Thursday, August 7, 2008

भगवान ने अहिंसा और जीवदया का जो संदेश दिया उसे जीवन में उतारें- मधुबाला जी

आष्टा 6 अगस्त (नि.सं.)। आज हम 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ जी का जन्मकल्याणक मना रहे हैं भगवान ने जो जीवदया का संदेश दिया आप सभी को आत्म चिंतन करने की आवश्यकता है कि हम नारा जोर-जोर से लगाते हैं कि सत्य अहिंसा प्यारा है, यही हमारा नारा है लेकिन हम जमीकंद का सेवन करते हैं, रात्री भोज करते हैं और नारा जोर-जोर से लगाते हैं। आज होटलों में खाते हैं, गार्डन में शादी करते हैं तो कैसे अहिंसा होगी।
भगवान नेमिनाथ जी की जब बारात जा रही थी तब उन्होने एक ग्वाडे में मूक पशु-पक्षी क्रंदन करते देखे तब उन्होने पूछा की इन्हे क्यों रोका गया है तब उन्हे जो बताया उसे सुनकर वे बिना शादी किये बारात वापस ले आये। धन्य है वो राजमति जिसने भगवान के राजमार्ग को अपनाकर अपनी 700 सहेलियों के साथ दीक्षा ग्रहण कर उसी राजमार्ग पर चल पड़ी जिस राजमार्ग पर भगवान अग्रसर हुए थे।
उक्त बात आज पूय महाराज साहब साध्वी श्री मधुबाला जी ने श्री नेमिनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर किला आष्टा पर भगवान के जन्मकल्याणक दिवस पर प्रवचन में कहे। उन्होने कहा कि प्रत्येक जीवन पर दया का भाव मन में रखें। उन्होने जैनियों का जगाने का आव्हान किया उन्होने कहा कि जन्म से जैन, जैन से जिन बनना है तो सिध्द पथ को पाना है इसलिये जैन जागो। इस अवसर पर महाराज सुनीता जी ने कहा कि जन्म कल्याणक मनाने से कुछ नहीं होगा आज यहाँ से कुछ ऐसा अपने जीवन में उतारकर जायें ताकि भगवान का जन्मकल्याणक मनाना सार्थक हो। प्रवचन के पश्चात शासकिय महाविद्यालय आष्टा के प्राचार्य कपूरमल जैन, रविन्द्र रांका, लोकेन्द्र बनवट ने भी अपने विचार रखे। आज प्रात: जन्मकल्याणक दिवस किला मंदिर से बरघोड़ा भगवान की बेदी के साथ निकला जो नगर के प्रमुख मार्गों एवं मंदिरों से होता हुआ किला मंदिर पहुँचा।
तब प्रात: श्री संघ की और से स्वामी वात्सल्य सम्पन्न हुआ। दोपहर में श्रावक राजमल छगनमल संचेती परिवार की और से पूजन का कार्यक्रम, रात्री में जावरा से आये राजेन्द्र जैन नवयुवक मण्डल द्वारा रंगारंग प्रभु भक्ति, महाआरती आदि सम्पन्न हुई। आज भगवान के जन्मकल्याणक दिवस को श्री संघ ने साध्वी जी की प्रेरणा से त्याग और तप के साथ मनाया। आज 108 श्रावक-श्राविकाओं ने एकासना किये। रात्री में प्रभु की नयनाभिराम अंग रचना की। कई भक्तों ने मंदिर पहुँचकर प्रभु के दर्शन किये।


हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।