Wednesday, June 4, 2008

अपनों को लाभ पहुँचाने की गरज से वन मंडलाधिकारी कोनाझिर का हक छीन रहे

सीहोर 3 जून (नि.सं.)। कोनाझिर के गांव के रहने वाले ग्रामीण हरिनारायण एवं शिव चरण ने हस्ताक्षरित विज्ञप्ति प्रसारित कर वन मंडला अधिकारी एके सिंह पर आरोप लगाया है कि जिस ग्राम मोगराराम में वन भूमि नहीं है उसे वन ग्राम का दर्जा दिलाये जाने का प्रयास कर अपने लोगों को लाभ पहुँचाना चाहते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि कोनाझिर के पास वन स्थित है इसलिये कोनाझिर को वन ग्राम बनाया जाना चाहिये लेकिन इसके विपरीत अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर वन मंडलाधिकारी अपनी मनमानी करते हुए मोगराराम के लोगों को ही अधिकतर वन समिति में सम्मिलित कर रहे हैं जबकि वन भूमि से मोगराराम चार किलो मीटर दूर अवस्थित है वहाँ के लोगों को वन समिति में सम्मिलित करने का कोई औचित्य नहीं है। कोनाझिर को वन ग्राम घोषित करने से यहाँ के लोग वन भूमि की अच्छे से देखभाल कर सकते हैं।
कोनाझिर हल्का नं. 50 के अन्तग्रत आता है और ग्राम से लगी हुई ही वन भूमि है जबकि मोगराराम हल्का नं. 49 है जिसमें वन भूमि है ही नहीं। कोनाझिर के निवासी अधिकतर गरीब और अनुसूचित जाती के हैं तथा वे वन के निकट रहने से वनों की देखभाल अच्छी तरह से कर सकते हैं। कोनाझिर के निवासियों ने वन मंडलाधिकारी से अनुरोध किया है कि वे मोगराराम को वन ग्राम नहीं बना कर कोनाझिर को वन ग्राम बनाकर उसे उसका हक प्रदान करें।