आष्टा 2 अप्रैल (नि.प्र.)। चैत्र महिने की दसमी पर आष्टा क्षैत्र में महिलाओं ने दशामाता ब्रत का त्यौहार श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया । घर की दशा ठीक होने के लिए यह व्रत आराधना की लिये किया जाता है । इस दिन महिलाएं कच्चा सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती है तथा पीपल की पूजनन कर दस बार पीपल की परिक्रमा कर उस पपर सूत लपेटती है तथा डोरे में दस गठान लगारक गले में बांधकर रखती है । पं. गजेन्द्र शास्त्री ने बताया कि इसके पीछे राजानल एवं रानी दमयंती की कथा है । रानी के गले में दशामाता का डोरा देखकर राजा ने डोरे का अपमान किया था । इसलिये राजपाठ सब कुछ चला गया बहुत दुखी हुए एवं राजा-रानी नगरों में भटकते रहे भटकते हुए एक दिन राजा रानी ने महिलाओं को दशा माता की पूजा करते देखा राजा ने बड़े सम्मान से डोरा लिया एवं रानी ने विधि पूर्वक पूजा व्रत किया इसके बाद उक्त डोरे को गले में धारण किया उसका फल यह मिला की राजा को राजपाट सब वापस मिल गया । इसलिए जो भी भक्त इस दशामाता का व्रत एवं पूजन करता है उसकी दरिद्रता घर से दूर चली जाती है । चैत्र माह में दशमी के दिन दशामाता का व्रत पूजन आष्टा में महिलाओं ने कि इस दिन अदालत के सामने बंजारी माता मंदिर गल चौराहे व अन्य स्थानों पर महिलाओं की भीड़ नजर आई ।