आष्टा 12 मई (नि.प्र.)। इन दिनों क्षैत्र में पाला यानि ठंड पड़ने से फसलो के नुकसान से प्रभावित किसानों को चैक के माध्यम से मुआवजे की राशि के चैकों का ग्राम-ग्राम में वितरण हो रहा है । बड़े खाते वालो को अधिक और छोटे खाते वालो को कम राशि के मुआवजे बने है ।
कई ऐसे खाते भी है जिसमें अभी हिस्से नही हुए संयुक्त खाते होने के कारण ऐसे किसानों को संयुक्त नामों के चैक मिले है । जब इन पीड़ित किसानों को चैक मिले तो खुश हुए कि चलो सरकार ने फूल नही तो पखड़ी तो दी किसानों ने खुशी खुशी चैक लिये उसके बाद प्राप्त चैक की राशि लेने जब वो बैंक पहुचा तो अब उसके लिए वो ही चैक जो मिलने पर खुशी का कारण था अब वो चैक परेशानी के कारण बने है क्योंकि बैंक उन्हें भुगतान इसलिए नही कर रही है क्योंकि जो चैक मिले है वो अकाउन्ट पे है इसलिए बैंक उन किसानों से नियमानुसार खाते खोलने का कह रही है आज बैंक में खाता खोलना भी आसान नही है । पहचान और कई दस्तावेज लगाने पड़ते है । एक निश्चित राशि जमा करना पड़ती है । जब खाता खुलता है । सबसे अधिक परेशान ऐसे किसान है जिन्हें 500,700 या एक हजार से 5 हजार तक की राशि के चैक मिले है उनसे भी खाता खोलने को कहा जा रहा है । जिसको 500 का या 700 का चैक मिला है उसे 500 रुपये से तो खाता ही खुलवाना पड़ रहा है तो क्या मिलेगा उसे । दो दिन पूर्व तहसीलदार ने फुरसत को बताया था कि उन्होंने बैंको को निर्देश दिए है कि किसानों के खाते जीरो बेलेन्स पर खोले जाये ताकि वे परेशान ना हो लेकिन किसानों की परेशानी देखने के बाद लगा कि तहसीलदार बिहारी सिंह का दावा बैंको ने थोथा साबित कर दिया है । परेशान किसान जो बैंक आने के बाद नाराज होकर ग्राम लौट गये है ऐसे किसानों की मांग है कि उत्पन्न विकट परेशानी दूर की जाये । कलेक्टर सीहोर एवं एस.डी.एम. आष्टा को पीड़ित किसानों की इस प्रमुख परेशानी का कोई हल निकलना चाहिये नही तो मुआवजा मिलने से खुश किसानों की नाराजी परेशानी का कारण नही बन जाये।