Saturday, July 26, 2008

प्रथम चरण पूर्ण: अब गढ़ ढहाने की तैयारियाँ शुरु

सीहोर 25 जुलाई (नि.सं.)। नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव में आज एक तरह से चुनाव प्रचार का प्रथम चरण पूर्ण हो गया है। अब शेष बचे दिनों में सारे प्रत्याशी अपने-अपने गढ़ को सुरक्षित करने की कवायद शुरु करेंगे। साथ ही कुछ दूसरों का गढ़ भी ढहाने के प्रयास में लगेंगे। आज भी बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार हुआ। किसी होगी विजय और कौन बनेगा अध्यक्ष की के हिसाब अभी तक लगाये जा रहे हैं। काका पैनल विश्वस्त है कि जीत उसकी ही होगी जबकि स्वतंत्र उम्मीद्वारों ने भी गणित और बिसात बिछाना शुरु कर दिये हैं।
सीहोर नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव में जिस प्रकार का उत्साह देखने को आ रहा है उससे निश्चित ही पूरे नगर में भारी चुनावी वातावरण बन चुका है। एक तरह से इतना प्रचार-प्रसार हो चुका है की पूरे नगर में एक उत्सवी माहौल बनकर तैयार हो गया है। पूरे नगर में जिस तरह से प्रत्याशियों की मण्डलियों ने नगर में प्रचार किया है उससे पूरे नगर में ही एक माहौल सा बन गया है और सीहोर नागरिक सहकारी बैंक के चुनावों में क्या होगा ? कौन जीतेगा और कौन अध्यक्ष बनेगा को लेकर सभी में उत्साह है।
अभी तक लगभग सभी प्रत्याशियों ने जिसमें काका पैनल सहित समस्त स्वतंत्र प्रत्याशियों ने अपने-अपने स्तर पर पूरा प्रचार-प्रसार कर लिया है। हर जगह वह हो आये हैं। हर एक मतदाता के पास वह अपने स्तर पर चले गये हैं। दूर-दूर के मतदाताओं के पास तक वह हो आये हैं। जो कुछ मतदाता बचे थे उन्हे आज अंतिम दिन में ढूंढ-ढूंढक र प्रत्याशी उनसे अपने पक्ष में मतदान करने का निवेदन कर आये हैं। इस प्रकार देखा जाये तो पहले चरण का बड़ा प्रचार-प्रसार हो चुका है।
अब सारे ही प्रत्याशी अपने गणित के हिसाब-किताब लगाना शुरु कर चुके हैं। अब दिन-रात एक की जायेगी। रात-रात भर प्रत्याशियों के मित्र मण्डलियाँ बैठकर यह तय करेंगे कि किस प्रकार किस गढ़ में सेंध लगाई जाये और किस प्रकार किसका गढ़ तोड़ा जाये। छावनी में मतदाता की संख्या बड़ी होने से यहाँ अधिकांश प्रत्याशियों की निगाहें लगी हुई हैं। इसका लाभ उठाने के लिये सभी जी-तोड़ मेहनत भी की है और कुछ इसके लिये अच्छे पांसे भी फेंके हैं। उन्होने खुद के साथ दूसरे का भी प्रचार-प्रसार किया है ताकि दूसरा यदि वजनदार हो तो यह भी उसके साथ नैया पार हो जायें। इस प्रकार प्रयासों के बाद अब यह प्रयास होंगे की पूरी तरह मतदाता को कैसे अपने पक्ष में तोड़ लिया जाये।
तो फिर कांग्रेस पैनल
ही नजर आयेगी

