सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.)। ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ हो और आज जब मतदान समाप्त हो चुका है तब भी नगर में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। नगाड़े के आसपास नगाड़ा बजने, कमल के आसपास कमल खिलने और पंजे के आसपास पंजा ही पंजा छा जाने की बातें चल रही हैं। यही हाल नगर के मध्य का है, हर तरफ कयास हैं, जो जिस पार्टी का है उसे पूरा विश्वास है कि उसकी की पार्टी बहुमत के साथ विजय हो चुकी है बस पेटी खुलने की देरी है। तीन-तीन प्रत्याशियों के द्वंद के बीच भी ऐसा नहीं हुआ कि मतदान के बाद यह स्थिति स्पष्ट हो जाती कि कौन जीतेगा ? तीनों ही प्रत्याशियों की जीत लोग मान रहे हैं हालांकि तीनों तो कभी नहीं जीत सकते लेकिन जो भी हो हर तरफ उल्लास और उमंग है।
कल भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनशक्ति पार्टी तीनों ही पार्टी के कार्यालयों में शाम मतदान होने के बाद जिस तरह से मतदान केन्द्रों से लौटे लोगों की भीड़ लगना शुरु हुई थी उससे यहाँ का वातावरण ही अलग बनता जा रहा था। हर मतदान केन्द्र से आने वाला व्यक्ति खुशी चेहरे पर लेकर आ रहा था और यह कह रहा था कि अपनी जीत सुनिश्चित है, हमारा केन्द्र अपन जीत चुके हैं, कुछ इतना भर कहते थे कि दूसरे नम्बर पर रहेंगे लेकिन उसके बाद भी वह खुशी बताते थे। ऐसी स्थिति एक पार्टी नहीं बल्कि तीनों ही प्रमुख पार्टियों के कार्यालयों में थी। और यहाँ खुशी लगातार बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ गई थी कुछ तो जीतने की खुशी में मिठाई का वितरण भी करने से नहीं चूक रहे थे।
इधर भाजपा कार्यालय में जहाँ सबके लिये पोहा और चाय की व्यवस्था कराई गई वहीं कांग्रेस और जनशक्ति कार्यालय में सब आने वालों को चाय पिलाई गई। हर तरफ मिठाई भी बंट गई और खुशी भी जाहिर की जा रही है।
सबको विश्वास है कि दूसरे की जमानत जप्त हो जायेगी और हमारी विजय सुनिश्चित है। इसी विश्वास को और पक्का करने के लिये वह खुद ही मिठाई खरीदते और खाते तथा खिलाते रहे।
लेकिन इन सब खुशी के माहौल में वह आम मतदाता मौन होकर अभी भी तमाशा देखता रहा जिसने आज तक अपना मौन नहीं तोड़ा है। वह किसी से कुछ नहीं कहना चाहता है। वह यह सोचता रहा कि आश्चर्य है यह लोग खुशी कैसे मना रहे हैं जब पेटियाँ खुली ही नहीं है इसके पहले ही यह अंदाजा लगा ले रहे हैं।