Tuesday, March 11, 2008

शुभ मूहुर्त संतों के सानिध्य में भगवान विराजे

आष्टा 10 मार्च (फुरसत)। आष्टा के नागरिको, भक्तो ने वर्षो पहले जो एक सपना देखा था। आज शुभ मुहूर्त में आष्टा तीर्थ नगरी में आज प्रतिष्ठा एवं अंजन शलाका कार्यम के नवम दिन पूज्य आचार्य देव श्रीमद् अजितसेन सू.म.सा., पूज्य आचार्य देवश्री विजय नयवर्धन सू.म.सा., पन्यास प्रवर हर्ष तिलक विजय जी म.सा. की शुभ निश्रा तथा हजारो श्रावक-श्राविकाओ की उपस्थिति में नव-निर्मित देरासर में मूलनायक भगवान श्री नेमिनाथजी की प्रतिष्ठा का लावा लेने वाले परिवार मुम्बई निवासी अरूणाबेन, कुमारपाल भाई, बालूभाई झवेरी परिवार के सदस्यो ने प्रतिष्ठा कार्यम सम्पन्न किया। अन्य भगवान की मूर्तियो की भी प्रतिष्ठा लावा लेने वाले परिवारजनो ने विधि विधान के साथ की। प्रतिष्ठा एवं अंजनशलाका कार्यम प्रतिष्ठाचार्य द्वारा सम्पन्न कराया गया। प्रात: शुभ मुहूर्त में मंदिर के शिखर पर ध्वज, कलश की भी स्थापना लावा लेने वाले परिवार के सदस्यो के हाथो सम्पन्न हुआ। प्रतिष्ठा कार्यम में आज म.प्र. के वित्त मंत्री श्री राघवजी भाई सपत्नीक पधारे। यहां पर मंत्री श्री राघवजी भाई ने पूज्य आचार्य श्री के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रतिष्ठा समिति ने उनका स्वागत सम्मान किया। इस अवसर पर प्रशासनिक व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री राकेश सुराना ने उनकी अगवानी की। प्रतिष्ठा कार्यम के पश्चात् पूज्य आचार्य श्री विजय नयवर्धन सू.म.सा. ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि ज्ञानियो ने जिन भक्ति के बारे अनेको बाते बताई कि बिना जिन भक्ति के के मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती है। भारत वर्ष की धरा धर्म साधना के लिये, मोक्ष पाने के लिये योग्य भूमि है। मालवा में ही तीर्थ नगरी आष्टा में यह भव्य निर्माण तीर्थ के रूप में हुआ है। यहां मूल नायक भगवान श्री नेमिनाथ जी की, शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की इतनी पुरानी प्रतिमायें हैं। निश्चित आष्टा को तीर्थ नगरी का गौरव प्राप्त हो सकता है। भगवान नेमिनाथ जी ने संसार के इस जीवन को राग का पथ बताकर पलभर में ठोकर मारकर वैराग्य का पथ स्वीकार किया। अब आप पर बहुत बडी जिम्मेदारी आ गई है कि भगवान की ऐसी भक्ति करें की भक्ति करते करते यह भाव दिल में आ जाये कि मेरा राग कब कम हो और वैराग्य के भाव कब आयें। कल आष्टा में भगवान की दीक्षाकल्याणक का जो विशाल और ऐतिहासिक वरघोड़ा निकला जिसका पूरे नगर के हर धर्म, वर्ग के लोगो ने अपनत्व भाव से जो सहयोग और सहभागिता प्रदान की आनन्द छा गया। आष्टा की प्रजा बहुत अच्‍छी है। आचार्य श्री ने कहा कि सभी कर्मो में मोहनीय कर्म, सभी व्रतो में चौथा व्रत और सभी इन्द्रियो में रसना इन्द्री बहुत ही कठिन है। अब आपको यह मानकर कि यह मंदिर मेरा है, यह भगवान मेरे हैं ऐसा समझकर ऐसी भक्ति करें कि आत्मा के कल्याण के द्वार खुल जायें। यह मेरी प्रेरणा आप सभी को है। इस अवसर पर आज पूज्य पन्यास प्रवर श्री हर्ष तिलक विजय जी म.सा. ने अपने भाव प्रगट करते हुये कहे कि बडे पुण्यों से यह मानव का जीवन मिला है। महापुण्य योग से प्रभु के शासन का यह योग प्राप्त हुआ है। जिसे परमात्मा का शासन मिल जाता है, उसकी मुक्ति सुनिश्चित है। वर्षो पहले जो सपना आचार्य श्री राजतिलक सू.