Tuesday, August 12, 2008

फरियादी को न्याय और आरोपी को सजा मिले यह मेरी पहली प्राथमिकता-कलेश

आष्टा 11 अगस्त (सुशील)। अधिकारी कोई भी हो जब तक वो अपने आपको अधिकारी मानेगा सफल नहीं होगा लेकिन जिस दिन वो अपने आपको अधिकारी के बदले जनता का जनता के लिये मानने लगेगा। कठिनाईयों के बाद भी सफलता उसे मिलती रहेगी इसलिये मैं पुलिस बाला बनकर नहीं जनता का बनकर कार्य करुं यह मेरी पहली प्राथमिकता है क्षेत्र में आया हूँ सब कुछ समझने का प्रयास कर रहा हूँ वैसे मेरे जो पूर्व के अनुभव है उसके हिसाब से मेरी प्राथमिकता है कि यहाँ चलित थाना व्यवस्था, मुखबिर तंत्र को मजबूत कर जनता से सीधा सम्पर्क बने।
उक्त बात नवागत अनुविभागीय अधिकारी ओंकार सिंह कलेश ने आज स्थानीय पत्रकारों से रुबरु होते हुए कही। उन्होने कहा मैं जहाँ भी रहा वहाँ सफलता के पीछे जो कारण रहा वो यह की मुखबिरों ने जो सूचना दी उस पर ठोस कार्यवाही की और कभी मुखबिर का नाम उजागर नहीं होने दिया। उन्होने कहा कि जीते जी किसी मुखबिर का नाम नहीं बताऊंगा। यह मेरा दृंढ निश्चय है। जन मानस कैसा है उसकी हमसे क्या अपेक्षा है आदि को जानने की कोशिश कर रहा हूँ। आप पत्रकारों का हमे सहयोग चाहिये यह अपेक्षा रखता हूँ। आप या कोई भी मुझसे जब चाहे मिल सकता है। मोबाइल पर बात कर सकते हैं मेरा मोबाइल 24 घंटे चालू रहता है उन्होने बताया कि लूट-डकैती-हत्या व अन्य जघन्य अपराधों में ना मैं किसी की सिफारिश सुनता हूँ और ना मानता हूँ। मेरा एक सिध्दांत है फरियादी को न्याय मिले और आरोपी को उसके किये की सजा मिले। यहां पर कंजर समस्या अधिक है की जानकारी मिली है। प्रयास करुंगा की इस पर अंकुश लगे सिफारिश मुझे पसंद नहीं मैं मानता हूँ कानून सबके लिये बराबर है।
कोई अपराधी व्यक्ति बड़ा है उसके लिये कानून छोटा नहीं हो सकता हमें जो वर्दी और कुर्सी मिली है जो हमारे पास आता है उसे हमसे अपेक्षा रहती है। उनको निराशा हाथ नहीं लगेगी। मैं सुनी बात पर विश्वास कम करता हूँ जो घटना या अन्य बात होती है। वहाँ जाता हूँ सबसे मिलता चर्चा करता हूँ उसके बाद कार्यवाही करता हूँ। उन्होने बताया कि वर्ष 1997 में मेरी नौकरी उद्योग विभाग खरगोन में लग गई थी लेकिन मेरी इच्छा पुलिस में जाने और सेवा करने की थी और पी.एस.सी. में मेरा चयन हो गया तो उक्त नौकरी छोड़ कर खाकी वर्दी 2002 में धारण कर ली यहां के पहले 3 वर्ष से खंडवा के हरसूद में पदस्थ था। वहाँ पर सभी के सहयोग से सफल कार्यकाल माना जाता है।
दरकलीगांव का पहला पढ़ा लिखा युवक हूँ
आष्टा। नवागत एसडीओपी ओंकार सिंह क्लेश ने बताया कि मेरे पिता की इच्छा थी कि मैं पढ़ लिखकर बड़ा अधिकारी बनु परिवार में तीन भाई है अलिराजपुर (झाबुआ) के ग्राम दरकली का रहने वाला कृषक परिवार का सदस्य हूँ मेरे ग्राम का मैं पहला लड़का हूँ जो सबसे पहले पढ़ लिखकर ग्राम से निकला हूँ। मैं मानता हूँ स्वर्ग भी इसी धरती पर है और नरक भी यहीं पर है। सेवा का अवसर मिला है तो सेवा के माध्यम से सेवा करने में क्या पीछे रहूँ। नैतिकता को जीवन में सबसे बड़ा मानता हूँ मेरी यहाँ पर किसी के माध्यम से पोस्टिंग नहीं हुई है मेरी जो पोस्टिंग प्रशासकिय है हरसूद में 3 वर्ष हो गये थे चुनाव और निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत वहाँ से यहाँ आया हूँ आपके सहयोग की अपेक्षा रखता हूँ।


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