आष्टा 27 जुलाई (नि.प्र.)। आज लोग महावीर को मानते तो हैं महावीर ने अपनी देशना (प्रवचन) में क्या कहा यह भी साधु-संतो के मुख से प्रवचनों के माध्यम से सुनते भी है लेकिन महावीर ने जो कहा उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास नहीं करते अगर महावीर ने जो कहा व्यक्ति उसे अपने जीवन में उतार ले तो उसे महावीर बनते देर नहीं लगेगी।
उक्त उद्गार आष्टा के महावीर भवन स्थानक में विराजित पूय म.सा. मधुबाला जी ने अपने प्रवचन के दौरान कही। म.सा. ने कहा कि अनुभव की बात ठोस होती है उन्होने कहा महावीर को मंदिरों और दिवारों से बाहर निकालो। आज व्यक्ति उन बातों को पकड़ रहा है जिन्हे महावीर ने छोड़ने को कहा और उन बातों को छोड़ रहा है जिन्हे पकड़ने को कहा है। उन्होने कहा कि आप हम दिन-रात खाते हैं खाते-खाते भी भूखे हैं। तपस्या का महत्व बताते हुए उन्होने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने साढ़ 12 वर्ष तक कठिन तपस्या की इन साढ़े वर्षों में उन्होने केवल 349 दिन ही आहार ग्रहण किया था। रोज खाते हैं क्या कभी मन ने कहा कि नहीं आज मैं नहीं खाऊ ंगा मैं तृप्त हूं। उन्होने आव्हान किया की चलो भगवान ना बन सको तो ना बनो कम से कम इंसान तो बनो जो व्यक्ति इंसान बन गया समझो वो भगवान बन गया। आज व्रूक्ति दिन रात जिस प्रकार ढोर चरते हैं ऐसे खाते ही रहता है उन्होने कहा कि अगर कर्मों की निर्जरा करना है तो तप करो और महावीर की वाणी को जीवन में उतारें।
सुनीता जी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि जैन धर्म के जो आगम हैं उसमें 28 प्रकार की लब्धियाँ बताई हैं जो साधक नवकार मंत्र की आराधना करेगा उसे भवों के रोगों से मुक्ति मिलेगी और उसका कल्याण होगा। प्रवचन में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। म.सा. ने सभी ने आव्हान किया कि 27 जुलाई रविवार को होने वाली निवी तप की आराधना में अधिक से अधिक भाग ले।
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