म.सा. ने देखा था। आज लम्बे इंतजार के बाद प्रतिष्ठा के साथ यह सपना पूरा हुआ, दु:ख इस बात का है कि आचार्य श्री राजतिलक सूरिजी नहीं हैं लेकिन खुशी इस बात की है कि उनका सपना पूरा हुआ। उनके देवलोक के बाद जो बडी जिम्मेदारी मुझ पर थी आज उससे मुक्त हो गया। आज पूरे आष्टा में खुशी ही खुशी छाई है। मैं तो आज प्रतिष्ठा के बाद चिन्ता से मुक्त हो गया। लेकिन अब आपको इस तीर्थ कि चिन्ता करना है। आप पर बडी जिम्मेदारी है। सभी नें प्रतिष्ठा निर्माण में तन, मन, धन से पूरा सहयोग दिया, लाभ लिया है। अब आपकी जिम्मेदारी है कि इस तीर्थ की जिम्मेदारी यहां का श्री संघ करे।
आज की नवकारशी, स्वामी वात्सल्य, पूजा आदि का लाभ लेने वाले परिवार अरूणाबेन , कुमारपाल भाई झवेरी मुम्बई, राजमल छगनमल संचेती आष्टा का बहुमान मोतीचंद झवेरचंद झवेरी परिवार ने किया तथा दोपहर में पूजन के लाभार्थी परिवार इन्दरमल, महेन्द्रकुमार, बसंतकुमार सुराना परिवार का बहुमान अनोखीलाल बसंतकुमार खण्डेलवाल परिवार आष्टा ने किया। आज हिन्दू समाजसेवा संगठन की ओर से हिन्दू नेता अनोखीलाल खंडेलवाल ने दानदाताओ एवं समाज की सेवा करने वालो का बहुमान किया वहीं प्रतिष्ठा महोत्सव समिति की ओर से हिन्दू नेता अनोखीलाल खंडेलवाल का तथा अन्य दानदाताओ का बहुमान कर स्मृति चिन्ह भेंट किये गये। आज प्रतिष्ठा महोत्सव में दोपहर में वृहद् अष्टोत्तरी पूजन सम्पन्न हुई। समिति ने सुप्रसिध्द भजन गायक हितेश भाई का भी सम्मान किया गया। 15,16,17 मार्च में कायथा में आचार्य श्री की निश्रा में प्रतिष्ठा कार्यम होगा।
प्रात: शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठा का श्रेष्ठतम विधान, नूतन जिनबिंबो का प्रथम दर्शन, केवल ज्ञान कल्याणक की उजवणी, निर्वाणक कल्याणक के 108 अभिषेक के कार्यम सम्पन्न हुये।
11 मार्च को प्रात: शुभ मुहूर्त में चतुर्विध श्री संघ की उपस्थिति में मंगल वाजित्र के सुरीले स्वर के साथ बाजते भव्य जिनालय एवं गुरूमंदिर का द्वारोद्धाटन बोली लेने वाले श्रावक राजमल छगनमल संचेती के निवास से सभी मंदिरजी पहुचेगें और प्रतिष्ठा के बाद प्रभु के प्रथम दर्शन करायेगें। उसके बाद सत्तरभेदी पूजा सम्पन्न होगी एवं 22 छोड़ का भव्य उद्यापन भी सम्पन्न होगा। द्वारोद्धाटन के बाद पूज्य आचार्य श्री का आष्टा से सोनकच्‍छ की ओर मंगल विहार होगा।
आभार श्री नेमिनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर में भगवान श्री नेमिनाथ जी की भव्य प्रतिष्ठा एवं अंजन शलाका का कार्यम को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में समाज के साथ अन्य सभी समाजो का, म.प्र. शासन का, सभी संगठनो, समाजसेवी संस्थाओ, आष्टा नगर पालिका, विद्युत मण्डल, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, अन्य सभी विभागो के वरिष्ठ अधिकारियो, अधीनस्थ अधिकारियो कर्मचारियो का प्रतिष्ठा महोत्सव समिति ने सभी का आभार व्यक्त करते हुये दिये गये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सहयोग के प्रति हदय से आभार व्यक्त किया। प्रतिष्ठा महोत्सव समिति ने समाज के सभी मण्डलो के प्रमुखो, बालक, बालिका, बहू मण्डल, युवा मण्डल एवं प्रतिष्ठा महोत्सव की अन्य उपसमितियो के सभी सदस्यो का भी सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया।