिस के वायरलेस सेट पर एक अलग ही अंदाज में एक किस्सा चलता सुनाई दे रहा था। इस किस्से में पुलिस के एक अधिकारी अपने ही महकमें के एक अन्य अधिकारी से आपसी दर्द भरी अंतरंग बातें वायरलेस सेट पर कर रहे थे। जिसमें वह कह रहे थे कि ''पुलिस अधीक्षक वेरी-ऑनेस्ट हैं... और तुम भी बहुत ऑनेस्ट हो...भ्रष्ट तो बस मैं ही हूँ...''
बात रविवार रात 11 बजे के आसपास शुरु हुई थी। जो करीब 45 मिनिट से यादा चली। पूरा पुलिस महकमा अपने सारे काम छोड़कर इन दो महत्वपूर्ण अधिकारियों की अंतरंग बातें यूँ खुले आम वायरलेस पर सुनने लगा...और आश्चर्य करने लगा। उधर अधिकारी वायरलेस सेट का मोबाइल फोन की तरह इस्तेमाल करते हुए जाने क्या-क्या बातें कह गये और ऐसी बातें ऊपर से लेकर नीचे तक के सारे पुलिस वालों ने सुनी तो वह सुनते ही रह गये, बल्कि कुछ पुलिस वाले तो अपना सेट तेज आवाज करके सुनने लगे और उनके आसपास खड़े लोगों को भी पुलिस की ऐसी बातें सुनकर मजा आने लगा।
इसी दौरान इस बातचीत को बहुत संभावित है कि जिला पुलिस अधीक्षक ने भी गंभीरता से ही सुना होगा।
बातचीत की बानगी में जो शब्द और वाक्यांश उपयोग हो रहे थे उनमें ''पुलिस अधीक्षक वेरी ऑनेस्ट हैं...'' यह बात बोलते समय इन पुलिस अधिकारी महाशय का लहजा कुछ लड़खड़ाया हुआ था, उन्होने पहले तो कुछ पुलिस कर्मचारियों को अपनी बातचीत के दौरान गुस्से का शिकार भी बनाया, वायरलेस सेट पर ही उन्होने इन पुलिस कर्मचारियों पर खुल्ले आम रुपये वसूली के आरोप भी लगा दिये। इन्होने वायरलेस सेट पर ही पुलिस महकमें के एक अधिकारी से कुछ देर बाद बात करना शुरु की, और कहा कि ''पूरा प्रदेश जानता है, हमारे पुलिस अधीक्षक वेरी ऑनेस्ट पर्सन हैं....उनकी ईमानदारी के चर्चे पूरे विभाग में चलते हैं....शहर का एसडीओपी भी ईमानदार है....बस भ्रष्ट तो मैं ही हूँ....।'' पुलिस अधिकारी महाशय का यह कहना यहीं नहीं रुका उन्होने उबलते हुए फिर कहा कि ''इन्दौर भोपाल राजमार्ग पर पिछले दो दिनों से ट्रकों से इंट्री ली जा रही है, इससे पहले ऐसा नहीं होता था...लेकिन अपने साहब के छर्रे दो दिन से इस काम में पूरी-पूरी रात लगे हैं....अरे भाई... सब ऑनेस्ट हैं, बस भ्रष्ट तो मैं ही हूँ''
जब यह अधिकारी महाशय ऐसा बोल रहे होंगे तो संभवत: जिन अधिकारी से बात कर रहे थे उन अधिकारी को भी अपने साहब की बात पर गुस्सा आ रहा होगा, लेकिन वह वायरलेस पर हो रही इस आपसी बातचीत को कैसे रोक पाते, आखिर जिसके लिये बोला जा रहा था वो भी और जो बोल रहे थे वो भी यह दोनो उनसे बड़े जो थे। हाँ इन्होने कई बार ''सर, सर बस कीजिये सर'' कहकर बातचीत रोकने का प्रयास अवश्य किया लेकिन जो अधिकारी इन्हे सुना रहे थे उन्होने रुकने का नाम नहीं लिया।
अक्सर अनुशासन के लिये पहचाने जाने वाले सीहोर पुलिस महकमें के यह दो बड़े अधिकारी करीब 45 मिनिट तक विभाग की अंदरुनी बातें करते रहे और इन बातों ने महकमें के अनुशासन की परिभाषा ही बदल दी। इस दौरान यह ऐसी-ऐसी बातें, अंदर की पोल, और आचरण की जानकारी एक-दूसरे को देते रहे जो सामान्यत: न कही जा सकती है ना बोली जा सकती है। संभवत: पुलिस के इन दो बडे अधिकारियों की करीब पौन घंटे तक सार्वजनिक अंतरंग चर्चा उस समय सार्वजनिक हो गई जब भोपाल नाके पर एक चीता पुलिस कर्मी के वायरलेस सेट पर यह आवाज रह-रहकर बार-बार तेजी से आती रही कि ''हमारे पुलिस अधीक्षक बहुत ईमानदार हैं, ही ईज वेरी ऑनेस्ट, तुम भी बहुत ईमानदार हो....बस भ्रष्ट तो मैं ही हँ....''