Saturday, April 19, 2008

सम्प्रदाय कोई बुरा नहीं है, बुरी है साम्प्रदायिकता-मुनि ओम प्रकाश जी

आष्टा 18 अप्रेल (नि.सं.)। अहिंसा के अवतार श्रमण भगवान महावीर स्वामी जी की जन्म जयंती श्री श्वेताम्बर जैन समाज आष्टा ने आज श्रध्दा-भक्ति-उत्साह उमंग त्याग-तप के साथ मनाई। आज प्रात: श्री महावीर स्वामी जैन मंदिर गंज से प्रभात फेरी निकली जो किला मंदिर दादाबाड़ी से होते हुए श्री महावीर भवन स्थानक पहुँची।
यहाँ पर विराजित पूय संत योगीराज मुनि ओम प्रकाश जी ने महावीर जयंती के शुभ अवसर पर अपने प्रवचन में भगवान महावीर के जीवन पर एक भजन 'घणा के तारिया माहरा महावीर स्वामी' प्रकाश डाला। मुनिश्री ने कहा कि आज संसार में व्यक्ति की नहीं उसके गुणों की, आचार-विचार की, त्याग-तपस्या, सर्वज्ञ-सर्वदर्शी की पूजा होती है। आज हम भगवान महावीर स्वामी की जन्म जयंती मना रहे हैं। मोहनीय कर्म के कारण व्यक्ति जन्म जन्मान्तर तक भटकता रहता है। जब तक व्यक्ति के जीवन में सम्यक दर्शन प्राप्त नहीं होगा जन्म मरण का क्रम जारी रहेगा। व्यक्ति की मुहिम केवल ज्ञान-क्रिया से संभव नहीं है।
दोनो का बोध होगा तो ही मुक्ति संभव है। उन्होने कहा कि जीवन में 25 बोल सीखने की कोशिश करें। ज्ञान प्राप्त होने के बाद ही सम्यक दर्शन प्राप्त हो सकता है। भजन के माध्यम से भगवान माता के गर्भ में पधारे तब से लेकर साढ़े 72 वर्ष तक की आयु में जब पावापुरी में उनका निर्वाण हुआ तब तक के बारे में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं का बताया उन्होने धर्म के बारे में बताया कि जिस क्रिया के द्वारा आत्मा शुध्द होती है वो ही धर्म है। उन्होने कहा कि सम्प्रदाय कोई-सा भी बुरा नहीं होता है, बुरी होती है साम्प्रदायिकता। उन्होने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करे और इस जीवन को सफल बनाये। उन्होने कहा कि गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता है। आज आवश्यकता है प्रवचन सुनकर उसे जीवन में उतारने की महावीर स्वामी के बताये मार्ग पर चलने की। महावीर भवन में इसके पूर्व प्रतिभा देशलहरा साधना रांका ने भजन, कुलदीप बनवट, रौनक देशलहरा, रिम्मी देशलहरा, रत्नेश छाजेड़, अक्षत ललवानी, हितेश छाजेड़ आदि ने भी अपने भाव व्यक्त किये। यहाँ संचालन लोकेन्द्र बनवट ने किया। बाद में सभी ने नवकारसी में भाग लिया। इसके पश्चात महावीर स्वामी जैन मंदिर गंज में विराजित पूय साध्वी जी अमिदर्शा जी के प्रवचन हुए यहाँ उन्होने कहा कि जैन देश में करोड़ो है लेकिन कर्म से कितने जैन है यह चिंतन का विषय है। उन्होने कहा कि तीर्थंकर बनना कठिन है, सिध्द बनना सरल है। जब तक जीवन में करुणा, दया, मैत्री भावन जीवन में नहीं आयेगा वो जीवन जीवन नहीं है। हर आत्मा सिध्द बन सकती है क्योंकि उसमें वो गुण है। केवल अंदर झांकने की जरुरत है। परमात्मा की वाणी सुनने के बाद पुण्य चाहिये। आज महावीर को सब मानते हैं लेकिन महावीर की कौन मानता है। परमात्मा का शासन क्षमा पर टिका है। इसका वलंत उदाहरण प्रियंका बड़ेरा ने प्रस्तुत देश के सामने किया है कि वो पिछले दिनों अपने पिता के हत्यारे की बहन से मिलने जेल पहुँची। प्रभु महावीर का आदर्श अपने सामने रखो तो तिर जाओगे। इसके पूर्व बहन शकुंतला छाजेड़ ने अपने विचार रखे। गंज मंदिर में आज श्रावक प्रेमचंद बागमल बेदमूथा परिवार की और से 27 अभिषेक का कार्यक्रम हुआ रात्री में प्रश् मंच का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मंदिर में संचालन पवन सुराना ने व्यक्त किया। इस अवसर पर आज किला मंदिर, दादाबाड़ी आदि में भी पूजन आदि के कार्यक्रम सम्पन्न हुए। महावीर भवन स्थानक गंज मंदिर में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।