सीहोर 18 मार्च (नि.सं.)। और होली आ ही गई....सारी टेंशन, सारी व्यस्तताओं, वर्ष भर की सारी थकान को मिटा देने वाला और एक नई उर्जा से सराबोर कर देने वाला होलिका उत्सव द्वार पर आ चुका है। दो दिन बाद होलिका दहन का उत्सव नगर के हर एक प्रमुख चौराहे पर पूरे उत्साह-उमंग के साथ मनेगा। आज मंगलवार को होली का बाजार जम गया। दिनभर भारी भीड़ रही। पिचकारी, रंग, गुलाल की बिक्री अच्छी हुई। होली उत्सव समितियों ने भी तैयारियाँ शुरु कर दी है। होली उत्साह धीरे-धीरे छाने लगा है।
आई है होली आई... मस्ती उत्साह उमंग का संदेश लाई ....आई रे होली आई रे....। जी हाँ वाकई होली आ गई। एक जमाना था जब महिने भर पहले से आसपास के ग्रामीण सीहोर में रंगे-पुते ही आते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में फागुन माह लगते ही होली की शुरुआत हो जाती थी। बल्कि एक परम्परा-सी विद्यमान थी कि जिसकी निश्चित-निश्चित नाते-रिश्तेदारों के बीच होली का होना प्रासंगिक था। आज जमाना बदल गया है। विगत 10 वर्षों में ही होली के पूर्व होली का रंग कम ही देखने को मिल रहा है। अब सिर्फ होली के अवसर पर ही होली खेलते हुए लोग नजर आते हैं।
शुक्रवार को होलिका दहन है और इसके लिये अभी से तैयारियाँ शुरु हो गई हैं। पाँच दिवसीय होली की परम्परा का वाले सीहोर में धीमे-धीमे सिमटकर होली के अब कुल तीन दिन ही होती है। होली धुलेंडी के दिन गमी की होली खेलने के साथ सामाजिक सरोकार निर्वहन किये जाते हैं और फिर धूमधाम के साथ भाई दूज के दिन होली होती है। दूज की होली का उत्साह देखने के लिये पूर्व में तो कई लोग बाहर से सीहोर में होली देखने के लिये आ जाया करते थे। होली के रसिया इतने उत्साहित नजर आते थे कि उनकी मस्ती, उनका उत्साह देखकर लोगों को मस्ती चढ़ जाया करती थी। दूज होली के एक दो नहीं सैकड़ो किस्से नगर में विद्यमान हैं। इसके बाद रंगपंचमी पर भी होली पूरे उत्साह के साथ खेली जाती है।
सीहोर में होली को लेकर तैयारियाँ शुरु हो गई हैं। होली उत्सव समितियाँ अपने-अपने स्तर पर चंदा उगाई शुरु कर चुकी है। लकड़ियां खरीदने से लेकर होली का डांडा खोजने तक की प्रक्रिया शुरु हो गई है। होली का डांडा भी हर किसी पेड क़ा नहीं गाड़ा जाता है इसकी खोज की जाती है। इसी प्रकार मोहल्ले की सजावट और होली की सजावट करने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। होली के लिये रंग, गुलाल, पिचकारी व अन्य बच्चों के होली के खिलौनों की दुकानों से आज बाजार सज गया था। जहाँ दिनभर अच्छी ग्राहकी रही। आगामी दो दिनों में भी जमकर होली की बिक्री रहने की उम्मीद है।
आई है होली आई... मस्ती उत्साह उमंग का संदेश लाई ....आई रे होली आई रे....। जी हाँ वाकई होली आ गई। एक जमाना था जब महिने भर पहले से आसपास के ग्रामीण सीहोर में रंगे-पुते ही आते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में फागुन माह लगते ही होली की शुरुआत हो जाती थी। बल्कि एक परम्परा-सी विद्यमान थी कि जिसकी निश्चित-निश्चित नाते-रिश्तेदारों के बीच होली का होना प्रासंगिक था। आज जमाना बदल गया है। विगत 10 वर्षों में ही होली के पूर्व होली का रंग कम ही देखने को मिल रहा है। अब सिर्फ होली के अवसर पर ही होली खेलते हुए लोग नजर आते हैं।
शुक्रवार को होलिका दहन है और इसके लिये अभी से तैयारियाँ शुरु हो गई हैं। पाँच दिवसीय होली की परम्परा का वाले सीहोर में धीमे-धीमे सिमटकर होली के अब कुल तीन दिन ही होती है। होली धुलेंडी के दिन गमी की होली खेलने के साथ सामाजिक सरोकार निर्वहन किये जाते हैं और फिर धूमधाम के साथ भाई दूज के दिन होली होती है। दूज की होली का उत्साह देखने के लिये पूर्व में तो कई लोग बाहर से सीहोर में होली देखने के लिये आ जाया करते थे। होली के रसिया इतने उत्साहित नजर आते थे कि उनकी मस्ती, उनका उत्साह देखकर लोगों को मस्ती चढ़ जाया करती थी। दूज होली के एक दो नहीं सैकड़ो किस्से नगर में विद्यमान हैं। इसके बाद रंगपंचमी पर भी होली पूरे उत्साह के साथ खेली जाती है।
सीहोर में होली को लेकर तैयारियाँ शुरु हो गई हैं। होली उत्सव समितियाँ अपने-अपने स्तर पर चंदा उगाई शुरु कर चुकी है। लकड़ियां खरीदने से लेकर होली का डांडा खोजने तक की प्रक्रिया शुरु हो गई है। होली का डांडा भी हर किसी पेड क़ा नहीं गाड़ा जाता है इसकी खोज की जाती है। इसी प्रकार मोहल्ले की सजावट और होली की सजावट करने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। होली के लिये रंग, गुलाल, पिचकारी व अन्य बच्चों के होली के खिलौनों की दुकानों से आज बाजार सज गया था। जहाँ दिनभर अच्छी ग्राहकी रही। आगामी दो दिनों में भी जमकर होली की बिक्री रहने की उम्मीद है।