Friday, July 11, 2008

जब श्याम बरसते हैं तब मन शीतल हो जाता है-ऋचा

सीहोर 10 जुलाई (नि.सं.)। श्रीमद भागवत ध्यान शास्त्र है। श्रीमद भागवत में आदि से अंत तक परम सत्य स्वरुप परमात्मा का ध्यान किया गया है सत्य पर धीमहि व्याप्त जी भागवत महापुराण का आरंभ करते हुए कहते हैं हम उस परब्रह्म का ध्यान करते हैं तो सत्य स्वरुप है जगत की उत्पत्ति स्थिति और पालन में तीनों कार्य जिससे होते हैं।
ध्यान शब्द का अर्थ व्याकरण शास्त्र के अनुसार होता है चिंतन, चिंतन ही ध्यान है। संसार का चिंतन पतन का कारण है और परमात्मा का चिंतन जीवन का उध्दार करता है। उक्त उद्गार बाल विद्वान 14 वर्षीय ऋषभ देव जी ने व्यक्त किये। सीहोर कृ षि उपज मण्डी प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आगे ऋषभदेव जी ने कहा मन बहुत चंचल है यह ईश्वर में स्थित नहीं होता है। ऐसी स्थिति महर्षि पंतजलि ने अपने योगदर्शन में मन को परमात्मा में लगाने के दो उपाय बतलाये हैं। अभ्यास अर्थात बार-बार मन संसार में जाता है तो जितनी बार मन संसार में लगे उतनी बार परमात्मा में मन को संसार से खींचकर लगा दो।
वैराग्य इस लोक और परलोक के भोगों को प्राप्त करने की इच्छा मत करों ये दो उपाय करने से मन को परमात्मा में लगा सकता है पर ये दोनो उपाय अत्यंत कठिन है पर यदि स्वयं परमात्मा हमारे मन में तो न ही विशेष प्रयत्न करना पड़ेगा और न ही मन भटक सकेगा पर मन में ईश्वर को लाने का श्रीमद भागवत कथा ही उत्तम साधन है। अन्य शास्त्र मन को परमात्मा में लगाने का उपाय बतलाते हैं पर भगवान को स्वयं मन में लाने का समर्थ भागवत मे ही है। भागवत वेद समस्त अभिष्ठ पदार्थों को देने वाले हैं उनका परिपक्व फल है जो शुकदेव रुपी तोते की चोंच से आहत होकर इस पृथ्वी पर गिरा है अत: महर्षि व्यास का आवाहन है कि परम रसिक भक्तों इस रस का बार-बार पान करो, मोक्ष प्राप्त होने पर भी इसे मत त्यागों। जो लोग कहते हैं कि हमने रामायण, भागवत, धर्मग्रंथ सुन लिये अब सुनने की आवश्यकता क्या है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके लिये कहा कि उन्होने धर्मग्रंथों का असली रस नहीं पाया है इसलिये तो वे ऐसा कहते हैं अरे इसे तो जो एक बार सहीं ढंग से आस्वादन कर लें वह तो इसकी प्राप्ति के लिये तड़पने लगता है।
बाल विदुषी ऋचा गोस्वामी ने भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत स्वरुप का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान घनश्याम है घन कहते हैं मेघों को बादल जब जल से भरे होते हैं तब वे श्याम हो जाते हैं। श्याम मेघ जरुर बरसते हैं और संतप्त वातावरण को शीतलता प्रदान करते हैं। श्याम सुन्दर भी मेघों के समान श्याम होकर मानों आनंद रस को बरसाने के लिये आतुर हैं।
मण्डी व्यापारी संघ सीहोर अध्यक्ष अजय खण्डेलवाल, रमेश चन्द्र साहू, श्रीमति चंदा शर्मा, गेंदालाल रैकरवार, रानू व्यास, भागीरथ जांगड़े, पप्पू यादव ने व्यास गादी का पूजन किया। आज कथा में सीहोर के प्रसिध्द कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा एवं पं. कमला प्रसाद जी विशेष रुप से उपस्थित रहें।


हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।