Friday, August 29, 2008

राग का त्याग करो वैराग्य पैदा हो जायेगा मधुबाला जी

आष्टा 28 अगस्त (नि.प्र.)। सभी नदियों में गंगा नदी, वनों में नंदनवन, पर्वतों में मेरु पर्वत, मंत्रों में नवकार मंत्र और सभी पर्वों में पर्यूषण पर्व श्रेष्ठ है, पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व का महत्व समझने की आवश्यकता है कि पर्यूषण पर्व के ये आठ दिन आत्मा में झांकने के लिये आते हैं हम पर्व तो मना रहे हैं लेकिन यहाँ पर तन से बैठे हैं मन कहीं और भटक रहा है। आप राग का त्याग करो वैराग्य पैदा हो जायेगा।
उक्त उद्गार पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के आज प्रथम दिन महावीर भवन स्थानक में विराजित पूय साध्वी जी म.सा. श्री मधुबाला जी ने प्रवचन के माध्यम से कहे उन्होने कहा कि यह लोकोत्तर पर्व है इस पर्व में हमें ज्ञान, ध्यान, तप, संयम, त्याग आदि से आत्मा को सजाना है। आठ दिन शरीर को सजाना संवारना छोड़ो, महाराज श्री ने कहा कि जो काम हम वर्ष भर नहीं करते हैं, कर सकते हैं वो काम पर्यूषण पर्व के इन आठ दिनों में कर सकते हैं, उन्होने उदाहरण दिया कि चातुर्मास चार माह का होता है इसमें पर्यूषण पर्व आठ दिन के आते हैं, बरसात भी चार माह की होती है लेकिन केवल 8 दिन बरसात की झड़ी लग जाये तो वो पूरी पूर्ति चार माह की कर देती है। ठीक उसी प्रकार चातुर्मास के चार माह का कार्य इन आठ दिनों में श्रावक-श्राविकाएं कर सकते हैं। चातुर्मास का सार यही पर्यूषण पर्व के 8 दिन है।
इन आठ दिनों में धर्म करो यह धर्म करने का मौसम (पर्यूषण) है, जिस प्रकार गन्ने को, अंगूर को, केवल आप ऊपर से ही चाटोगे तो क्या उसका रंग और स्वाद आयेगा। इनका रस और स्वाद प्राप्त करने के लिये पूरी प्रक्रिया को करना पड़ता है, जब रस निकलता है और पीने पर वो स्वाद देता है ठीक उसी प्रकार पर्यूषण में भगवान की वाणी को शास्त्रों के अनुसार सुनने, पढ़ने और उसे समझकर जीवन में उतारने पर ही कल्याण होगा।
पर्यूषण के आठ दिन आठ कर्मो को क्षय करने के दिन
प्रवचन में पूय म.सा. श्री सुनीता जी ने कहा कि पूरे वर्ष का सार चातुर्मास है और चातुर्मास का सार पर्यूषण है। पर्यूषण पर्व यह संदेत देता है कि जो आपने वर्ष के 352 दिनों में जो पापकर्म किये उन पापों को-कर्मो को धोने के लिये यह 8 दिन आये हैं यह पर्यूषण के आठ दिन आठों कर्मो को क्षय करने के दिन हैं जो चार तीर्थ साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकाएं हैं उसमें से पीछे के दो तीर्थ श्रावक-श्राविका के लिये यह पर्व अधिक उपयोगी होते हैं। इन दिनों में जिनके में प्रभुवाणी श्रवण करने, धर्म करने, सामायिक प्रतिक्रमण आदि करने के भाव जागते हैं वे धन्यवाद के पात्र हैं। महाराज श्री ने कर्मो को रोग और धर्मशास्त्रों को इन रोगों की अचूक दवा बताया है। भगवान के बताये अनुसार धर्म करने से कर्मो का रोग मिटेगा इसलिये इन 8 दिनों में घरो में मत बैठो, उठो जागो और धर्म करों। ये पूर्व भीतर झांकने के लिये आये हैं। आज अनेकों श्रावक-श्राविकाओं ने आयंबिल, एकासने, बियासने, उपवास, दया आदि तपस्या के पचकान लिये। तेले की लड़ी में तेला करने वाले अभिषेक देशलहरा का सम्मान तेला कर रहे कैलाश चन्द्र गोखरु ने किया। आज से स्थानक में प्रात: प्रार्थना, शास्त्र वाचन, प्रवचन, कल्पसूत्र वाचन, प्रतिक्रमण आदि कार्यक्रम शुरु हुए किला मंदिर, गंज मंदिर, दादा बाड़ी में भी पर्यूषण पर्व पर विभिन्न कार्यक्रम चल रहे हैं।


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