तो अब स्पष्ट हो चुका है कि एक मात्र काका पैनल ही मैदान में है और दूसरी कोई पैनल न स्पष्ट रुप से मैदान में हैं ना ही पीछे से है। जैसा की कल हिन्दु उत्सव समिति ने अपने नाम की चर्चा चलने के बाद स्पष्ट शब्दों में खंडन कर दिया है तब कहा जा सकता है कि सिर्फ कहने को ब्राह्मण वाद ही यहाँ चुनाव में सामने आयेगा। लेकिन इससे बढ़कर कांग्रेसी पैनल के चुनाव में सक्रिय रहने की बात शुरु से ही स्पष्ट नजर आ रही है चूंकि काका पैनल में भी कांग्रेसी प्रत्याशी शामिल हैं इसलिये यह नहीं कहा जा सका कि दूसरे पैनल कांग्रेसी होगी। लेकिन जिन स्वतंत्रत उम्मीद्वारों को सामने देखा जा रहा है उनमें यदि सारे ही प्रत्याशियों पर नजर दौड़ाई जाये जिनमें राजेन्द्र वर्मा, अर्चना वर्मा, पार्षद अनिल मिश्रा सहित राजेन्द्र शर्मा कल्लू हों या फिर पंकज खत्री, मुकेश खत्री हों यह सभी किसी भी कांग्रेसी पैनल के नाम से एक हो सकते हैं। यह दीगर बात है कि इनमें अध्यक्ष को लेकर विवाद हो सकता है लेकिन कांग्रेसीकरण के नाम पर एका भी संभव है।
छावनी में पंकज, राजेन्द्र
छावनी में जिस प्रकार पंकज खत्री और राजेन्द्र कल्लू का प्रचार-प्रसार हुआ है उससे एक बारगी यह अवश्य प्रतीत होता है कि यह वजनदार नाम हैं लेकिन जहाँ राजेन्द्र शर्मा कल्लु के साथ अनुभवी व प्रभावी लोग बड़ी संख्या में वहीं पंकज खत्री के साथ की टीम एक अलग व्यापारी वर्ग की टीम है।
क्या टीम छावनी को छोड़ दूरस्थ क्षेत्रों में बसे मतदाताओं तक को अपने पक्ष में ला पायेगी ? क्या यह समस्त मतदाताओं पर अपनी छाप छोड़ पायेंगे यह बात बार-बार चौराहों की चर्चा में निकल आती है।
क्या तलवार की विजय सुनिश्चित है...?
नई उम्र प्रत्याशी के रुप में मुकेश खत्री इस बार नागरिक बैंक के चुनाव में सामान्य वर्ग से खड़े हुए हैं। मुकेश खत्री का चुनाव चिन्ह तलवार है। कहा जा रहा है कि तलवार का चुनाव चिन्ह जिस किसी को भी मिला है वह नागरिक बैंक चुनाव में अवश्य विजयी रहा है। ऐसे में इस बार तलवार मुकेश के हाथों में आई है तो क्या मुकेश की विजय सुनिश्चित मानी जाये। खैर मुकेश खत्री कस्बा क्षेत्र से बहुतायत में मत लायेंगे ऐसा उनका विश्वास है।
पूरी काका पैनल आयेगी....
काका पैनल के वजनदार नामों की झांकी निश्चित ही काफी प्रभावी रही है। काका पैनल होने के कारण हर एक मतदाता तक पैनल का प्रचार-प्रसार हो चुका है। और पूरी पैनल के लिये ही बड़ी संख्या में मतदान मांगा गया है। नाम वापसी के साथ ही एक प्रत्याशी के विजय के साथ अपना वजन बढ़ा चुकी काका पैनल को 8 में से मात्र 4 प्रत्याशी की आवश्यकता है जबकि पैनल का मानना है कि पूरी की पूरी की पैनल ही आ रही है। पैनल के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि जो प्रचार पैनल ने मिलकर किया है, जिन मतदाताओं तक यह लोग पहुँचे हैं वहाँ तक आम प्रत्याशी नहीं पहुँच सके हैं। पैनल में से कुछ नाम तो पहले ही झटके उत्तीर्ण माने जा रहे हैं इस दृष्टि से भी पैनल का वजन काफी बढ़ा हुआ बताया जा रहा है लेकिन चुनावी बाजी कब पलट जाये कहा नहीं जा सकता ।


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