Monday, August 11, 2008

सैकड़ो परीक्षार्थी ढूंढते रहे परीक्षा केन्द्र, फोटोग्राफरों के यहाँ भीड़ लगी रही, सैकड़ो परीक्षा नहीं दे पाये, मण्डल ने बला टाली

सीहोर 10 अगस्त (नि.सं.)। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल भोपाल की आज बलाटाल परीक्षाओं का आयोजन अनेकानेक अव्यवस्थाओं के साथ सम्पन्न हुआ। जहाँ हजारों परीक्षार्थी आज परीक्षा नहीं दे पाये वहीं सैकड़ो परीक्षार्थी सही समय पर पहुँच नहीं पाये। सैकड़ो पहुँच गये तो उन्हे बैठाया नहीं गया। सैकड़ो परीक्षार्थियों को मुंह मांगे दामों पर तत्काल फोटो खिंचवाने पड़े और सैकड़ो विद्यार्थी प्रवेश पत्र की गड़बड़ी के कारण प्रवेश नहीं पा सके...इसके अलावा भारी बरसात, ग्रामीण क्षेत्र से आना-जाना, दूरस्थ क्षेत्रों में मण्डल की घटिया सोच के चलते परीक्षा केन्द्र होने तथा अंधेरे में परीक्षा देने की समस्याएं तो सारे ही परीक्षार्थियों को आज भोगना पड़ी। कुल मिलाकर व्यावसायिक परीक्षा मण्डल ने जिस प्रकार का व्यवहार परीक्षार्थियों के समक्ष रखा है निश्चित ही गोरे अंग्रेजों के शासन में काले भारतीयों के साथ किये जाने वाले अभद्र व्यवहार की याद ताजा करता है। मध्य प्रदेश में शासन चूंकि लुंग-पुंग भाजपा सरकार व मंत्रियों का है इसलिये प्रशासनिक अधिकारियों, परीक्षा मण्डल के अधिकारियों पर किसी तरह की कार्यवाही किये जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस प्रकार आज हजारों परीक्षार्थियों बेरोजगारों, देश की युवा पीढ़ी के साथ कुठाराघात हो चुका है और अब देखना है कौन-से युवा संगठन इस मामले को तूल देते हैं और आगे आकर संघर्ष करते हैं।
आज मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षाओं को लेकर पूरे जिले में सुबह से ही अभ्यार्थियों की अफरा-तफरी का माहौल देखने में आया। ऊपर से मेघ बरस रहे थे इन्द्र देवता परीक्षा ले रहे थे। जोरदार बारिश सीहोर में हो रही थी और ऐसे में ही परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्रों पर पहुँचना था। बरसते पानी में परीक्षाओं के आयोजन का यह प्रयास मण्डल ने किया था निश्चित ही कुछ सोच-समझकर किया होगा।
दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से लेकर दूसरी तहसीलों तक से अपने-अपने संसाधनों अथवा किराये वाहनों के माध्यम से किसी भी तरह परीक्षा केन्द्र तक पहुँचने का प्रयास करते अभ्यार्थियों का हुजूम नगर में सुबह नजर आ रहा था। हर तरफ सरपट दौड़ते वाहन नजर आये। बाहर से आये परीक्षार्थियों व उनके परिजनाें द्वारा संबंधित परीक्षा केन्द्रों का पता पूछने का क्रम जारी था। इस तरह दिन की शुरुआत हुई।
उधर परीक्षा केन्द्रों पर आज लगभग 50-60 प्रतिशत अभ्यार्थी चूंकि उनके पास असली रोल नम्बर नहीं आ पाये थे इसलिये अपनी व्यवस्था करते हुए वह इंटरनेट के माध्यम से अपने रोल नम्बर निकालकर ले गये थे। अब समस्या यह आई कि जिन अभ्यार्थियों के पास इंटरनेट के रोल नम्बर थे उन्हे अचानक एन वक्त पर परीक्षा केन्द्र वालों ने अमान्य कर दिय। सारे अभ्यार्थी स्तब्ध रह गये। तब उन्हे यह बताया कि रोल नम्बर पर यदि असली फोटो लगाया जायेगा तो उन्हे प्रवेश दिया जा सकता है।
