सीहोर 3 जून (नि.सं.)। घोर आश्चर्य है कि पंजाब नेशनल बैंक जैसे प्रतिष्ठित बैंक में कल एक 75-80 वर्षीय शासकिय सेवानिवृत्त खातेदार आये थे। उन्होने अंदर बकायदा लेन-देन किया और वह जैसे ही बाहर निकलने लगे तो बैंक के द्वार पर ही वह अचानक हृदय घात के कारण नीचे बैठ गये और कुछ ही देर में लुढ़क गये। यहाँ खड़े अन्य लोगों ने पहले तो उन्हे संभाला लेकिन जब बैंक कर्मियों ने संवेदनहीनता का परिचय देते हुए इस घटनाक्रम से कन्नी काट ली और दूर खड़े रहे तो मजबूरन यहाँ खड़े अन्य लोगों को भी दूर ही रहना पड़ा।
घोर आश्चर्य तो इस शाखा पर तब किया गया जब यहाँ उनका परिचय आदि जानने-पहचानने से ही बैंक शाखा कर्मी बचते रहे। ज्ञातव्य है कि आज कल बैंके कम्प्यूटरीकृत हो गई हैं इसके अलावा भी जिस खाते से उनका लेन-देन हुआ था क्या वहाँ काउंटर पर बैठे लोग उस खाता नम्बर की जांच लेजर में देखकर नहीं कर सकते कि खातेदार का नाम, पता आदि क्या है ? लेकिन वह सब इससे बचते रहे।
उक्त सेवानिवृत्त बुजुर्ग पूर्व पुलिस अधिकारी नर्मदा प्रसाद उपाध्याय थे जो संभवत: अपनी पेंशन आदि का लेन देन करने के लिये आये थे। करीब 40 से 45 मिनिट तक यहाँ श्री उपाध्याय को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाया। उन्हे अस्पतला भी नहीं ले जाया गया। चिकित्सक को भी यहाँ नहीं बुलाया गया और संस्था की संवेदनहीनता के कारण श्री उपाध्याय की देह यहाँ रखी रह गई। इसके बाद पुलिस आई और उसने छानबीन कर इनके परिजनों का बुलाया तब पुत्र ने आकर अपने पिता की यह स्थिति देखी, वह कुछ बोल नहीं पाया और उनकी मृत देह साधन कर घर ले गया।
यहाँ इस दौरान चौराहे पर एक ही चर्चा रही कि उपरोक्त बैंक की संवेदनहीनता गलत थी, उन्हे सतर्क रहकर कार्यवाही करना चाहिये थी।