Tuesday, March 25, 2008

धूमधाम से मनी होली, न.पा. के खिलाफ आक्रोश फूटा

सीहोर 24 मार्च (नि.सं.)। इस बार भी धूमधाम से होली मनी, दो दिन जमकर होली हुई, नगर भी बंद रहा लेकिन नगर पालिका ने इस बार निकम्मेपन का इतिहास बना दिया और पूरे नगर में होली पर जो जल वितरण टैंकर से किया जाता है वह नहीं किया गया बल्कि होली पर नल तक नहीं दिये गये। जनता खासी आक्रोशित रही। लाल टंकी पर जाकर दो-तीन अलग-अलग चौराहों के युवकों हुरियारों ने मुर्दाबाद के नारे लगाये थे लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ।
होली का दो दिवसीय त्यौहार बड़ी धूमधाम से मना। नगर भर में होली खेली गई, हर एक चौराहें पर उत्साह छाया हुआ था। पहले दिन गमी की होली पर इस बार गैर निकालने की परम्परा और भी व्यवस्थित नजर आई। कुछ नये समाजों ने इस तरह की परम्परा को शुरु किया है जिसके तहत सभी मिलजुलकर ऐसे गमी वाले परिवारों में बड़ी संख्या में पहुँचे तथा वहाँ गमी वाले परिवारों को गम भुलाकर अब बाहर निकलने की समझाईश, उन्हे होली का रंग लगाकर कहा कि आओ अब गम छोड़ो और होली में बाहर निकलो हम सब तुम्हारे साथ हैं। पहली दिन गमी की होली धूमधाम से हुई। दूसरे दिन कल भाईदूज पर नगर में होली का उत्साह देखते ही बन रहा था। हर एक चौराहे पर होली का उत्साह था। लेकिन नगर पालिका ने इस उत्सव में सारे विघ् उत्पन्न किये। सुबह जहाँ 8-9 बजे से पानी के टैंकर चलने चाहिये थे वह दोपहर 12 बजे तक चलना शुरु हुए और जो चले तो एक-एक बार पानी भरकर फिर ऐसे गायब हुए कि कहीं नजर ही नहीं आये। हुरियारे खासे नाराज हुए, अनेक चौराहों पर पानी नहीं आने के कारण वहाँ होली ठीक से नहीं मन पाई, राकेश राय मुर्दाबाद के नारे अनेक चौराहों पर लगे, इसके अलावा अनेक नारे भी लगाये गये, जिला प्रशासन हाय-हाय के नारे तो खुद जिला प्रशासन के सामने लाल टंकी पर हुरियारों ने जाकर लगाये लेकिन इसके बाद भी पानी की व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई। नमक चौराहा और गंज क्षेत्र सहित कुछ अन्य स्थानों की टोलियाँ भी लालटंकी बाल विहार मैदान पहुँची जहाँ पानी के टैंकर नहीं भेजने को लेकर हाट-टाक हुई, नारेबाजी हुई उसके बाद बमुश्किल पानी भेजा गया। कुल मिलाकर नगर पालिका ने होली जैसे त्यौहार पर कोई पुराना बदला ले लिया। इतना ही नहीं जब होली हो गई तो नगर में नल आने की परम्परा की खंडित कर दी गई, हालांकि जिला प्रशासन ने यह व्यवस्था कथित रुप से अपने कब्जे में ले रखी है लेकिन इस मामले में सिर्फ दादागिरी ही नजर आई व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं किया गया, पानी आया ही नहीं, लोग होली के बाद नल के लिये तरसते रहे और आक्रोशित रहे।