आष्टा 10 अगस्त (नि.सं.)। जब जीव माता के गर्भ में आता है उसे संस्कार वहीं से मिलना शुरु हो जाते है जीव के गर्भ में आने के बाद माँ का जैसा आचार, विचार और संस्कार होते हैं वैसे ही आचार, विचार, संस्कार गर्भ में आये जीव पर पड़ते हैं, जिस जीव को माता के गर्भ में सुसंस्कार मिल जाते हैं उसके जीवन का निर्माण भी उसी प्रकार हो जाता है। इसका उदाहरण है अभिमन्यु और सती मदालसा।
उक्त उद्गार महावीर भवन स्थानक में विराजित पूय साध्वी म.सा. श्री मधुबाला जी ने रविवार को प्रवचन के दौरान व्यह्न किये। आज महाराज साहब ने माता पिता का हम पर या ऋण है और क्या हम उस ऋण से मुक्त हो सकते हैं पर विस्तार से बताते हुए कहा कि व्यवहार जगत में लेन-देन के लिये आपके पास वही खाते होते हैंह्व वहीं ठाणाम सूत्र के तीसरे ठाणे के अध्याय में ऋण तीन प्रकार के बताये हैं उसमें पहला ऋण माता पिता का बताया है।
हमने जो जन्म लिया उस पर माता-पिता का ऐसा ऋण है जिसे हम अपने शरीर की चमड़ी के जूते बनाकर माता-पिता को पहनायें तो भी उनके ऋण से हम मुक्त नहीं हो सकते हैं। हमारे शरीर में 6 अंग होते हैं इसमें से 3 अंग पिता के व 3 अंग माता के होते हैं। आज व्यक्ति माता-पिता के ऋण को भूलता चला जा रहा है। इस तन को घड़ने और इसे संस्कारित करने वाली पहली कोई गुरु पाठशाला है तो वो माता है। उन्होने नई उम्र की माताओं से पूछा की आप बच्चों को कौन सी लोरी सुनाती हैं जरा विचार करो ? माता मदालसा अपनी संतान को जो लोरी सुनाती थी की तुममे सिध्द, बुध्द, मुक्त होने के गुण हैं संसार को स्वप् के समान समझकर त्याग करना मोह से ऊपर से उठोगे तो सिध्द बुध्द मुक्त बन जाओगे।
आज व्यक्ति माता पिता के उपकारों को भूल गया और केवल गाड़ी, लाड़ी और वाड़ी में ही मस्त है। इस अवसर पर पूय म.सा. सुनीता जी ने गत दिवस मनाये गये फ्रेण्ड शिप-डे को लेकर मित्र कैसा हो के बारे में बताया। महाराज साहब ने बताया कि नीति शास्त्र में मित्र 6 प्रकार के बताये हैं जो इस प्रकार हैं खाली, ताली, प्याली, जाली, जानी और कल्याणी मित्र। इनमें से प्रथम चार प्रकार के मित्र व्यवहार जगत में खतरे की घंटी साबित होते हैं शेष 2 प्रकार के मित्रों में से जानी मित्र वो होता है जो अपने मित्र के लिये ठीक उसी प्रकार जान तक दे देने को तैयार हो जाता है जैसे एक रस्सी के फंदे में लौटा झूलता हुआ कुं ए में जाता है और पानी भरकर लाता है तथा उस लाये हुए पानी को खुद न पीकर दूसरों की प्यास बुझाता है वहीं कल्याणी मित्र कल्याणी मित्र वो होता है जो सुख दुख में और मोक्ष तक का साथी होता है।
फ्रेण्ड शिप डे पर विचार करें आपके जो मित्र हैं वो इन 6 में से किस प्रकार का मित्र है। उन्होने आगाह किया कि कभी भी झाड़ी, बोर की तरह मित्र मत बनाना जो ऊपर से नरम और अंदर से गुठली की तरह कठोर होता है। जीवन में मित्रता स्थायी नहीं होती है। माया मित्रता का नाश करती है।
मुन्ना सेठ की स्मृति में आज एकासने
आष्टा। वरिष्ठ श्रावक श्री बाबुलाल जी जैन (चिवड़ेवाले) के पुत्र स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश जैन (मुन्ना सेठ) की तृतीय पुण्यतिथि पर परिवारजनों ने उनकी पुण्यतिथि को पूय म.सा. की सद्प्रेरणा से त्याग, तप, धर्म आराधना के साथ मनाने का निर्णय लिया है। कल 11 अगस्त को स्थानक में मुन्ना सेठ की स्मृति में 5-5 सामायिक के साथ सामुहिक एकासने महावीर भवन स्थानक में आयोजित किये गये हैं।
हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।