Wednesday, October 22, 2008

यदि मैं विधायक बन जाऊं तो हर नागरिक विधायक होगा- अखिलेश राय

राजनीति पर लोकप्रिय समाजसेवी अखिलेश राय की फुरसत से बेवाक बातचीत

      सीहोर 21 अक्टूबर (फुरसत)।  नगर के लोकप्रिय समाजसेवी और राजनीतिक दृष्टिकोण से नगर पालिका चुनाव के स्टार प्रचारक के रुप में उभरे उजवल छवि के युवा अखिलेश राय को लेकर नगर के हर आम और खास नागरिक के दिलों में कई अरमान जागे हुए हैं...। बड़े स्तर पर आगामी चुनावों के लिये लोग अखलेश राय के आगे आने के सपने संजो रहे हैं। लेकिन राजनीति के संबंध में अखलेश राय क्या सोचते हैं? क्या उन्हे राजनीति से लगाव है ?  क्या चुनाव लड़ना वह पसंद कर सकते हैं ? क्या उन्हे टिकिट मिल जायेगा तो वह चुनाव लड़ेंगे ? ऐसे अनेकानेक प्रश्न आम नागरिकों के मन उमड़-घुमड़  रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक संदर्भों में स्वयं ही घर बैठे अखलेश राय की चर्चाएं सरगर्म हैं। वह एक कुशल व्यापारी व समाजसेवी हैं, और उन्होने अपने व्यापार को आज जिस मुकाम पर पहुँचाया है साथ ही अपनी कार्यपध्दति से वह लोकप्रिय बने हुए हैं तो ऐसे में क्या एक व्यापारी के रुप में ही उन्हे देखा जाना चाहिये ? अथवा राजनीतिक सोच और विचार भी वह रखते हैं। इन्ही सब बातों के लिये फुरसत ने उनसे जब बातचीत का प्रस्ताव रखा तो उन्होने खुलकर राजनीति पर बेबाक बात की। प्रस्तुत है अखिलेश राय से राजनीति पर केन्द्रित बातों के कुछ अंश...।

       फुरसत- आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर शहर में यह चर्चाएं आम हैं कि आपको कांग्रेस से टिकिट मिल सकता है ? क्या आप चुनाव लड़ना पसंद  करेंगे ?

      अखिलेश - नहीं, मुझे टिकिट क्यों मिलेगा, मैने तो कांग्रेस से टिकिट भी नहीं मांगा है, ना मांगूगा । यह सही है कि पिछले कुछ दिनों से मेरे चाहने वाले व इष्ट मित्रों ने मुझसे बार-बार कहा है कि मैं चुनाव लडूं , उन्होने ही कांग्रेस में ऊपर तक बात भी पहुँचाई है कि मुझे टिकिट दिया जाये लेकिन इससे मैं खुद दूर हूँ। चुनाव लड़ने की तो बात ही दूर है। इस संबंध में मेरी पचौरी जी से भी बात हुई थी।

      फुरसत - चलिये मान लीजिये कि कांग्रेस ने आपको बिना मांगे ही टिकिट दे दिया है अब आप क्या करने वाले हैं ?

      इस प्रश्न पर अखलेश राय हंसते हुए कहते हैं कि देखिये यदि मैं चुनाव लडूंगा तो मेरे मित्रों व चाहने वालों का कहना है कि पूरे प्रदेश में सर्वाधिक मतों से विजयी होने का रिकार्ड बन सकता है। दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से मुझे लगातार ग्रामीणजन सम्पर्क करके साल भर से चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। श्री राय ने इस संवाददाता को स्मरण दिलाया कि मैने आपको नगर पालिका चुनाव में ही बताया था कि हम जहाँ भी प्रचार करने जाने वाले होते थे वहाँ पहले से ही हमें फोन आने लगते थे भाई साहब आपको आने की जरुरत नहीं है, हम तो स्वयं ही आपके पक्ष में हैं, आपने इतना किया है, पहली बार हमारा (जनता का) मौका आया है, हम निश्चित ही आपके पक्ष में रहेंगे। श्री राय ने बताया कि ऐसे ही मेरे परिचितों के फोन फिर पिछले दिनो से लगातार आ रहे हैं और पूरे ग्रामीण क्षेत्रों तक से आ रहे हैं। श्री राय ने कहा कि जिसका कुछ करने का जबा हो, सोच अच्छी हो, तो उसे दिक्कत आने का सवाल ही नहीं उठता।

      तो आप क्या करने वाले हैं ? (हमारी इस बातचीत के दौरान अखिलेश राय को लगातार कई फोन आ रहे थे जिनमें से लगभग सभी से वर्तमान राजनीति को लेकर कुछ चर्चाएं चल रही थीं, जिससे लग रहा था कि निश्चित ही आगामी विधानसभा को लेकर उनसे सम्पर्क रखने वाले उनसे राजनीतिक बातें कर रहे हैं)

      अखलेश - (हंसते हुए) देखिये मेरे बड़े भाई साहब को राजनीति का शोक है, मुझे नहीं है, मैं इससे बचता रहा हूँ। बड़ो की भावना का सम्मान भी मैं करना चाहता हूँ। इसलिये यह बात भविष्य पर छोड़ दी जाये, की क्या मुझे राजनीति करना है या नहीं।

      फुरसत - यदि आप राजनीति करते या विधायक होते तो आपकी कार्यशैली क्या होती ?

