आष्टा 21 फरवरी (सुशील संचेती)। आष्टा नगर में यूँ तो रोजाना तरह-तरह से जुंआ सट्टा होता है इसमें सबसे अधिक गरीब वर्ग का नागरिक अपनी जेब हल्की करता है लेकिन वर्षों से आष्टा नगर में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में एक अनोखे तरीके का जुंआ होता है। इसमें हाट में सप्ताह भर का सामान, सब्जी व अन्य सामान खरीदने आने वाला ग्राम का भोला-भाला किसान, ग्रामीण युवा, वृध्द इस जुंआ खिलाने वाले की चाल में ऐसे फंसते हैं कि वो लालच में घर से खरीदी करने के लिये जो राशि लाता है वो हार जाता है और खाली झोला मुंह लटकाये घर पर जाता है ऐसा बताते हैं कि इस अनोखे तरीके से जुंआ खिलाने वाले को खाकी वर्दी का अप्रत्यक्ष रुप से पूरा आशीर्वाद प्राप्त रहता है क्योंकि शाम को यह जो कुछ कमाता है उसका एक निश्चित हिस्सा शाम होते ही खाकी वर्दी वाले आकर ले जाते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त जुंआ का नया खेल खिलाने वाला बुधवार को आष्टा में व अन्य दिन वो अन्य हाटों में अपना ठेला लगाता है यह व्यक्ति कागज की पुड़िया में कितने का नोट है जैसा दाव किसानों से लगवाता है। इस ठेले के आसपास इसके 2-4 लोग लगे रहते हैं जब वे दाव लगाते हैं तो पुडिया में से बड़े-बडे नोट निकलते हैं यह देख अन्य दर्शक लालच में आ जाते हैं और एक बार दांव लगाने को मजबूर हो जाते हैं पहले दांव में उक्त जुंआ खिलाने वाला हाथों की सफाई से उन्हे धनवान बना देता है और बस फिर दावं लगाने वाला ऐसा लालच में आता है कि जीता रुपया और उसके साथ जो रुपया वो हार करने के लिये लाता है वो पूरा ही हार जाता है और खाली झोला तथा मुंह लटकाये बिना किसी को बताये घर की और रवाना हो जाता है। आज 20 फरवरी को इस प्रतिनिधि को जानकारी एक ऐसे ही दांव में लगभग 200 रुपये हारे किसान ने अश्रुपूरित नेत्रों से पूरा किस्सा सुनाया कि किस तरह पहले वो लालच में आया और फिर ऐसा फंसा की हार में से घर का सामान खरीदने के लिये लाया पूरे रुपये हार गया। इस अनोखे खाईवाल की कई बार अनुविभागीय अधिकारी पुलिस को भी शिकायत की लेकिन वे इस अनोखे तरीके से जुंआ खिलाने वाले से भोले-भाले ग्रामीण किसानों को बचाने के लिये कोई कार्यवाही नहीं कर पाये अभी भी वे कुछ करें तो भोले भाले गरीब लुटने से बच सकते हैं....।