Thursday, July 31, 2008

अविद्या ही समस्त दुखों की जननी है- आचार्य वेदार्थी

सीहोर 30 जुलाई (नि.सं.)। संसार समस्त प्रकार के दुखों के मूल में अविद्या ही है। मनुष्य रुप, रंग, गंध, स्पर्श, रस तथा विभिन्न माया मोह में फंस कर ईश्वर भक्ति के मार्ग से विमुख हो जाता है योगीजन आधुनिक विज्ञान की भाषा में अवचेतन मन कहे जाने वाले धृतिमन को वश में कर अनेक शक्तियों और विशेषताओं के स्वामी बन राम, कृष्ण और दयानंद कहलाए।
यह उद्गार आर्य समाज मंदिर में मंगलवार रात वेद प्रचार सप्ताह के तीसरे दिन आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने व्यक्त किये। श्रावण मास में प्रतिवर्षानुसार आयोजित हो रहे वेद प्रचार सप्ताह गंज क्षेत्र स्थित आर्य समाज मंदिर में 27 जुलाई से प्रतिदिन शाम यज्ञ एवं ईश्वर उपासना के भजन तथा रात्रि 8 से 10.30 बजे तक वेद विषयक व्याख्यान हो रहे हैं जिसमें बड़ी संख्या में नगर एवं आसपास के आर्यजन, श्रध्दालु महिलाएं एवं बच्चे भागीदारी कर रहे हैं। आयोजन के तीसरे दिन मंगलवार को बिजनौर से पधारे प्रसिध्द वैदिक विद्वान आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने प्राचीन वैदिक मान्यताओं सिध्दांतों की मानव जीवन में उपादेयता पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए कहा कि ब्रह्म मार्ग का अनुगामी ही ब्रह्मचारी कहा जाता है। ग्रहस्थ आश्रम में प्रवेश करते समय इस आश्रम के कर्तव्यों की शिक्षा देना अनिवार्य है। इसके अभाव में आज पारिवारीक नैतिक और सामाजिक मूल्य विखण्डित हो रहे हैं।
आचार्य ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में सत्व, तमो और रजो गुणों प्रवृत्तियों के साथ चार आश्रमों की प्राचीन परम्परा को परिभाषित करते हुए अनेक रोचक बोध कथाओं, प्रेरक प्रसंगों के साथ शांतिकरणम एवं स्वस्ति वाचनम के श्लोको की व्याख्या के दौरान धर्म के गूढ समझे जाने वाले रहस्यों का सहजता से बोध कराया। इस दौरान नि:स्तब्ध शांति के बीच उपस्थित जन समुदाय ने वेदगान की अमृत वर्षा का रसास्वादन किया।
कार्यक्रम का संचालन आर्य समाज के मंत्री संतोष सिंह ने किया एवं आभार प्रधान रामस्वरुप गौर ने माना। इस अवसर पर समाज के मा. अवधनारायण आर्य, जगमोहन कौशल, कमलेश याज्ञिक, डॉ. झलावा, रामभरोस आर्य, चन्द्रभान आर्य, कमलेश आर्य, हरनाम सिंह कसौटिया, नरेन्द्र आर्य, बाबूलाल आदि सहित बड़ी संख्या में श्रध्दालु महिलाएं एवं बच्चे उपस्थित थे। वेद प्रचार सप्ताह का समापन 1 अगस्त को होगा।


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