सीहोर 15 नवम्बर (नि.सं.)। जब कभी कम्प्यूटर में वायरस घुस जाते हैं या कहीं से आ जाते हैं तो वायरस के कारण कम्प्यूटर कुछ का कुछ दिखाने व बताने लगता है। कम्प्यूटर की कार्य क्षमता प्रभावित हो जाती है बल्कि उसे जिस कार्य का कहते हैं वह कार्य वो गलत-सलत करने लगता है। पिछले दिनों छावनी के एक नेताजी ने जैसे ही रमेश सक्सेना की रैली समाप्त हुई उसके बाद शाम को टिप्पणी करते हुए कहा कि रमेश की रैली तो फेल हो गई मात्र 500-600 लोग ही थे, लोग उनका मुँह देखते रह गये....कुछ की तो हंसी छूट गई और कुछ जो उनसे कुछ कह सकते थे उन्हे लगभग डांटने लगे की भैया क्या सपना देख लिया है या सोकर आ रहा है....तुझे हो क्या गया ? होंश में तो है...। लेकिन नेताजी थे कि मुख मुद्रा एकदम गंभीर बनाये हुए थे....अपनी बात पर अडिग थे....उनकी मुख-मुद्रा देख-देखकर उनकी बात सुनने वालों की हंसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी....। कुछ ने मजे लेने के हिसाब से पूछ लिया कि चलो बताओ 500-600 किस हिसाब से थे.....तो नेताजी बोले सबसे वजनदार रैली स्वदेश राय की थी क्योंकि उसके साथ मतदाता थे...कांग्रेस के लोग थे...फिर सन्नी की रैली थी जिसमें युवा ही युवा नजर आ रहे थे वो भी दमदार बात थी लेकिन रमेश की रैली में तो जबरन की भीड़ थी वो मतदाता थोड़ी थे...। बस उनका इतना कहना था कि उनकी बात सुनने वालों ने कानाफू सी शुरु कर दी कि भैया कम्प्यूटर में वायरस आ गया है.....किसी अच्छे इंजीनियर द्वारा ही अब यह सुधर सकता है वरना समझलो बेकार हो गया.....। चुनाव के दौरान इस कम्प्यूटर के वायरस ठीक होते हैं या नहीं यह कहना जरा मुश्किल है....।