      अखिलेश - देखिये आदमी में इच्छा शक्ति हो, उसका सोच सकारात्मक हो तो कोई भी कार्य आसानी से हो सकता है। यदि राजनेता सिर्फ अखबारों में फोटो छपवाने के ही प्रयास करते रहेंगे ? या कार्यक्रम में भाषण देने के लिये उतावले रहेंगे तो फिर विकास कैसे होगा?  मैं आपसे कहता हूँ कि यदि मैं विधायक बन जाऊं तो निश्चित ही शहर में एक लाख विधायक हों, हर आदमी विधायक का काम करे। आज अमेरिका का राष्ट्रपति भाषण देता है तो सिर्फ 2 मिनिट में अपनी बात पूरी कर देता है, उसे काम की यादा चिंता रहती है लेकिन यहाँ सिर्फ अखबारों में नाम कैसे छपे इसकी चिंता यादा करते हैं। मेरा मानना है कि जनता काम चाहती है ना की जबरन की बातें, और मैं तो काम में ही विश्वास रखता हूं । यदि मैं विधायक होता तो वह सब काम पहली प्राथमिकता से निपटा देता, जो काम विधायक कर सकता है। मेरा मानना है काम के प्रति सकारात्मक  सोच होना चाहिये, स्वयं ही काम होने लगता है। काम बड़ा नहीं है, लेकिन राजनीति करने की परिभाषा ही बदल दी गई है, उसे अखबारों में छपना, दुकानों का उद्धाटन करना, भाषण देने तक सीमित कर दिया गया है। जबकि मेरे हिसाब से राजनीति का मतलब है काम के प्रति समर्पण।

      फुरसत अच्छा यह बताईये की नगर को लेकर कोई विशेष योजना कभी आपके मन में आई हो ? क्या सीहोर के विकास से आप संतुष्ट हैं ?

      अखिलेश - सीहोर में विकास हुआ ही कहाँ है ? सीहोर तो लगातार पिछड़ता जा रहा है, नेताओं की राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में शुगर फेक्ट्री सहित अन्य उद्योग धंधे बंद हो गये हैं। मेरी हार्दिक इच्छा है कि टाउन हाल के पास जमीन है, शहर के बीच में यह जगह है वहाँ एक वाटर पार्क बनवाया जाये जहाँ आम लोग आ जा सकें। यहाँ टाउन हाल में गेम्स वालों के लिये विशेष मशीनें और उपकरण लगवाये जायें। अस्पताल से लेकर पान चौराहा तक और वहाँ से तहसील चौराहा तक एक बहुत अच्छी गुणवत्ता की सड़क बनवाई जाये। इन दोनो ही कार्यों के लिये मैने नगर पालिका से इच्छा प्रकट करते हुए यह भी कहा था कि जनभागीदारी में ऐसी योजना बनवाई जाये। जनभागीदारी हम करने को तैयार हैं। लेकिन नगर पालिका में कोई काम करना ही नहीं चाहता।

       फुरसत - कांग्रेस से आपको टिकिट मिल गया तो खण्ड-खण्ड कांग्रेस और विभिन्न मठों का क्या होगा ?

      अखिलेश - इस पर भी श्री राय ने कहा कि वैसे मैं ना तो चुनाव लड़ने जा रहा हूँ, ना मैने टिकिट मांगा है। लेकिन मैं फिर वही बात कहूंगा कि कांग्रेस को एक दिन में लामबध्द किया जा सकता है, क्योंकि सोच यदि सही हो, आपका तरीका सही हो तो सब हो सकता है। सब एक साथ काम कर सकते हैं, क्योंकि विकास के मुद्दे पर कौन साथ नहीं देता।

      फुरसत- तो यह बताईये की नगर पालिका चुनाव मैं आपको देखकर जनता का जो उत्साह जागा था ? नगर पालिका जैसी चल रही है उसे चलना नहीं धकना कहते हैं ? आपका क्या कहना है ? क्या नगर पालिका की व्यवस्था दुरुस्त की जा सकती है ?

      अखिलेश- (अपने बेबाक अंदाज में) देखिये, हमारे बड़े भैया एक सीधे सरल, भोले इंसान है, उन्हे जो जैसा समझा देता है समझ जाते हैं। उनसे कुछ गलत लोग जबरन चिपके रहते हैं यह बात भी सही है। लेकिन मेरी मर्यादा है कि मैं उनसे कुछ कह नहीं सकता, मैं छोटा हूँ। लेकिन यह सही है कि मात्र एक महिने में नगर पालिका एकदम दुरुस्त की जा सकती है। जो काम करने में अड़चन पैदा करते हैं ऐसे लोगों को तो मैं दिनभर ही ठीक करता हूं, तो वहाँ भी अड़चन डालने वालों को ठीक करने में कोई कठिनाई नहीं आयेगी। मात्र एक माह में नगर की फिजा बदली जा सकती है, निर्माण कार्यों में पारदर्शिता हो, जहाँ काम हो वहाँ काम की लागत व संबंधित निर्माण का ब्यौरा संबंधित वार्ड में एक बड़ा बोर्ड लगाकर चस्पा कर दी जाये तो जनता वैसे ही यदि गलत काम हो तो लड़ने को उतारु हो जाये, स्वयं ही गलत कार्यों पर अंकुश लग जाये।  लेकिन सही प्रबंधन का अभाव है। काकस से घिरे होने के कारण सही निर्णय नहीं लिया जाता इसलिये नगर पालिका नहीं चल पा रही। कुर्सी कुछ नहीं करती आदमी करता है...।

      फुरसत - अब जब आप विधायक का चुनाव लड़ने के लिये तैयार नहीं है, तो क्या राकेश राय को टिकिट मिल जायेगा तब आप फिर उनके लिये प्रचार करेंगे ?

      अखिलेश - सुरेश पचौरी जी ने बड़े भाई साहब से कहा था कि तुम्हे टिकिट नहीं दिया जायेगा, अन्य दो भाईयों में से किसी को देंगे। श्री पचौरी ने शायद स्वदेश का नाम चलाया है। जो होगा देखा जायेगा।