Thursday, May 29, 2008

भक्त से भगवान बनने कि प्रथम सीढ़ी है संस्कार

आष्टा 28 मई (नि.प्र.)। उक्त उद्गार सम्यगज्ञान शिक्षण संस्कार शिविर में अवसर पर बृं. संजय भैया ने कहे ।
आस्था ग्रुप के शरद जैन ने हमें बताया की विगत दस दिवसीय से चल रहे सम्यग्यान शिविर आज भव्य संस्कार महोत्सव के साथ किला मंदिर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सर्वप्रथम मंगलाचरण शरद एवं विल्सन जैन ने किया । तत्पश्चात दीपक पोरवाल एवं परिवार द्वारा मां जिनवाणी विराजमानद की गई , दीप प्रज्जवलन अनिल प्रगति, मोनिका विजय जैन द्वारा कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । ब्रं. संजय भैया ने अपने उद्बोधन में सबको संस्कार का महत्व बताते हुए बताया कि अच्छे संस्कार ही हमारे जीवन को भक्त से भगवान बनाने में प्रथम सिढ़ी का काम करते है । बिना अच्छे संस्कार के हमारा मनुष्य जीवन बैकार है । जिस तरह से धरती की मिट्टी संस्कारित होकर मटकी बनकर हमें शीतल जल प्रदान करती है । उसी प्रकार पत्थर भी संस्कार के माध्यम से भगवान बन जाते है, वस्तुत: सस्कारों के दो भेद होते है । एक पूर्व पर्याय से समागत और दूसरे, माता पिता कुटुम्ब परिवार से ।
भैया जी प्रवचन के पश्चात शिविरार्थी नन्ने बच्चों को णयोकार मंत्र के उच्चारण के साथ मस्तक पर गंधोदक एवं शांति पुष्प क्षेपण करके संस्कारित किया, सभी बच्चों ने जिनवाणी माता के समक्ष श्रीफल भेंटकर संस्कार संकल्प पत्र भरक शिश नवाया । तत्पश्चात सभी श्रावक-श्राविकायें , युवक बच्चे मां जिनवाणी को सिर पर रखकर, धर्म ध्वजा होकर वीर प्रभु के, जयघोष के साथ जुलुस के रूप में चन्द्र प्रभु दि. जैन चैल्यालय गंज पहुंचे । एवं दर्शन पूजन पश्चात पुन: नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए, भक्ति भाव पूर्वक पुन: किला मंदिर पहुंचे मंदिर में सभी को प्रभावन वितरित की गई।