Monday, April 7, 2008

पूरे देश में विभिन्न तरह से मनता है नवसंवत्सर

भारत में कई तरह के पंचागों का चलन है, इसलिए नववर्ष की पहली तिथि को लेकर भी विभेद होता है। कहीं पर यह दिवस से आरंभ होता है, तो कहीं शाके (शक संवत) से। कई जगह मकर संक्रांति, दीपावली अथवा होली जैसे त्योहारों के आधार पर इसकी गणना की जाती है। कुछ स्थानों पर नववर्ष विक्रम संवत का मलयालम पंचाग के अनुसार भी निर्धारित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। (इस वर्ष इसकी तिथि यहां 6 अप्रैल को मानी गई है) यह साल का ऐसा समय होता है, जब खेत पीले सरसों केफूलों से भर जाते हैं।
महाराष्ट्र में चैत्र शुक्ल पक्ष से नववर्ष प्रारंभ होता है। इस दिन यहां लोग अपने-अपने घरों में पुष्प सहित पताके फहराते हैं। पूजा-अर्चनाकर प्रसाद बांटते हैं।
बिहार में नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के प्रथम दिन से होता है। इस समय तक रबी की फसल कट जाती है। जिससे घर द्वार अन्न से भर जाते हैं। प्रसन्नता से सराबोर लोग मौज-मस्ती करते लोक गीतों की धुन पर नाचते-गाते हैं और चैता गीत के साथ नए साल का स्वागत करते हैं।
पंजाब में नववर्ष का प्रारंभ वैशाखी से माना जाता है। फसल कटने की खुशी में झूमते लोग हफ्तों तक भांगड़ा करते हैं।
कश्मीर में नववर्ष को नावरेह कहते हैं। यह भी चैत्रमास के पहले दिन से शुरू होता है। इस समय घाटी खूबसूरत फूलों से लदी होती है। इस दिन हिंदू धर्मावलंबी थाली में नया अन्न, आभूषण रखकर फल-फूल से सजाते हैं और मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
केरल में नया साल मलयाली कैलेंडर पर आधारित होता है। जिसके अनुसार यह 'मेडम' मास की पहली तारीख से माना जाता है। जो अंग्रेजी केअप्रैल माह के समानांतर होता है। इसे यहां विशु कहते हैं। इस राज्य में नए साल को कोलल वर्षम भी कहा जाता है।
आंध्र प्रदेश में नया साल उगादि केनाम से जाना जाता है। जबकि तमिलनाडु में इसे आंध्र प्रदेश के नए साल के एक दिन बाद मनाया जाता है। इन दोनों राज्यों में नए साल पर तेल मालिश का प्रचलन है। इस मौके पर तमिल लोग 'बप्पम्चू पच्चाड़ी' नामक एक मिठाई भी बनाते हैं। भिन्न-भिन्न राज्यों में नववर्ष भले ही अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हो, पर इस अवसर को उत्सव की तरह मनाने का अभिप्राय यही है कि हम नए समय चक्र में नया होकर प्रवेश करें और पुराने को उतार फेंके।