एन परीक्षा चालू होने के कुछ मिनिट पहले इस नई समस्या से सारे अभ्यार्थी जूझने को मजबूर हो गये। मजबूरन वह ऊपर से बरसते पानी में सीहोर नगर में घूमते रहे कि कोई ऐसा फोटो ग्राफर मिल जाये जो उन्हे तत्काल फोटो खींच दे। ऐसे में कुछेक फोटो ग्राफरों ने अच्छी चांदी कमाई। दाम तो बढ़ाकर लिये ही बल्कि अनगिनत फोटो भी खींचे। फोटोग्राफरों के लिये आज व्यावसायिक परीक्षा मण्डल ने अच्छा व्यावसाय पैदा करने वाला सिध्द हुआ। लेकिन अभ्यार्थियों की जेब जबरन सुबह-सुबह खाली हो गई और उन्हे परेशान होना पड़ा।
हाँ उन बेचारे परीक्षार्थियों को तो आज काटो तो खून नहीं था। करे तो क्या करें और जायें तो कहाँ जाये। उनके प्रवेश पत्र नाम तो उन्ही का था लेकिन फोटो किसी दूसरे का। कल फुरसत ने भी इस संबंध में विस्तृत व सप्रमाणित समाचार प्रकाशित किया था जिसके अनुसार अनेकानेक रोल नम्बर तो ऐसे थे जिसमें युवक का नाम और युवती का फोटो तथा युवती का नाम और किसी युवक का फोटो चस्पा है। ऐसे रोल नम्बर लेकर जो अभ्यार्थी पहुँच रहे थे उन्हे परीक्षा हाल कैसे बैठाया जाये यह समस्या अंत तक हल नहीं की गई।
आज सीहोर में तो सुबह 9 बजे तक विद्युत ही नहीं थी, ऊपर से बरसाती मौसम के होने के कारण बादल घिरे हुए थे और सूर्य देवता के दर्शन दुर्लभ थे। ऐसे में लगभग सभी परीक्षा केन्द्रों पर अंधेरा छाया हुआ था। जहाँ अलग से विद्युत की व्यवस्था नहीं थीं वहाँ परीक्षा हाल में अंधेरा घुप्प था और मजबूर परीक्षार्थी ऐसी विषम स्थिति में भी परीक्षा देने को मजबूर थे।
व्यवसायिक परीक्षा मण्डल ने परीक्षा के लिये इतनी भारी-भरकम राशि वसूली है कि जितने अभ्यार्थी बैठे उससे कई लाख रुपये की कमाई बैठे ठाले कर ली गई। बेरोजगारों से रुपये कमाने का मध्य प्रदेश शासन का यह फंडा कभी किसी के समझ नहीं आयेगा।
यह तरीका ठीक वैसे ही जैसे कोई फर्जी कम्पनी किसी शहर में बेरोजगाराें को तरह-तरह के झांसे देती हैं और उनसे आवेदन आदि के नाम अच्छा रुपया बटोर लेती हैं। मध्य प्रदेश व्यवासयिक परीक्षा मण्डल की अव्यवस्थित परीक्षाओं का आयोजन कुछ ऐसी तर्ज पर नजर आया कि जैसे उन्हे सिर्फ रुपयों से मोहब्बत है और व्यवस्थाओं से ऐतराज।
कुल मिलाकर आज सैकडों अभ्यार्थी तो परीक्षा दे ही नहीं पाये...सैकड़ो पहुँच नहीं पाये...सैकड़ो को बैठने नहीं दिया गया...और जो बैठ गये वह अपर्याप्त संसाधनों के कारण ठीक से परीक्षा दे नहीं पाये। तो क्या बेरोजगारों के साथ यह कुठाराघात नहीं है।
लेकिन जब मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लुंग-पुंग शासन की बात की जाये तो निश्चित ही यह आभास सहज होता है कि इसमें सुधार की गुंजाईश नगण्य है। क्योंकि जिस सरकार के मंत्री इस बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के आगे नतमस्तक हो, बेचारे किसी का स्थानान्तरण तो दूर खुद का काम नहीं करवा पाते हों ऐसी मंत्री और सरकार क्या खाक कार्यवाही कर सकता है। फिर भी क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के लिये युवा राजनैतिक संगठनों, भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य संगठनों को इस संबंध में उचित कदम उठाना चाहिये।


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