Wednesday, August 20, 2008

जो मां को कष्ट देगा वो मां के कर्ज से मुक्त नहीं हो पायेगा-मधुबाला जी

आष्टा 19 अगस्त (नि.प्र.) । जैसा लालन-पालन जन्म देने वाली मां करती है ठीक वैसा ही लालन-पालन जन्मभूमि भी करती हैं इसीलिए जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी महान कहा गया हैं, जो जन्म देने वाली मां को कष्ट देता हैं वह कभी भी मां के कर्ज से मुक्त नहीं हो सकता हैं उक्त उदगार आज महावीर भवन स्थानक में विराजित पूज्य म.सा. श्री मधुबाला जी ने माता-पिता का हम पर जो ऋण हैं उसके बारे में प्रवचन के माध्यम से समझाया।

उन्होंने आगे कहा कि पिछले रविवार को बताया था कि ऋण तीन प्रकार के होते हैं उसमेें पहला ऋण माता-पिता का ऋण हैं। इस युग में सब कुछ मिल जाएगा लेकिन जन्म देने वाली मां नहीं मिल सकती। जीवन में मां के ऋण को उनके महत्व को, उनका हम पर क्या-क्या उपहार हैं उसे समझो जो जीवन में स्वार्थवृत्ति रखेगा वह मां के ऋण से मुक्त नहीं हो पाएगा मां का हृदय मक्खन से भी अधिक मुलायम होता हैं। उन्होने बताया कि भगवान महावीर स्वामी जब माता के गर्भ में पधारे, तब उन्होंने देखा कि गर्भ में मेरे हिलने डुलने से मां को कष्ट हो रहा हैं तो उन्होंने गर्भ में हिलना डुलना बंद कर दिया था। जब ऐसा किया तो मां को और कष्ट और चिन्ता हुई, तब उन्होंने निर्णय लिया था कि जब तक मेरे माता पिता जिन्दा रहेंगें मैं दीक्षा नहीं लुंगा। म.सा. ने श्रवण कुमार का उदाहरण दिया कि श्रवण कुमार ने किस प्रकार अपने अंधे माता-पिता को कावड़ में बैठाकर कर्तव्य धर्म निभाया। उन्होंने आज के युवाओं के बारे में कहा कि आज का युवा जब लड़की देखने जाता हैं तो वह केवल हाईट, लाईट और व्हाईट देखता हैं भले ही शादी के बाद रोज घर में फाईट हो। श्रवण कुमार का एक और किस्सा महाराज साहब ने बताया कि किस प्रकार उनकी पत्नि अपने माता-पिता के साथ छल कपट करती थी और उन्हें भोजन में खीर के स्थान पर छाछ की राब देती थी। एक दिन श्रवण कुमार ने थाली की अदला बदली की तब उन्होंने पत्नि का छल कपट पकड़ा, जो माता-पिता को धर्म आराधना में त्याग, तप, पचकान आदि में सहयोग करता हैं वहीं माता-पिता के ऋण से मुक्त होता हैं जो मां बाप को रूलाता हैं, दुख देता हैं, छल कपट करता हैं वह ऋण से मुक्त नहीं होता हैं। प्रवचन में म.सा. श्री सुनिता जी ने कहा कि जो कपट के साथ झूठ बोलता हैं वह विश्वासघाती महापापी होता हैं। ऐसे व्यक्ति को कोई भी अपना मित्र नहीं बनता हैं। यह आत्मा जब-जब माया को बढ़ाती है संसार का मार्ग बढ़ता हैं और मोक्ष मार्ग घटता हैं माया व्यक्ति को सन्मार्ग पर नहीं चलने देती हैं। म.सा. ने कहा कि 28 अगस्त को पर्यूषण महापर्व शुरू होने वाला हैं इस पर्व का स्वागत तेले की तपस्या करके करना हैं। पर्व हमेशा भीतर छांकने के लिए आते हैं कि वर्ष भर में हमने क्या किया, क्या करना था और क्या किया।

इस पर्व के 8 दिन में वर्ष भर का लेखा-जोखा देखने का यह पर्व हैं, 28,29,30 को सामुहिक तेले की तपस्या करें पापों को हल्का, पतला करने की तप की एक औषधि हैं। आज अठाई तप करने वाले श्रावक प्रमोद चतरमुथा के सम्मान की बोली 5-5 उपवास करने वाले श्रावक अशोक बोथरा एवं श्रीमति आरती बेन चतरमुथा ने ली, 18 अगस्त सोमवार को बालक श्रवण हितेष (हैप्पी) छाजेड़ द्वारा वीयासने से मास क्षमण करने निमित्त डा. विनोद छाजेड़ परिवार द्वारा सामुहिक एकासने रखे गये हैं।

आज प्रश्‍नमंच में पुरस्कार अशोक देशलहरा की ओर से दिये गये।



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