Wednesday, February 6, 2008

470 लाख की लागत से बन रहे भवन की मजबूती सबसे जुदा!

सीहोर 4 फरवरी (नि.सं.)। नगर में बन रहे संयुक्त कलेक्टर भवन के बनने से सीहोर का भविष्य क्या होगा यह बात यदि छोड़ दी जाये और सिर्फ निर्माण कार्य देखा जाये तो वाकई यहाँ पहली बार इतना मजबूत कार्य नगर के मध्य होते हुए देखा जा सकता है। खुद जिलाधीश ने इसके लिये अपने परिचित ठेकेदार से निवेदन कर इस कार्य को व्यवस्थित कराने के प्रयास किये थे जिसके चलते ही यहाँ संयुक्त कलेक्टर भवन की नींव ही इतनी मजबूत बन रही है कि इमारत निश्चित ही काबिले तारीफ रहेगी। हालांकि 4 करोड़ 70 लाख रुपये की विशाल राशि से इस भवन का निर्माण हो रहा है लेकिन निर्माण कार्य देखने योग्य है।
बस डिपो के पास महाविद्यालय प्रांगण से लगी हुई भूमि पर संयुक्त कलेक्टर भवन का निर्माण कार्य चल रहा है जो युध्द स्तर पर जारी है। इसके लिये ठेकेदार बाहर से बुलाये गये हैं वर्तमान में इन्दौर के ठेकेदार द्वारा इसका निर्माण कराया जा रहा है लेकिन लोक निर्माण विभाग के कार्य पालन यंत्री एल.के.दुबे निर्माण कार्य में विशेष रुचि रख रहे हैं जिसके चलते लोक निर्माण विभाग के अधिकारी यहाँ निर्माण कार्य के दौरान प्रतिदिन उपस्थित रहते हैं और कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं।
इतना ही घोर आश्चर्य यह भी है कि इस निर्माण के ठेकेदार ने स्वयं ही लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों व निगाह रखने वाले उपयंत्रियों को छूट दे रखी है कि वह स्वयं ही आगे रहकर अच्छे से अच्छा निर्माण कार्य करायें गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाये।
निर्माण कार्य की इसी विशेषता के कारण यह भवन अपनी मजबूती के चलते चर्चा का विषय बनने लगा है। नींव भराने का कार्य ही अभी चल रहा है लेकिन जो कुछ कार्य दिखने लगा है वह आभाष करा रहा है कि काम मजबूत हो रहा है। इस संबंध में मुख्य कार्यपालन यंत्री एल.के.दुबे ने फुरसत को बताया कि लागत 470 लाख के अलावा यह निर्माण कार्य इस वर्ष नवम्बर तक पूर्ण होने की संभावना है।
कार्य की गुणवत्ता लगातार जांची जा रही है। क्या कोई उपकरण भी निर्माण के लाये गये हैं ? इस प्रश्‍न के उत्तर में उन्होने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है सिर्फ पूरी ईमानदारी से निर्माण कार्य करने भर से ही यह स्थिति बन गई है। हमने निश्चित कर रखा है कि मटेरियल किस हिसाब से बनना है। मटेरियल की जांच लेबोरेटरी में पहले की जाती है फिर निर्माण कराया जाता है। उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय प्रांगण के आसपास की जमीन भीषण ग्रीष्म ऋतु में तिड़क जाती है ऐसा माना जाता है उस क्षेत्र के भवनों में दीवारों में दरारे पड़ जाया करती हैं। यह क्षेत्र कैसे पसंद किया गया यह तो राम जाने लेकिन मजबूती वाकई जरुरी थी जो देखने को भी मिल रही है निश्चित ही भवन की उम्र अच्छी रहेगी।