Wednesday, March 5, 2008

आष्टा में कलाकारों की कला का अद्भुत नमूना है श्री नेमिनाथ मंदिर

आष्टा 4 मार्च (फुरसत)। जीर्णोध्दार के बाद किले पर बने भव्य श्री नेमिनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर की कलाकृति जिसे गुजरात, राजस्थान व अन्य प्रांतों के कलाकारों ने वर्षो दिन रात छेनी हथोड़ी से सामान्य पत्थरों पर सुन्दर नक्कासी उकेर कर जो कलाकृति की है, उस कला को देखकर देखने वाला प्रत्येक नागरिक आश्चर्यचकित हैं। आष्टा में बने उक्त मंदिर को कलाकारों ने माऊंट आबु के देलवाड़ा मंदिर राणकपुर के मंदिर कलाकृति उकेरने के जो प्रयास किये जिसमें कलाकार सफल भी हुए हैं। कलाकारों की उक्त कलाकृति को देखकर मंदिर आने वाले प्रत्येक नागरिक भक्त श्रावक आश्चर्य चकित हैं, निश्चित कलाकारों की कला का उक्त मंदिर अद्भुत नमूना है जिसे प्रतिष्ठा के बाद पूरे देश मालवा के गिरनार के रुप में देखा जायेगा।
घोड़ी पर होकर सवार.....
आष्टा 4 मार्च (सुशील)। आज आष्टा नगर में पहली बार एक अनोखा बाना निकला जिसने भी देखा उसने यही सोचा की यह शादी का बाना होगा लेकिन दुल्हे के रुप में घोड़ी पर होकर सवार जो दुल्हा हाथ में तलवार लिये राजसी वेशभूषा पहने नगर में निकले वास्तव में वो ना ही शादी का बना था और ना ही वो तोरण मारने जा रहा था वास्तव में यह एक विधि को पूर्ण कर रहे थे। आष्टा तीर्थ नगरी में श्री श्वेताम्बर जैन समाज के नेमिनाथ मंदिर में भगवान की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा है जिसमें कल से भगवान के पंच कल्याणक के कार्यक्रम प्रारंभ होंगे। इसके पूर्व एक विधि यह होती है कि मंदिर पर तोरण बांधा जाता है आज प्रवचन के पश्चात तोरण बांधने की बोली लगी जो शांतिलाल कैलाश चंद्र गोरव बोहरा परिवार ने ली एवं उक्त विधि बोहरा परिवार ने अपने कंवर साहब इन्दौर निवासी श्री मोहित जी भंडारी से पूर्ण करवाई। प्रवचन के पश्चात राजसी वेशभूषा के साथ भंडारी जी को घोड़ी पर बैठाकर नगर में बना निकला जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ मंदिर पहुँचा। रास्ते में उनका पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया। बोहरा परिवार ने सभी पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया। वोहरा परिवार ने सभी शामिल भक्तों को श्रीफल की प्रभावना बांटी एवं आचार्यरी की उपस्थिति में मंदिर जी पर तोरण बांधने की विधि सम्पन्न हुई। इस अनोखे बाने में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए रास्ते में भक्तों ने घोड़ी के आगे नृत्य भी किये एवं रुपये भी बांटे।